मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. विजय खेर से विश्व किडनी दिवस पर जानें किडनी से जुड़ी बीमारियों और इसके इलाज के बारे में विस्तार से।
10 मार्च को दुनियाभर में वर्ल्ड किडनी डे यानी विश्व किडनी दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्रॉनिक किडनी रोगों से दुनियाभर में करोड़ों लोग प्रभावित हैं। भारत में ये आठवां सबसे बड़ा रोग है, जिसके कारण सबसे ज्यादा लोगों की मौतें होती हैं। किडनी से जुड़ी बीमारियों, इसके लक्षणों और इलाज के बारे में मेदांता हॉस्पिटल, दिल्ली के किडनी एंड यूरोलॉजी इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. विजय खेर बता रहे हैं।
पिछले कुछ सालों में किडनी रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इसका कारण यह है कि खानपान और जीवनशैली की गलत आदतों के कारण बहुत सारे लोग हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, मोटापा और तनाव का शिकार हो रहे हैं। किडनी रोग किसी भी उम्र और लिंग के व्यक्ति को हो सकता है।
किडनी रोगों के इलाज बहुत मंहगा है, यही कारण है कि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए इस इलाज का खर्च उठा पाना मुश्किल होता है। दुनियाभर में डायलिसिस, ट्रांसप्लांटेशन और सही इलाज के अभाव में हर साल 2.3 से 7.1 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है।
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आमतौर पर क्रॉनिक किडनी रोगों का मतलब है किडनी का सही तरह से काम न कर पाना। कई बार किडनी थोड़ी डैमेज होती है, जबकि कई बार पूरी तरह डैमेज हो जाती है, जिसे किडनी फेल्योर कहते हैं। किडनियां हमारे शरीर से हानिकारक तत्वों को बाहर निकालने का काम करती हैं। इसके अलावा किडनियां ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने, शरीर में नमक और फ्लुइड को कंट्रोल करने और लाल रक्त कोशिकाएं बनाने के लिए हार्मोन्स का निर्माण करने में मदद करती है। किडनियां हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए भी जरूरी होती हैं। किडनी डैमेज होने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, यूरिन इंफेक्शन, एचआईवी, मलेरिया, टीबी और हेपाटाइटिस आदि शामिल हैं।
क्रॉनिक किडनी डिजीज के लक्षणों में मूत्र के साथ खून आना, जल्दी-जल्दी या बहुत कम पेशाब लगना, पैरों और तलवों में सूजन, थकान और आलस, नींद की कमी या सोने में परेशानी होना, त्वचा का रूखा हो जाना या खुजली शुरू हो जाना, भूख कम लगना, बिना कारण वजन कम होना, जी मिचलाना और उल्टी आदि हैं।
आमतौर पर किडनी की गंभीर बीमारियों का खतरा बड़ी उम्र के लोगों को होता है। इसके अलावा धूम्रपान करने वालों, डायबिटीज रोगियों, ब्ल्ड प्रेशर रोगियों, परिवार में किडनी के इतिहास आदि के कारण भी किडनी रोग हो सकते हैं। सबसे खास बात यह है कि दर्दनिवारक दवाओं के ज्यादा सेवन या लंबे समय तक सेवन से भी क्रॉनिक किडनी रोग की संभावना बढ़ जाती है। किडनी रोगों के कारण दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे हार्ट अटैक आदि भी हो सकते हैं।
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किडनी रोगों से बचाव के लिए सबसे जरूरी यह है कि लक्षणों के दिखने पर आप चिकित्सक से मिलें और किडनी की जांच करवाएं। इसके अलावा इस रोग से बचाव के लिए आपको हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए।
भारत में नेशनल डायलिसिस स्कीम और आयुष्मान भारत के साझा प्रयासों द्वारा हर गरीब तक किडनी का इलाज उपलब्ध करवाने पर ध्यान दिया जा रहा है। इस तरह की पहल से किडनी रोगियों को आसान इलाज भी उपलब्ध होगा और किडनी रोगों से बचाव में मदद मिलेगी।
- Dr Vijay Kher, Chairman, Kidney and Urology Institute, Medanta
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