हाल में हुए एक शोध के अनुसार, हर दिन एस्पिरिन की एक छोटी खुराक लेने से समय से पहले जन्म का खतरा कम हो सकता है।
हाल में हुए एक शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि रोजाना एस्पिरिन की एक छोटी खुराक यानि लो डोज लेने से गर्भवती महिलाओं में समय से पहले जन्म के खतरे को कम किया जा सकता है। इस दवा को गर्भावस्था के छठे हफ्ते से 36 वें हफ्ते तक प्रशासित किया जा सकता है।
अध्ययन के नैदानिक परीक्षण, जिसमें कि कई निम्न और मध्य-आय वाले देशों में 11,000 से अधिक महिलाएं शामिल थीं। शोधकर्ताओं ने पाया कि रोज़ाना कम खुराक वाली एस्पिरिन लेने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह से पहले प्रसव होने की संभावना 11% कम थी, बजाय उनके, जिन्हें प्लेसबो की खुराक दी गयी थी।
द लांसेट में जो अध्ययन दिखाई दिया, वह न्यूयॉर्क के डेलावेयर में क्रिस्टियाना केयर के एमडी मैथ्यू के हॉफमैन और ग्लोबल वूमन एंड चिल्ड्रन हेल्थ रिसर्च के सहयोगियों, एनआईएच के यूनिस कैनेडी श्रीवर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ एण्ड ह्यूमन डेवलपमेंट के एक नैदानिक परीक्षण नेटवर्क द्वारा किया गया था।
एनआईसीएचडी प्रेग्नेंसी और पेरीनाटोलॉजी ब्रांच के एमडी, मैरियन कोसो-थॉमस ने कहा, "हमारे परिणाम बताते हैं कि प्रारंभिक गर्भावस्था में एस्पिरिन की छोटी या कम खुराक वाली थेरेपी पहली बार माताओं में समय से पहले बच्चे के जन्म के खतरे को कम करने का एक सस्ता तरीका प्रदान कर सकती है।"
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प्रीटर्म बर्थ यानि समय से पहले जन्म शिशु की मृत्यु का सबसे आम कारण है और बच्चों में दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल दिव्यांगता का भी प्रमुख कारण है। इस अध्ययन के लेखकों के अनुसार, नवजात शिशु की देखभाल में प्रगति ने प्रीटर्म बर्थ वाले शिशुओं के अस्तित्व में सुधार किया है, लेकिन यह देखभाल दुनिया के कई हिस्सों में सीमित है।
पहले के अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि कम खुराक वाली एस्पिरिन गर्भावस्था के संभावित जीवन के लिए खतरा होने वाले ब्लड प्रेशर और प्रीक्लेम्पसिया के जोखिम को कम कर सकती है। हालांकि, ये अध्ययन काफी हद तक सांख्यिकीय रूप से समय से पहले जन्म को कम करने में चिकित्सा की प्रभावशीलता को निर्धारित करने के लिए पर्याप्त नहीं थे।
यूएस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के शोधकर्ताओं की टीम ने पाकिस्तान, केनिया, ग्वाटेमाला, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, जाम्बिया और भारत में पहली बार लगभग गर्भधारण करने वाली 11,976 महिलाओं का नामांकन और विश्लेषण किया। जिसमें आधी महिलाओं को एस्पिरिन की छोटी खुराक दी गई और बाकी आधी को प्लेसबो दिया गया।
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जिसमें कि परिणाम में पाया गया, एस्पिरिन लेने वाली प्रत्येक 1,000 महिलाओं में से 116 ने प्लेसबो लेने वाली हर 1,000 महिलाओं में 131 की तुलना में अपने बच्चे को जल्दी जन्म दिया। यानि एस्पिरिन की खुराक लेने वाली महिलाओं में बच्चे को समय से पहले जन्म देने का खतरा कम था, जबकि बाकि प्लेसबो लेने वाली महिलाओं में इसका खतरा अधिक था। टीम ने खुलासा किया कि 34 सप्ताह से पहले जन्म देने का जोखिम भी 25 प्रतिशत तक गिर गया और स्टिलबर्थ के जोखिम में भी 15 प्रतिशत की कटौती की गई।
इसलिए विशेषज्ञ गर्भावस्था के छठे सप्ताह से रोजाना 81 मिलीग्राम एस्पिरिन लेने की सलाह देते हैं। लो एस्पिरिन थेरेपी की कम लागत और सुरक्षा का सुझाव है कि इसे आसानी से विडेसकेल उपयोग के लिए अनुकूलित किया जा सकता है।
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