विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें, तो हर साल करीब 8 लाख लोग आत्महत्या के कारण मर जाते हैं, जिसके पीछे डिप्रेशन का बड़ा हाथ होता है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट बताती है कि आत्महत्या 15-29 वर्षीय बच्चों में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है। इस तरह से कुल मिलाकर देखो जाए, तो दुनिया भर में आज डिप्रेशन में 264 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हैं। पर ज्यादातर लोग डिप्रेशन के लक्षणों की सही पहचान नहीं कर पाते और इसे एक आम उदासी समझ कर बिना उपचार के ही छोड़ देते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी ये है कि हम डिप्रेशन और आम उदासी के बीच का फर्क समझें। इसी बारे में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉक्टर पुलकित शर्मा बताते हैं कि अक्सर कुछ लोग सामान्य उदासी को भी अवसाद या डिप्रेशन मान लेते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।
दरअसल, अवसाद या डिप्रेशन (Depression) को मेडिकल टर्म में मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (major depressive disorder) कहा जाता है। ये एक आम और गंभीर मेडिकल कंडीशन है जो आपके अंदर नकारात्मकता बढ़ाती है और आपको परेशान करती है। ये आपके सोचने के तरीके और आपके कार्य करने के तरीके को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। आमतौर पर इसे लोग उदासी से जोड़ कर देखते हैं पर ये इससे काफी व्यापक है। इतना कि डिप्रेशन विभिन्न भावनात्मक और शारीरिक समस्याओं को जन्म दे सकता है और काम पर और घर पर कार्य करने की आपकी क्षमता को कम कर सकता है। इसके अलावा लंबे समय तक लोगों में डिप्रेशन रहने से वो आत्महत्या भी कर सकते हैं।
डॉक्टर पुलकित कहते हैं कि अवसाद और उदासी में बहुत ही बेसिक अंतर (long term sadness vs depression) देखा गया है। उदासी और अवसाद के इसी अंतर को समझना बेहद जरूरी है। "डिप्रेशन नॉर्मल उदासी से बिल्कुल अलग है। डिप्रेशन में लंबे समय तक उदासी छाई ( long term sadness) रहती है। आपके आसपास कितनी भी अच्छी घटनाएं घटित हो रही हो मगर आप उदास ही रहते हैं तो यह डिप्रेशन के संकेत हो सकते हैं। इस तरह ये साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके के प्रकारों और लक्षणों को पहचान कर समय रहते उपचार किया जाना चाहिए।
जब लोग क्लिनिकल डिप्रेशन शब्द का उपयोग करते हैं, तो वे आम तौर पर मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (MDD)के बारे में बात रहे होते हैं। डॉक्टर इसे मूड डिसऑर्डर के रूप में हैं, जिसमें व्यक्ति अपने कामकाज में बदलाव का अनुभव करता है। साथ ही इसके लक्षण 2 या इसके अधिक सप्ताह तक रहते हैं। मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर के कुछ प्रमुख लक्षणों (Symptoms of Major Depressive Disorder)की बात करें, तो इसमें शामिल हैं-
डिस्टीमिया (dysthymia in hindi), जिसे अब लगातार अवसादग्रस्तता विकार (Persistent Depressive Disorder)के रूप में जाना जाता है, ये अवसादग्रस्त व्यक्ति में कम से कम दो वर्षों से अधिक दिनों तक रहता है। इसके तमाम लक्षण व्यक्ति में लंबे समय रहता है। जैसे कि
लगातार अवसादग्रस्तता विकार के लिए उपचार में अक्सर दवाओं और मनोचिकित्सा का उपयोग शामिल होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ के अनुसार, ये विकार वयस्कों में बड़ी तेजी से बढ़ रहा है।
द्विध्रुवी विकार एक मनोदशा विकार (mood disorder) है जिसमें व्यक्ति के मूड में लगातार बदलाव आता है। कभी ये लोग जुनून के साथ कुछ करते हैं, तो कभी ऐसे लोग इतने निराश हो जाते हैं, कि आत्महत्या (bipolar disorder feeling suicidal) कर सकते हैं। तो, ऐसे लोग लोग कभी बहुत खुश हो जाते हैं। इस अवसाद वाले लोगों में अक्सर शारीरिक और भावनात्मक लक्षण होते हैं, जिनमें शामिल हैं
बाइपोलर डिसऑर्डर में आत्महत्या का जोखिम (can bipolar make you suicidal) सामान्य आबादी की तुलना में लगभग 15 गुना अधिक है। मनोविकृति (मतिभ्रम और भ्रम सहित) अधिक बढ़े हुए मामलें भी इसमें नजर आते हैं।
गर्भावस्था में अक्सर महिलाओं में हार्मोनल बदलाव आते हैं जो अक्सर एक महिला के मूड को प्रभावित कर सकती है। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान या बच्चे के जन्म के बाद डिप्रेशन की शुरुआत हो सकती है। वर्तमान में पेरिपार्टम ऑनसेट (depression with peripartum onset), पोस्टपार्टम डिप्रेशन (postpartum depression) के साथ अवसाद के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनमें आप महिलाओं में प्रसवोत्तर अवसाद के लक्षण (symptoms of postpartum depression) देख सकते हैं। जैसे कि
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS in hindi) के सबसे आम लक्षणों में चिड़चिड़ापन, थकान, चिंता, मनोदशा में बदलाव, सूजन, भूख में वृद्धि, भोजन की कमी, दर्द और स्तनों में बदलाव महसूस करना आदि शामिल है, जिसे .प्रीमेन्स्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर के लक्षणों के रूप में भी देखा जाता है। ये आमतौर पर महिलओं को पीरियड्स से पहले या पीरियड्स के दौरान महसूस होता है। इसमें मूड में लगातार बदलाव होता है, जिसके चलते व्यक्ति में एंग्जायटी और घबराहट बढ़ने लगती है।
सीजनल अफेक्टिव डिसऑर्डर (SAD)को आमतौर पर हम ऐसे समझ सकते हैं कि कई लोगों को मौसम बदलने के साथ डिप्रेशन की परेशानी होती है। खास सर्दियों में (why am i depressed in the winter)। दरअसल, बहुत से लोग सर्दियों के महीनों के दौरान अवसाद, नींद और वजन बढ़ने का अनुभव करते हैं, लेकिन वसंत में पूरी तरह से ठीक महसूस करते हैं, तो आपको मौसमी भावात्मक विकार सैड (SAD) हो सकता है। माना जाता है कि सैड शरीर के सामान्य सर्कैडियन लय में गड़बड़ी होने के कारण होता है। दरअसल, रात और दिन के पैटर्न में मौसमी बदलाव के कारण लोगों को अवसाद हो सकता है।
इसमें लोगों में अवसाद, तो होता है पर उसका प्रकार और कारण वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। इसमें वक्ति कई सारे लक्षणों का अनुभव करता है, जैसे कि अधिक भोजन करना, बहुत अधिक सोना या अस्वीकृति के लिए अत्यधिक संवेदनशील हो जाना, निराशा और हर चीज के बारे में नकारात्मक सोचना। इस तरह के तमाम बदलते हुए लक्षण इस डिप्रेशन में आते हैं।
इस तरह ऑनली माय हेल्थ के इस पेज में आप डिप्रेशन से जुड़े तमाम बातों और इसके लिए उपचारों (depression treatment in hindi) के बारे में जान सकते हैं। साथ ही यहां हम आपको डिप्रेशन से बचाव के टिप्स (tips for depression in hindi) और डिप्रेशन में सही डाइट (diet for depression in hindi) के बारे में भी बाताएंगे। साथ ही हम आपको यहां कुछ एक्सरसाइज (exercise for depression in hindi) और योग (yoga for depression and anxiety in hindi) के बारे में भी बताएंगे, जो कि आपको डिप्रेशन से बचाए रखने या डिप्रेशन से लड़ने में मदद कर सकते हैं।
Source: https:https://www.nimh.nih.gov/health/publications/depression/index.shtml
National Institute of Mental Health
//www.psychiatry.org/patients-families/depression/what-is-depression
https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/depression