अगर आप सभी तरह की गतिविधियों में रुचि खो चुके हैं व हर समय निराशा घेरे रहती है। तो इसका मतलब आप अवसाद यानी कि डिप्रेशन से जूझ रहे हैं। इसके बहुत से क
अगर आप को महसूस हो रहा है कि आपकी उम्र, आप पर हावी हो रही है, तो आप अकेले नहीं। बहुत सी बार डिप्रेशन के लक्षण साफ दिखाई नहीं देते और वह धीरे-धीरे बढ़ने लगते हैं। इस उम्र में शरीर में तो कमजोरी आने ही लगती है, साथ साथ दिमागी रूप से भी बहुत चिंतित व परेशान रहने लगते हैं। डिप्रेशन जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है चाहे वह शारीरिक ऊर्जा हो या भूख और नींद या फिर काम आदि। चलिए जानते हैं विस्तार से।
अगर कार्य के बोझ के साथ साथ , परिवार की जिम्मेदारी माता-पिता की चिंता वैवाहिक जीवन की परेशानियां या अपनी नौकरी के बीच में उलझा हुआ महसूस कर रहे हैं जिसकी वजह से आप अक्सर दुखी और परेशान रहते हैं या महिलाएं अपने आपको दो पीढ़ियों के बीच में सैंडविच जैसा महसूस करतीं हैं। तो यह सब डिप्रेशन के लक्षण है। आपको यह भी महसूस होगा कि आप व्यर्थ हैं आपकी कोई इज्जत नहीं करता। व्यायाम करें, पर्याप्त आराम करें, स्वस्थ भोजन लें, दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ समय बिताएं। डिप्रेशन कम होगा।
विटामिन बी 12 की कमी भी आप के डिप्रेशन व आपके आलस का कारण बन सकती है। जैसे जैसे आपकी उम्र बढ़ेगी वैसे वैसे आपके पेट में उन एसिड्स की कमी होती जाएगी जो खाने को विटामिन बी 12 में बदलते हैं। इसलिए ज्यादा उम्र वाले लोगो में इस विटामिन की कमी अक्सर मिलती है। आप अपने डॉक्टर से एक डाइट प्लान बनवा लें। जिसमें भरपूर मात्रा में आपको यह विटामिन मिल सके।
यदि आप का थायराइड नॉर्मल से अधिक या कम है तो डिप्रेशन इसका एक लक्षण हो सकता है। या फिर आपकी उम्र बढ़ने के कारण यह आम भी हो सकता है। यदि आपका थायराइड बढ़ गया है तो आप बहुत जल्दी थका हुआ महसूस करेंगे, कुछ हृदय रोग भी आपको परेशान करेंगे। लेकिन यदि कम है तो आपको थकान व कब्ज हो सकता है। आप इस से मुक्ति पाने के लिए किसी डॉक्टर से सलाह लें सकते हैं।
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यदि आपके बच्चे पढ़ाई या काम के सिलसिले में कहीं बाहर रहने चले गए हैं। तो हो सकता है आपका यह अकेलापन ही आपके डिप्रेशन का कारण हो। रिटायरमेंट के बाद आप को यह अकेलापन और भी ज्यादा महसूस होगा। परंतु आप इस समय में परेशान होने की बजाए अपने पार्टनर से पहले की तरह जुड़ना सीखे। नई नई हॉबी अपनाएं व जिंदगी का आनंद लें। करीबी दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखें। इंटरनेट तकनीक का अन्वेषण करें जो आपको दूर के दोस्तों के साथ वर्चुअली कनेक्ट करेगी।
यदि आप को टाइप 2 डायबिटीज हैं और आपका ब्लड शुगर लेवल किसी भी तरह कम नहीं हो रहा है, तो इसकी चिंता की वजह से भी आप डिप्रेशन में जा सकते हैं। डिप्रेशन की वजह से आप खुद का अच्छे से ख्याल भी नहीं रख पाएंगे। यदि आप इस डिप्रेशन को ठीक करना चाहते हैं तो किसी डॉक्टर, मनोवैज्ञानिक या अपने किसी दोस्त को अपनी सारी व्यथा बताएं। कई बार बाते शेयर न करने की वजह से भी मन भारी रहता है।
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जोड़ों में काफी पुराना दर्द है, जैसे कि रुमेटीइड गठिया या पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस, अवसाद होने की संभावना को बढ़ाता है। वास्तव में, पुराने दर्द वाले लोगों में अवसाद या चिंता विकार होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है। और अवसाद दर्द को बदतर बना सकता है। व्यायाम, ध्यान, या संगीत सुनें। प्रतिदिन एक घंटे का शास्त्रीय संगीत गठिया के दर्द और अवसाद को कम करने में मददगार है। यदि अवसाद या दर्द कम नहीं होता तो अपने डॉक्टर से बात करें।
हार्मोन में उतार-चढ़ाव, पेरिमेनोपॉज और रजोनिवृत्ति आपके मूड को चिड़चिड़ा बना सकते हैं। यदि आपको नींद आने में परेशानी होती है, तो इस दौरान अवसाद, या पीएमएस, डिप्रेशन आदि समस्याएं बढ़ने लगतीं हैं। हल्के अवसाद के लिए, योग या गहरी साँस लेने व्यायाम करें या मित्रों और परिवार के साथ समय बितायें। अधिक गंभीर, लंबे समय तक चलने वाले लक्षणों के लिए, डॉक्टर से थेरेपी और सलाह लें।
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