ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास बहुत फायदेमंद है, जानें इनके बारे में।
नियमित रूप से योग का अभ्यास शरीर को बीमारियों से मुक्त रखने और फिट रखने का काम करता है। खानपान और शारीरिक गतिविधियों में कमी की वजह से लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इस बीमारी में हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और मरीज को बार-बार फ्रैक्चर की समस्या भी हो सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इस समस्या में नियमित रूप से कुछ योगासनों का अभ्यास ( Yoga For Osteoporosis in Hindi) बहुत फायदेमंद माना जाता है। कई रिसर्च और अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि योगासनों का अभ्यास ऑस्टियोपोरोसिस में बहुत फायदेमंद होता है। आइये जानते हैं इसके बारे में।
क्या होती है ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या? (Osteoporosis in Hindi)
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों का एक रोग है इसे हिन्दी में भंगुर कहते है।, जिसमें रोगी की हड्डियां अंदर से खोखली और कमजोर हो जाती हैं। हमारी हड्डियां कैल्शियम फॉस्फेट और कोलाजेन नाम के प्रोटीन से मिलकर बनी होती हैं। ये तत्व आपस में मधुमक्खी के छत्ते की तरह जुड़े होते हैं। स्वस्थ व्यक्ति के शरीर की हड्डियों के अंदर बहुत कम रिक्त स्थान होता है, जिसके कारण हड्डियां मजबूत होती हैं और आसानी से बाहरी दबावों और झटकों को सह लेती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर रोगी की हड्डियों के बीच का यही रिक्त स्थान बढ़ता जाता है और इसी कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। ऑस्टियोपोरोसिस होने पर थोड़ा सा झटका लगने या गिरने आदि से रोगी की हड्डियां टूट सकती हैं। यह बीमारी खानपान में गड़बड़ी और खराब लाइफस्टाइल के कारण किसी भी उम्र में हो सकती है।
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ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में करें इन योगासनों का अभ्यास (Yoga Poses To Get Relief From Osteoporosis)
ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोपीनिया हड्डियों से संबंधित बीमारी है जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को अधिक होती है। ऑस्टियोपोरोसिस में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इसमें हड्डियों का बोन मास कम हो जाता है और वे भुरभुरी हो जाती हैं। दिल्ली के मशहूर योग गुरु मोहन जी के मुताबिक बीमारी में योगासनों का नियमित अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। आप भी अगर ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं तो रोजाना इन 4 योगासनों का अभ्यास जरूर करें।
1. पादहस्तासन (Padahastasana)
- पादहस्तासन योग करने के लिए योगा मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
- इस योग को करने के लिए आप ताड़ासन मुद्रा में भी खड़े हो सकते हैं।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को नीचे की ओर सीधा रखें और अपने सामने की ओर देखें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाते हुए उन्हें आपस में जोड़ें।
- अब सांस छोड़ते हुए कमर की ओर से नीचे की ओर झुकें।
- इस दौरान आपको अपने कमर का ऊपरी हिस्सा सीधा रखना है, सिर्फ कमर को ही मोड़ने है।
- कमर से खुद को मोड़ते हुए अपने दोनों हाथों से फर्श को छूने की कोशिश करेँ।
- इस दौरान अपने सिर से पैरों के घुटने को छूने का प्रयास करेँ।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों से अपने पैरों को पकड़ें।
- कुछ सेकंड तक इसी मुद्रा में रहें।
- इसके बाद अपनी मुद्रा में वापस लौट लाएं।
2. वीरभद्रासन (Virabhadrasana)
- सबसे पहले जमीन पर दीवार से थोड़ी दूर सीधे खड़े हो जाएं।
- आप अपने एक पैर को पीछे करते हुए उसकी एड़ी को दीवार के सहारे लगा लें और एक पैर को आगे ही रखें।
- अब अपने दोनों हाथों को बिलकुल सिर के ऊपर की ओर ले जाते हुए सीधा कर लें।
- इसके बाद आप पूरी छाती को तानते हुए आगे की ओर झुकने की कोशिश करें।
- कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद वापस अपने पहले वाली स्थिति में आ जाएं।
- अब आप दूसरे पैर से भी इस प्रक्रिया को दोहराएं।
3. अर्ध चंद्रासन (Ardha Chandrasana)
- सबसे पहले ज़मीन पर सीधे खड़े हो जाए।
- फिर बाएं पैर को दाएं पैर से दो फुट दूर ले जाएं।
- याद रखें अभी तक आपको अपने हाथ सीधे ही रखने हैं।
- अब हाथों और पैरों को हिलाते हुए त्रिकोण मुद्रा में ले जाएं।
- अब अपने दाएं हाथ के पंजे को ज़मीन से थोड़ा सा उपर रखें। आपके दाएं हाथ के पंजे और दाएं पैर के बीच करीबन डेढ़ फीट की दूरी होनी चाहिए।
- एक हाथ को उपर की ओर ले जाएं और दूसरे को उसी पोजीशन में उपर की ओर ले जाएं।
- अब अपने बाएं पैर को हवा में उठाए। याद रखें कि इस स्थिति में आपको अपने दोनो पैरों के बीच में 90 डिग्री का एंगल रखना होगा।
- लीजिए आपकी अर्धचंद्रासन की मुद्रा बन चुकी है।
4. सेतु बंधासन (Setu Bandhasana)
- सबसे पहले आप अपने पैरों के बीच आरामदायक अंतर बनाते हुए अपने पीठ के बल आराम से लेट जाएं।
- अपनी हथेलियों को जमीन पर इस तरह से रखें कि उसका मुख आसमान की तरफ हो। इस आसन को शवासन कहा जाता है।
- अब अपने दोनों पैरों को जोड़ें, फिर अपने दोनों पैरों को मोड़कर अपने कूल्हों के पास ले आएं।
- फिर अपने दोनों टखनों को मजबूती से अपने दोनों हाथों से पकड़ें।
- अब धीरे-धीरे सांस अंदर लेते हुए अपने कूल्हों को जितना हो सके ऊपर उठाएं, जिससे आपका शरीर एक सेतु या पुल का आकार ले ले।
- सुनिश्चित करें कि आपका सिर और कंधे जमीन पर हों और आपके घुटने व पैर एक ही सीध में हो।
- इस अंतिम मुद्रा में अगर आप चाहें तो अपने हाथों से अपनी कमर को सहारा दे सकते हैं।
- इस स्थिति में सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें और 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहें।
- इस मुद्रा में रहने के बाद आप सांस छोड़ते हुए अपने कुल्हों को वापस जमीन पर लाएं।
- और अपने टखनों को छोड़ते हुए पुन: शवासन के मुद्रा में आ जाएं और विश्राम करें।
इन योगासनों का नियमित अभ्यास करने से आपको ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में फायदा मिलता है। इसके अभ्यास से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूरी है।
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