
तनाव आपके शरीर में उत्पन हुई एक सामान्य प्रतिक्रिया होती है जिससे आपका मानसिक सुंतलन बिगड़ जाता है। आयुर्वेद में तनाव के कई स्वरुप होते हैं जैसे कि मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तनाव और अलग अलग तरह के तनाव में अलग अलग तरह के उपचार की ज़रुरत पडती है
तनाव आपके शरीर में उत्पन हुई एक सामान्य प्रतिक्रिया होती है जब आप अपने आपको किसी संकट से घिरा पाते हैं या आपका मानसिक सुंतलन बिगड़ जाता है। तनाव से जुड़ी प्रतिक्रिया आपको चुनौतियों का सामना करने में सहायता करती है। पर एक सीमा के बाद, यही तनाव कोई भी सहायता करना बंद कर देता है और आपके स्वास्थ्य, आपके मूड, आपकी उत्पादकता, आपके संबंधों और आपके जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर करता है।
आयुर्वेद में तनाव के कई स्वरुप होते हैं जैसे कि मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तनाव; और अलग अलग तरह के तनाव में अलग अलग तरह के उपचार की ज़रुरत पडती है। आयुर्वेद के हिसाब से मानसिक तनाव मस्तिष्क का ज़रुरत से ज़्यादा उपयोग, या दुरूपयोग करने से होता है। मसलन अगर आप अधिक समय तक मानसिक कार्य करते हैं या कई घंटों तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो आपकी मानसिक गतिविधियाँ, ऊर्जा, और दिमाग से जुड़े प्राण-वात तत्वों में असुंतलन पैदा होता है। और प्राण-वात के असुंतलन का पहला लक्षण होता है तनाव को संभालने में असर्मथता। जैसे जैसे तनाव बढ़ता है वैसे वैसे धी, धृति, और स्मृति जैसी मानसिक प्रक्रिया में बदलाव उत्पन होता है, या ग्रहणशीलता, अवरोधन, सकारात्मक सोच, उत्साह और रात की नींद पर भी असर पड़ता है।
तनाव के लक्षण
संज्ञानात्मक लक्षण
- स्मरणशक्ति की समस्या।
- एकाग्रता की कमी।
- परखने में गलती।
- नकारात्मक पहलू देखना।
- अनवरत चिंता।
भावनात्मक लक्षण
- मूड बदलना।
- चिडचिडापन या गुस्सा।
- बेचैनी, विश्राम न कर पाना।
- पराजित महसूस करना।
- अकेलेपन और अलगाव का एहसास।
- डिप्रेशन या नाराजगी।
शारीरिक लक्षण
- दर्द और पीड़ा।
- दस्त या कब्ज़ियत।
- मतली या चक्कर।
- यौन रूचि में कमी।
- बार बार सर्दी ज़ुकाम का होना।
- अपचन और गड़गड़ाहट।
- हृदयगति में तेज़ी।
स्वाभाव से जुड़े लक्षण
- कम या ज़्यादा खाना या सोना।
- अपने आपको दूसरों से अलग थलग रखना।
- कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से बचना।
- विश्राम के लिए मदिरापान, धूम्रपान या नशीली दवाओं का सेवन करना।
- तनाव के लिए घरेलू और आयुर्वेदिक चिकित्सा
- अपने आहार में गर्म दूध के साथ पांच बादामों का समावेश करें । आप दिन में 2 या 3 बार दूध या शहद के साथ 1 ग्राम काली मिर्च का सेवन भी कर सकते हैं।
- अपने माथे पर नीम का पाउडर लगाने से भी आपको लाभ मिल सकता है।
- दूध या पानी के साथ सूखी अदरक का लेप बना लें और अपने माथे पर लगायें।
- एक छोटे तौलिये को ठंडे पानी में डुबोकर निचोड़ लें और कुछ समय के लिए अपने माथे पर रखें।
- क्षीरबाला तेल, धन्वन्तरी तेल या नारियल के तेल से पूरे शरीर की मालिश करवाने से भी तनाव कम होने में लाभ मिलता है।
- सोने से पहले दूध में गुलकंद मिलाकर पीने से भी लाभ मिलता है।
- दोपहर में खाने के साथ मीठे लस्सी में गुलकंद डालकर पीने से भी लाभ मिलता है।
- एक अँधेरे कमरे में लेटने से या करीबन आधा घंटा सोने से भी तानव में कमी आ सकती है।
- पान के पत्तों में पीड़ानाशक और ठंडक पहुँचाने वाले गुण होते हैं। इन्हें ग्रसित जगह पर रखने से काफी लाभ मिलता है।
- अश्वगंधा, ब्राह्मी, अदरक, हाइपरआइसिन जैसी आयुर्वेदिक औषधियां भी तनाव कम करने में लाभदायक सिद्ध होती हैं।
- कुछ खान पान जैसे कि बादाम, नारियल, और सेब जैसे मीठे और रसीले फल, लस्सी, घी, ताज़ी चीज़ और पनीर भी तनाव की अवस्था को ठीक करने में मदद करते हैं।
क्या करें क्या न करें
- नकारात्मक सोच का त्याग करें।
- मदिरापान और नशीले पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि दोनों ही आपकी डिप्रेशन को बढ़ा सकते हैं।
- जब आप डिप्रेशन में हों तो कोई भी बड़ा फैसला लेने का प्रयास न करें।
- अपने आपको निरुत्साह न होने दें।
- कम से कम आठ घंटे की नींद तो ज़रूर लें।
- रात को दस बजे से पहले सोने का प्रयास करें।
तनाव हममे से अधिकतर लोगों की ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुका है, और अगर इसे ठीक तरह से संभाला नहीं जाये तो हृदय रोग, पेप्टिक अल्सर, और कैंसर होने की संभावना बन सकती है।
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