Suger Intake During Pregnancy: गर्भावस्था में चीनी का अधिक सेवन महिला व उसके होने वाले बच्चे के स्वास्थ पर बुरा असर डाल सकता है।
देखा जाए, तो ज्यादा चीनी का अधिक सेवन किसी के लिए भी और कभी भी स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। लेकिन खासकर गर्भावस्था के दौरान चीनी के सेवन को कम करने की सलाह दी जाती है। हालांकि प्रेग्नेंसी के नौ महीने के भीतर महिलाओं को कई बार क्रेविंग से गुजरना पड़ता है, जिस समय कभी खट्टा, तो कभी मीठा खाने का मन हो सकता है। ज्यादातर महिलाओं को अपनी प्रेग्नेंसी के दौरान अचार, आइसक्रीम, चॉकलेट या कुछ चटपटा खाने की इच्छा हो सकती है। लेकिन इस दौरान ज्यादा मीठे का सेवन आपके और होने वाले बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है।
कई अध्ययनों से भी पता चलता है, कि बहुत अधिक प्रोसेस्ड या बेक्ड मीठा खाने से महिलाओं में से आपके जेस्टेशनल डायबिटीज या गर्भकालीन मधुमेह और बच्चे को अस्थमा, एलर्जी और मोटापे जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए प्रेग्नेंसी डाइट का खास ख्याल रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि इस दौरान महिला के खानपान का सीधा असर उसके बच्चे पर पड़ता है। ऐसे में आपका खानपान आपके बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण होता है। आइए यहां हम आपको चीनी के अधिक सेवन के 3 दुष्परिणाम बता रहे हैं।
यह बात शायद आप में से हर कोई जानता ही होगा कि ज्यादा मीठा आपके मोटापे का कारण बन सकता है। लेकिन गर्भावस्था में ज्यादा मीठा या चीनी का सेवन आपके व होने वाले बच्चे दोनों में मोटापे के खतरे को बढ़ाता है। इस बात का प्रमाण कुछ अध्ययनों में भी पाया गया है, जिसमें कि शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष में पाया कि गर्भवती महिलाओं में चीनीयुक्त खाद्य व पेय पदार्थों के अधिक सेवन से उनके होने वाले बच्चे में लगभग 7 वर्ष की उम्र तक मोटे बच्चे होने की संभावना थी। इतना ही नहीं, इसका असर मां पर भी दिखा।
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बहुत अधिक चीनी का सेवन बच्चों में अस्थमा और एलर्जी के खतरे को बढ़ा सकता है। क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी में 2017 में किए गए एक अध्ययन ने भी इस बात की पुष्टि की है कि जिन बच्चों की मां ने अपनी गर्भावस्था के दौरान अत्यधिक चीनी का सेवन किया, उन्हें एलर्जी और अस्थमा था। ऐसा इसलिए होता है, कि मां के द्वारा लिए जाने वाले फ्रक्टोस की मात्रा के कारण बच्चे की इम्यून क्षमता प्रभावित होती है और इससे बच्चे में एलर्जी और अस्थमा पनपने लग जाती है। इसके अलावा, उसके फेफड़ों के विकास पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।
कुछ अध्ययनों में भी पाया गया है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का अधिक मात्रा में चीनी का सेवन, उनके बच्चे की सीखने की क्षमता और याददाश्त से जुड़ा है। इसमें सोडा ड्रिंक आदि की खपत भी बच्चों में खराब संज्ञानात्मक कौशल से जुड़ी है। हालांकि फलों का जूस से ऐसा कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
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प्रेग्नेंसी में चीनी के अधिक सेवन से बच्चों में दिल की बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
जन्म के बाद बच्चों में मेटाबॉलिज्म से जुड़ी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
इसलिए आप गर्भावस्था में अपनी मीठे की क्रेविंग को कम करने के लिए फलों का रस और फ्रूट शेक ले सकते हैं। बहुत ज्यादा आइस-क्रीम या चॉकलेट की क्रेविंग हो, तो उन्हें मॉडरेशन में खाएं।
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