भूलने की बीमारी अल्जाइमर तंत्रिका तंत्र से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, आइये एक्सपर्ट डॉक्टर से जानते हैं अल्जाइमर से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच सही ढंग से कनेक्शन स्थापित न होने के कारण लोगों को अल्जाइमर रोग होता है। अल्जाइमर तंत्रिका तंत्र और याददाश्त से जुड़ी एक बीमारी है जिसका असर इंसान पर धीरे-धीरे होता है। अल्जाइमर रोग के कारण मरीज को सोचने और समझने में दिक्कत, याददाश्त का खत्म होना और सिर दर्द जैसी कई समस्याएं होती हैं। अल्जाइमर के बारे में लोगों के मन एक भ्रांति काफी समय से चली आ रही थी कि यह बुजुर्गों से जुड़ी एक बीमारी है जो अधिक उम्र के लोगों में ही होती है। लेकिन ऐसा नहीं है यह बीमारी बुजुर्गों के अलावा कम उम्र के लोगों में देखी जा सकती है। अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है जिसे डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। अल्जाइमर से पीड़ित व्यक्ति की याददाश्त कमजोर होने की वजह से उसकी अन्य मानसिक क्षमताएं भी खत्म हो जाती हैं। अल्जाइमर के कारण ब्रेन सेल्स भी खत्म होने लगते हैं जिसकी वजह से मरीज को अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। दुनियाभर में अल्जाइमर रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने और इस बीमारी से निपटने के लिए वर्ल्ड अल्जाइमर डे 21 सितंबर को मनाया जाता है। आज हम आपको दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसलटेंट, जाने माने न्यूरोलोजिस्ट डॉ. पी एन रंजन (Dr. P N Renjan) के माध्यम से अल्जाइमर रोग से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें बताने जा रहे हैं जो आपको जरूर जान लेनी चाहिए।
अल्जाइमर याददाश्त से जुड़ी समस्या है जिसमें डिमेंशिया का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस समस्या इंसान की याददाश्त कमजोर हो जाती है जिसकी वजह से कई गंभीर समस्याएं होती हैं। आइये जानते हैं अल्जाइमर की समस्या में दिखने वाले लक्षणों के बारे में।
मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) के बीच कनेक्शन में दिक्कत आने की वजह से लोगों को अल्जाइमर की बीमारी का सामना करना पड़ता है। यह बीमारी ज्यादातर बुजुर्ग लोगों में होती है, इसे प्रगतिशील बीमारी भी कहा जाता है जो धीरे-धीरे अपना असर दिखाती है। शुरुआत में अल्जाइमर की वजह से दिमाग में मौजूद तंत्रिका कोशिकाओं में दिक्कत होती है जिसकी वजह से मरीज को याददाश्त से जुड़ी समस्या होती है। अल्जाइमर की बीमारी को लेकर हरेक व्यक्ति की अपनी-अपनी सोच हो सकती है लेकिन यह एक गंभीर समस्या है। आइये जानते हैं अल्जाइमर रोग से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें।
अल्जाइमर की बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को मेमोरी लॉस, याददाश्त में कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है जो डिमेंशिया की बीमारी के लक्षण होते हैं। अल्जाइमर को डिमेंशिया का आम रूप कहा जाए तो गलत नहीं होगा। जैसे-जैसे यह बीमारी इंसान में बढ़ती जाती है वैसे ही इसके लक्षण भी गंभीर होने लगते हैं। अल्जाइमर एक तरह से डिमेंशिया का आम रूप ही है जो मस्तिष्क से जुड़े विकारों का एक समूह होता है। डिमेंशिया एक प्रगतिशील मेमोरी लॉस है। डॉ पी एन रंजन के मुताबिक डिमेंशिया कोई डायग्नोसिस नहीं है यह एक लक्षण है जो याददाश्त की कमी को लक्षित करता है। लेकिन डॉ ने यह भी बताया कि हर डिमेंशिया की समस्या अल्जाइमर नहीं होती है।
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डॉ रंजन ने बताया कि तमाम लोग यह समझते हैं कि अल्जाइमर और पार्किंसन की बीमारी एक ही है जबकि ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अल्जाइमर और पार्किंसन की बीमारी का आपस में कोई कनेक्शन नहीं है सिवाय इसके कि अल्जाइमर और पार्किंसन दोनों न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर हैं। पार्किंसन रोग नर्वस सिस्टम में होने वाला एक रोग है जिसमें इंसान की शारीरिक गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं। पार्किंसन के कारण मरीज के हाथों में कंपकंपी, शरीर में अकड़न जैसी समस्या हो सकती है।
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ज्यादातर लोगों के मन में यह बात हमेशा रहती है कि अल्जाइमर बुजुर्गों में होने वाली बीमारी है। यह बात बिलकुल सही नहीं है क्योंकि अल्जाइमर की बीमारी सिर्फ बुर्जुगों में ही नहीं 45 से 50 साल की उम्र में भी हो सकती है। लेकिन यह माना जाता है कि कम उम्र में होने वाला अल्जाइमर आनुवंशिक हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों को कम उम्र में यह बीमारी बिना किसी पारिवारिक हिस्ट्री के होती है उनमें इसकी प्रमुख वजह खराब जीवनशैली को माना जाता है। आज के समय में हमारे देश में युवाओं में भी स्ट्रोक की समस्या तेजी से बढ़ रही है। हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल के कारण लोग स्ट्रोक जैसी गंभीर समस्या के शिकार हो रहे हैं जिसकी वजह से अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ रहा है।
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अगर आपके मन में अल्जाइमर को लेकर यह धारणा बन गयी है कि अल्जाइमर की वजह से मौत नहीं होती है तो यह बिलकुल गलत है। अल्जाइमर की बीमारी बहुत ही गंभीर होती है जिसकी वजह से मरीज की जान भी जा सकती है। आंकड़ों के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश में अल्जाइमर के कारण होने वाली मौतों का स्थान छठा है। वृद्ध लोगों की मौत का सबसे बड़ा कारण दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों को माना जाता है जिसके बाद दूसरा सबसे बड़ा कारण कैंसर है और तीसरे स्थान पर अल्जाइमर की बीमारी है। ऐसे में इस बीमारी को नजरअंदाज बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
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दुनियाभर में अल्जाइमर जैसी याददाश्त से जुड़ी समस्या से लाखों लोग पीड़ित हैं। इस बीमारी को लेकर हुए एक रिसर्च में पाया गया है कि अल्जाइमर की वजह से दिल से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा दिल से जुड़ी गंभीर समस्याएं भी अल्जाइमर जैसे तंत्रिका तंत्र से जुड़ी बीमारियों का खतरा बनती हैं। हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज आदि के कारण लोगों में मस्तिष्क से जुड़े विकारों का खतरा रहता है। वैस्कुलर डिमेंशिया का सबसे प्रमुख कारण दिल से जुड़ी बीमारियों को माना जाता है। इस स्थिति में मस्तिष्क में रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती है जिसकी वजह से मस्तिष्क के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी होती है और इसकी वजह से वैस्कुलर डिमेंशिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
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ज्यादातर लोग डिमेंशिया और अल्जाइमर को सिर्फ भूलने की बीमारी समझते हैं जबकि यह भूलने की बीमारी से कहीं अधिक है। अल्जाइमर के कारण याददाश्त के अलावा शरीर गतिविधियां भी बाधित होती हैं। डिमेंशिया (अल्जाइमर सहित) की स्थिति में मरीज के हाथ-पैर भी सही तरह से काम नहीं करते हैं।
अल्जाइमर की बीमारी को तीन स्टेज में बांटा गया है। प्रत्येक स्टेज में मरीज में दिखने वाले लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। शुरूआती स्टेज या प्रथम स्टेज में मरीज को धीरे-धीरे चीजों के भूलने की शुरुआत होती है जिसके बाद यह स्थिति बढ़ने लगती है। दूसरे स्टेज में यह बीमारी पूरे मस्तिष्क पर हावी हो जाती है और व्यक्ति को याददाश्त कमजोर होने के अलावा कई और समस्याएं होती हैं। तीसरे स्टेज पर यह बीमारी गंभीर रूप धारण कर लेती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक तमाम लोग ऐसे भी हैं जिन्हें अल्जाइमर की समस्या होती तो है लेकिन उन्हें इसके बारे में पता नहीं चल पाता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि बदलती जीवनशैली के कारण बढ़ते स्ट्रोक का खतरा अल्जाइमर की वजह हो सकती है लेकिन जीवनशैली में बदलाव से शुरुआत में ही यह समस्या खत्म भी हो सकती है।
ऐसा बिलकुल नहीं है कि सभी बुजुर्गों को अल्जाइमर की समस्या होती है। लेकिन हां यह सच है कि बढ़ती उम्र में अल्जाइमर की बीमारी का खतरा अधिक रहता है। ऐसे तमाम लोग हैं जो 90 साल से अधिक उम्र के हैं लेकिन उन्हें अल्जाइमर या डिमेंशिया की समस्या नहीं होती है। इसका प्रमुख कारण यह है कि ऐसे लोग अपने दिमाग को एक्टिव रखते हैं और उनकी शारीरिक गतिविधि अल्जाइमर से ग्रसित होने वाले व्यक्ति से ठीक होती है।
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डॉ पी एन रंजन के मुताबिक आप बढ़ती उम्र के साथ अपने मस्तिष्क को जितना ज्यादा इस्तेमाल में लाते हैं। इसके अलावा आपकी डाइट बिलकुल ठीक होनी चाहिए। डिमेंशिया से बचाव के लिए एंटीऑक्सीडेंट का रोजाना सेवन बहुत जरूरी होता है। मस्तिष्क को एक्टिव रखने या पढ़ते लिखने रहने से आपको अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा कम होता है। डॉ के मुताबिक शुरुआत में इसके लक्षण दिखने पर एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार इलाज जरूर कराएं।
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