World Breastfeeding Week: स्तनपान से जुड़े सभी मिथकों को खत्म करने और महिला के लिए इस लाभों पर ध्यान केंद्रित करने का अच्छा मौका है। आइए जानते हैं स्तनपा...
स्तनपान (Breastfeeding) को बढ़ावा देने और दुनिया भर में शिशुओं के स्वास्थ्य में सुधार के लिए हर वर्ष 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह (World Breastfeeding Week) मनाया जाता है। इसकी शुरूआत अगस्त 1990 में हुई थी। इस मिशन में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization), यूनिसेफ (United Nations Children's Fund) और अन्य कई संगठन शामिल हैं।
ब्रेस्ट फीडिंग से जुड़े सभी पहलुओं को विस्तार से जानना जरूरी है। स्तनपान से जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं, इसके कई वैज्ञानिक तथ्य भी सामने आ चुके हैं। स्तनपान एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत एक महिला अपने शिशु को जन्म देने के बाद उसे स्तनपान कराती है। स्तनपान से मां और बच्चे को किन-किन प्रकारों से फायदा पहुचता है इसके बारे में हमने अपने एक्सपर्ट से विस्तार से बात की है।
मुम्बई के ग्लोबल हॉस्पिटल की प्रसूति एवं गायनोकॉल्जी प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सरोज देसाई का कहना है कि, स्तनपान आसान नहीं है और यह दर्द भी नहीं देता। हालांकि, अगर बच्चा स्तनपान नहीं करता तो दर्द हो सकता है, बच्चे और मां में अनुभव हीनता के कारण दोनों कुछ असहज महसूस कर सकते हैं। जो की प्राकृतिक है, इसलिए महिला को स्तनपान के महत्वों को जानना और समझना जरूरी है।
इस स्तनपान सप्ताह (Breastfeeding Week) स्तनपान से जुड़े सभी मिथकों को खत्म करने और महिला के लिए इस लाभों पर ध्यान केंद्रित करने का अच्छा मौका है। तो आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं स्तनपान कराने से मां और बच्चे को कैसे फायदा पहुंचता है।
नवजात बच्चों में इम्यूनिटी कम होती है, जो कि उन्हें सिर्फ मां के दूध यानी स्तनपान से ही मिल सकती है। मां के स्तन से पहली बार निकलने वाला दूध के साथ गाढ़ा पीले रंग का द्रव भी आता है, जिसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, इसे शिशु को जरूर पिलाएं। इससे शिशु को संक्रमण से बचने और उसकी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलती है। मां का दूध शिशु के लिए सुपाच्य होता है। इससे बच्चों पर चर्बी नहीं चढ़ती है। स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है। मां का दूध का बच्चों के दिमाग के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। इससे बच्चों की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है, ये बात कई रिसर्च में सिद्ध हो चुकी है।
इसके अलावा स्तनपान कराने वाली मां और उसके शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता बहुत मजबूत होता है। मां का दूध शिशु को उसी तापमान में मिलता है, जो उसके शरीर का है। इससे शिशु का सर्दी नहीं लगती है। एक महिने से एक साल की उम्र में शिशु में अचानक शिशु मृत्यु संलक्षण का खतरा रहता है। मां का दूध शिशु को इससे बचाता है। जिन शिशु को टीकाकरण से ठीक पहले अथवा बाद में स्तनपान कराया जाता है, उनमें तकलीफ के कम लक्षण पाए जाते हैं।
स्तनपान कराने से मां को गर्भावस्था के बाद होने वाली शिकायतों से मुक्ति मिल जाती है। इससे तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव पर नियंत्रण पाया जा सकता है। इससे माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। इसके साथ ही स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है। खून की कमी से होने वाले रोग एनिमिया का खतरा कम होता है।
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मां और शिशु के बीच भावनात्मक रिश्ता मजबूत होता है। बच्चा अपनी मां को जल्दी पहचानने लगता है। स्तनपान के लिए आप अधिक कैलोरी का इस्तेमाल करती हैं और यह प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने में मदद करता है। स्तनपान करानेवाली माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम होता है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है।
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