कोरोनावायरस ही नहीं बल्कि स्वाइन फ्लू भी एक गंभीर समस्या है। इस साल इससे 28 लोगों की मौत हो चुकी है। जानें इससे बचाव और लक्षण।
एक तरफ जहां देश में सारे तंत्र कोरोनावायरस से बचाव में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ स्वाइन फ्लू भी अपने पांव पसारने लगा है। देशभर से स्वाइन फ्लू (एच1एन1) के नए मामले सामने आ रहे हैं। एच1एन1 के 6 मामले पटना में मिले हैं। पिछले एक महीने के दौरान नालंदा मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्वाइन फ्लू के 6 मामले सामने आए हैं। स्टेट सर्विलांस ऑफिसर डॉक्टर रागिनी मिश्रा के मुताबिक, मरीजों में एच1एन1 के नमूनों का परीक्षण किया गया, परिणामों के आने के बाद मरीजों को आइसोलेशन में रखा गया है।
जबकि एम्स जयपुर भर्ती एक बुजुर्ग महिला की स्वाइन फ्लू से मौत हो गई है। खबरों के मुताबिक, पिछले 15 दिनों में स्वाइन फ्लू से होने वाली ये दूसरी मौत है। वहीं महाराष्ट्र में भी स्वाइन फ्लू का एक मामले की पुष्टि हुई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2017 में स्वाइन फ्लू का प्रकोप ज्यादा था। इस दौरान स्वाइन फ्लू से 2,270 लोगों की मौत हुई थी। 2018 में इस स्वाइन फ्लू से 1,128 और साल 2019 में 1,218 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। इसके अलावा, हर साल अधिक संख्या में लोग स्वाइन फ्लू से पीड़ित होते हैं। हालांकि, इसमें कमी भी आई है। वर्ष 2017 में स्वाइन फ्लू पीड़ितों की संख्या 38,811 थी, जो 2018 में घटकर 15,226 हो गई। लेकिन, वर्ष 2019 में एच1 एन1 पीड़ितों की संख्या में फिर बढ़ोत्तरी हुई और वह 28,798 पर पहुंच गई। इस साल एक मार्च तक 1,469 लोग स्वाइन फ्लू पीड़ित पाए गए हैं, जबकि 24 लोगों की मौत हुई है। ये रिपोर्ट दैनिक जागरण वेबसाइट ने प्रकाशित की है।
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स्वाइन फ्लू या एच1 एन1 को सीजनल एंफ्लूएंजा भी कहा जाता है। स्वाइन फ्लू का प्रकोप साल में दो बार, जनवरी से मार्च व जुलाई से सितंबर के बीच ज्यादा होता है। इसके लक्षणों में शामिल हैं: सरदर्द, शरीर मैं दर्द, ठंड लगना, थकान, खांसी, गले में खराश, बुखार, उल्टी और दस्त आदि। हालांकि संक्रमण के फैलाव को रोकने के साथ इससे बचाव किया जा सकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक:
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