स्तनपान (Breastfeeding) सिर्फ शिशु के लिए ही नहीं, बल्कि स्तनपान कराने वाली मां के लिए भी फायदेमंद होता है। आइए जानें ब्रेस्टफीडिंग के फायदे।
मां का दूध नवजात बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है क्योंकि बच्चे को इस दौरान सभी पोषक तत्व मां के दूध से ही प्राप्त होते हैं। मां के दूध में वह सभी पोषक तत्व होते हैं, जो बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए जरूरी होते हैं। इसीलिए मां का दूध बच्चे के लिए संपूर्ण आहार माना जाता है। छ: महीने तक शिशु शरीर की सारी जरूरतें मां के दूध से ही पूरी होती हैं। जिन शिशुओं को मां का दूध दिया जाता है, वे अन्य शिशुओं के मुकाबले कम बीमार पड़ते हैं और इतना ही नहीं ब्रेस्टफीडिंग सिर्फ शिशु के लिए ही नहीं, बल्कि स्तनपान कराने वाली मां के लिए भी फायदेमंद होता है। स्तनपान कराने वाली महिलाएं रोगमुक्त रहती है। आइए जानें ब्रेस्टफीडिंग के दस बेहतरीन फायदों के बारे में।
ब्रेस्टफीडिंग से शिशुओं में सांस संबंधी समस्या व कान के संक्रमण जैसी समस्याओं से रक्षा होती है। इसके अलावा यह बच्चों में मधुमेह एवं श्वेत रक्तता, और अन्य एलर्जी जैसे दमा और एक्जिमा के खतरे को कम करता है।
ब्रेस्टफीडिंग समय से पहले जन्में शिशुओं की सेहत में सुधार करता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों का वजन काफी कम होता है। ब्रेस्टफीडिंग के जरिए शिशुओं के वजन में बढोत्तरी की जा सकती है।
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ब्रेस्टफीडिंग से शिशुओं को बचपन में होने वाले मोटापे के खतरे को कम किया जा सकता है। बाहरी दूध की तुलना में मां के दूध में इन्सुलिन काफी कम होता है (इन्सुलिन वसा निर्माण को उत्प्रेरित करता है)।
स्तनपान करने वाले शिशु अपने भोजन को नियमित रूप से लेने में, और जैसे-जैसे उनका शारीरिक विकास होता है वैसे-वैसे स्वस्थ आदतों को विकसित करने में भी अधिक कुशल होते है।
मां के दूध में कई ऐसे तत्व होते हैं जो शिशु के दिमाग के विकास के लिए जरूरी है। शोध में भी यह बात साबित हो चुकी है कि स्तनपान करने वाले शिशु बुद्धिमान होते हैं।
शिशु के जन्म के पहले कुछ हफ्तों में, अधिकांश शिशुओं को अपने शरीर के तापमान को सामान्य बनाने में कठिनाई होती है। स्तनपान आपके शिशु की उसके शरीर का तापमान सामान्य रखने में मदद करता है। उसे गर्म रखने के अलावा,त्वचा का त्वचा से स्पर्श आपके और आपके शिशु के बीच मजबूत भावनात्मक बंधन को भी बढ़ाता है।
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मां के दूध के फायदों के बारे में विशेषज्ञों ने पता लगाया है कि जिन शिशुओं को टीकाकरण से ठीक पहले अथवा बाद में स्तनपान कराया जाता है, उनमें तकलीफ के कम लक्षण प्रकट होते हैं।
स्तनपान कराने वाली महिलाएं अधिक कैलोरी को इस्तेमाल करती हैं जिसकी वजह से उनका वजन बढ़ जाता है। लेकिन प्राकृतिक ढंग से वजन को कम करने और मोटापे से बचने का यह कारगर तरीका है।
जब शिशु की तबीयत ठीक नहीं होती या वो बैचेनी महसूस करता है तो स्तनपान कराने से उसे आराम मिलता है। स्तनपान शिशु का रोना कम करने, और आपको तनावमुक्त करने में मदद करता है।
स्तनपान करानेवाली माताओं को स्तन या गर्भाशय के कैंसर का खतरा कम होता है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक है। इस तरह से ब्रेस्टफीडिंग कराना बच्चे के साथ-साथ मां के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है।
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