दुनियाभर में आखिर क्‍यों मंडरा रहा है मलेरिया का खतरा?

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक मलेरिया दुनियाभर में अब भी एक गंभीर बीमारी की तरह है। जिससे बचने के लिए कई तरह के कदम उठाने होंगे। 

Written by: Vishal Singh Updated at: 2019-12-05 17:02

कुछ लोग अब मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी को गंभीर नहीं मानते। मलेरिया अब भी पूरी दुनिया में एक गंभीर बीमारी बनी हुआ है। मलेरिया से अब भी लाखों लोगों की मौत होती है। मलेरिया की सबसे ज्यादा शिकायत बच्चों में होती है। मलेरिया को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक रिपोर्ट पेश की है। WHO के मुताबिक, मलेरिया से दुनियाभर में करीब आधी आबादी को खतरा है यानी दुनियाभर की आधी आबादी मलेरिया की चपेट में आ सकती है। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, सभी देशों ने मलेरिया से लड़ने की क्षमता को दिखा दिया है। WHO के मलेरिया के एक्सपर्ट्स पैडरो एलोनसो ने बताया की मलेरिया से होने वाले मामले और होने वाली मौतों में कई हद तक दुनियाभर में कमी आई है। मलेरिया के मामलों में 2010 से अब तक काफी कमी आई है जिनमें मौत भी कम हुई है। जब 2015 में मलेरिया के मामलों में 239 मिलियन से 214 मिलियन तक आ गई है। जिसमें की मलेरिया से होने वाली मौतों में 6 लाख 7 हजार से 5 लाख तक की गिरावट आई है।

एलोनसो के मुताबिक, मलेरिया के मामलों में दुनियाभर में अच्छा प्रदर्शन किया गया है लेकिन यह काफी धीरे-धीरे किया गया है। जिसकी वजह से मलेरिया के मामलों में गिरवट काफी धीरे हो रही है। 

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इसके अलावा 2018 में मलेरिया के मामलों में ज्यादा कमी नहीं आई थी, 2018 में मलेरिया के मामले कम तो हो रहे थे लेकिन जिस तेजी से होने चाहिए थे उतनी तेजी से इसमें सुधार नहीं हुआ। 2018 में मलेरिया के मामलों की संख्या 228 मिलियन तक ही आ पाई। जबकि 2017 में 231 मिलियन संख्या थी। 2017 में मलेरिया से होने वाली मौत की संख्या 4 लाख 16 हजार थी जबकि यह संख्या 2018 में यह सिर्फ 4 लाख 5 हजार तक ही पहुंच पाई। (जानिए कहां और कैसे पनपते हैं मलेरिया के मच्‍छर?)

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, अफ्रीका में गर्भवती महिलाएं और बच्चे ज्यादातर मलेरिया का शिकार हो रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में 11 मिलियन गर्भवती महिलाएं सब-सहारन अफ्रीका में मलेरिया की चपेट में थी। जो कि दुनियाभर की करीब 29 फीसदी गर्भवती महिलाएं हैं। जिसकी वजह से जन्म लेने वाले 9 लाख बच्चों में इसका सीधा असर पड़ता है। जो बच्चे ऐसे में जन्म लेते हैं उन्हें कई तरह का खतरा होता है जैसे उनका जन्म के बाद वजन कम होना।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक, सब-सहारन अफ्रीका में एक तिहाई से ज्यादा बच्चे खुले में सोते हैं यानी वो बच्चे सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल नहीं करते हैं। जिसकी वजह से उन्हें मच्छर से फैलने वाले रोग फैलते हैं। अगर वो सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करेंगे तो उन्हें इस खतरे से बचाया जा सकता है। महा टेयसर बराकट ने कहा की इस समय दुनिया में अगर बच्चों को मलेरिया की शिकायत होती है तो उनके पास उससे लड़ने का अच्छा उपाय है। 

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