
अगर आप बीमार हैं तो आप बच्चों से दूर रहने की कोशिश करें। अगर आप बच्चों के नजदीक जा रहे हैं तो आपका वायरस आपके बच्चे में भी जा सकता है।
डॉक्टरों ने उन लोगों को अपने बच्चों को किस यानी की पप्पी करने के लिए मना किया है, जो खुद को अस्वस्थ महसूस करते हैं। डॉक्टरों ने ये चेतावनी इसलिए दी है ताकि संभावित रूप से खतरनाक संक्रमण को रोका जा सके। यूटी हेल्थ ईस्ट टेक्सास की बाल (रोग) चिकित्सक टिफनी हिल का कहना है कि छह महीने से कम उम्र के शिशु विशेषरूप से अधिक संवेदनशील होते हैं , जिसे रेस्पिरेटरी सिनसिथियल वायरस (RSV) कहते हैं। खासकर ये संक्रमण बच्चों में अक्टूबर से मार्च के बीच में होते हैं।
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेनशन(सीडीसी) के मुताबिक, कुछ लोग को नाक बहना, छींकना खासी जैसी दिक्कतें रहती हैं। इन तरह की संक्रमणों गंभीर भी हो सकते हैं। इससे सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। जिसे जल्द ठीक करना चाहिए नहीं तो यह आपके शरीर में और भी रोग पैदा कर सकता है।
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सीडीसी के मुताबिक, दो साल तक के ज्यादातर बच्चे रेस्पिरेटरी सिनसिथियल वायरस के शिकार हो सकते हैं। इसके साथ ही एक साल या एक साल से कम उम्र के बच्चे अगर रेस्पिरेटरी सिनसिथियल वायरस की चपेट में आते हैं तो उनके लिए यह एक गंभीर बीमारी भी बन सकती है। बच्चों में निमोनिया का खतरा भी बढ़ जाता है। बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी इसकी चपेट में आने का खतरा हो सकता है।
पीडियाट्रिशियन हिल ने बताया की जैसा कि आप जानते है की वायरस का कोई तोड़ नहीं। इसलिए बच्चे के माता-पिता को बच्चे पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए, साथ ही बच्चे को भांप दें जिससे की बच्चे को सांस लेने में कुछ हद तक आाराम मिल सके और वह अपने आप को थोड़ा अच्छा महसूस करे।
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सीडीसी के मुताबिक, अगर कोई रेस्पिरेटरी सिनसिथियल वायरस की चपेट में आ गय़ा है तो उसे अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है। अगर किसी 6 महीने के बच्चे को इसका शिकार होना पड़ता है और उसे सांस लेने में परेशानी हो रही है तो उसे भी अस्पताल जाने की जरूरत नहीं है। हिल ने बताया की कुछ मामले ऐसे भी आते हैं जिनमें बच्चे ब्रिथिंग ट्यूब के साथ ठीक रहते हैं।
अगर किसी को रेस्पिरेटरी सिनसिथियल वायरस है तो यह किसी और को भी हो सकता है। यह वायरस काफी आसानी से फैल सकता है। पीड़ित के बार-बार नाक बहना, छींकना और खासी जैसी चीजों से यह किसी भी दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। यह कई बार एक-दूसरे को छुने से भी फैल जाता है। अगर किसी को रेस्पिरेटरी सिनसिथियल वायरस है तो वह बच्चों को किस ना करें। ऐसा करने से बच्चों में यह वायरस जा सकता है। इसलिए सीडीसी ने चेतावनी दी है की कोई भी बच्चों को खासी, छींक या फिर नाक के बहते समय किस ना करें। इसके साथ ही बच्चों को बार-बार छुने से या उनके साथ खेलने से भी बच्चों में वायरस फैल सकता है।
एजेंसी का कहना है की जिन लोगों को खासी, छींक या फिर नाक बहने जैसी चीजें हो तो आप किसी से भी हाथ मिलाने से बचें, बच्चों से दूर रहें। जिसे वायरस है वह हाथ से नाक ना साफ करें। वो या तो रूमाल का प्रयोग कर सकते हैं। साथ ही वह हाथ को भी साबून से धोएं।
बच्चे के माता-पिता को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि अगर कोई आपके बच्चे के ज्यादा नजदीक जा रहा है तो क्या वह खासी या नाक बहना जैसी चीजों से पीड़ित तो नहीं। अगर ऐसा है तो आप अपने बच्चे को उनसे दूर रख कर अपने बच्चे को इसका शिकार होने से बच्चा सकता हैं। यह आपके बच्चे के लिए और उसके स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा।
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