हाल में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि ज्यादातर महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल असंतुलन, चिंता और डिप्रेशन जैसे लक्षण दिखते हैं।
यदि आप एक मेनोपॉज के पड़ाव से गुजर रहे हैं या आप किसी महिला को उसके मेनोपॉज की उम्र में देखते हैं, तो आपको पता होगा कि वह पहले से अधिक तनाव में रहती है। जी हां मेनोपॉज के समय कभी-कभी, वह उदास भी दिखती है, यह सब उनमें हार्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है। ऐसा पाया गया है कि मेनोपॉज से गुजरने वाली लगभग 70% महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं। हालांकि, हर महिला के साथ ऐसा नहीं हो सकता है। इसी तरह, पोस्टमेनोपॉज़ल उम्र में, चिंता और मृत्यु का डर डिप्रेशन के सामान्य ट्रिगर हैं। इसलिए, एक मेनोपॉज से गुजरने वाली महिला को अपने मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना चाहिए। डिप्रेशन अन्य मनोवैज्ञानिक विकारों को भी जन्म दे सकता है।
द नॉर्थ अमेरिकन मेनोपॉज़ सोसाइटी (NAMS) पत्रिका ने 'मेनोपॉज़' नाम का एक अध्ययन प्रकाशित किया है, जो डिप्रेशन के संकेतों और मेनोपॉज के बीच के संबंध को स्थापित करता है। रिपोर्ट के अनुसार, मेनोपॉज के दौरान हार्मोन स्राव कम हो जाता है। यह शरीर में हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है, जो महिला को कई मनोवैज्ञानिक मुद्दों जैसे चिंता, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, उदासी, घबराहट, बेचैनी, याददाश्त में कमी आदि के जोखिम में डालता है। इन समस्याओं के ट्रिगर होने का आंकलन उनमें मौत के भय या डर से किया जाता है।
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शोध टीम के अनुसार, जो महिलाएं विधवा हैं, पति से अलग, शराब का सेवन करती है, लंबे समय से थायरॉयड से पीडि़त होती हैं, शारीरिक रूप से अक्षम होती हैं, उनमें डिप्रेशन से पीड़ित होने की बहुत अधिक संभावना है। उनकी चिंताएं और शरीर में हार्मोनल असंतुलन मिलकर डिप्रेशन को मजबूत से ट्रिगर करने का काम करते हैं।
अध्ययन में 485 पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं को शामिल किया गया। इसका उद्देश्य इन समस्याओं की आवृत्ति के साथ-साथ मेनोपॉज और मेनोपॉज के बाद की महिलाओं में डिप्रेशन को ट्रिगर करने वाले कारको का पता लगाना था। परिणामों के अनुसार, कुल महिलाओं में से लगभग 41% ने एक या दूसरे प्रकार के डिप्रेशन का अनुभव किया। मूल्यांकन के बाद, रिसर्च दल ने पाया कि चिंता और मृत्यु का डर उनमें डिप्रेशन के दो मुख्य ट्रिगर हैं, इसके साथ ही, मेनोपॉज वाली महिलाओं में डिप्रेशन एक आम समस्या है।
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द नॉर्थ अमेरिकन मेनोपॉज़ सोसाइटी (NAMS) की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. स्टेफ़नी फ़्यूबियन ने कहा, “पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं को शामिल करने वाले इस अध्ययन के निष्कर्ष मौजूदा साहित्य के अनुरूप हैं और विशेष रूप से मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षणों के उच्च प्रसार पर जोर देते हैं। विशेष रूप से डिप्रेशन या चिंता के क्रोनिक हेल्थ कंडीशन हिस्ट्री और प्रमुख तनावपूर्ण जीवन की घटनाओं जैसे मनोसामाजिक कारक हैं। "
उन्होंने कहा, "महिलाएं और डॉक्टर जो उनकी देखभाल करते हैं, उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि मेनोपॉज मूड में बदलाव की अवधि है"।
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