Prostatitis Causes in Hindi: प्रोस्टेट ग्लैंड में सूजन और दर्द की समस्या प्रोस्टेटाइटिस हो सकती है, जानें इसके कारण, लक्षण और इलाज।
Prostatitis Causes in Hindi: प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के शरीर में मूत्राशय के नीचे मौजूद होता है। इसका काम पुरुषों में शुक्राणुओं के निर्माण में बहुत अहम होता है। प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं के कारण पुरुषों को कई गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से पेशाब से जुड़ी दिक्कतों समेत कई गंभीर परेशानियों का खतरा रहता है। प्रोस्टेट ग्लैंड में सूजन और दर्द की समस्या प्रोस्टेटाइटिस (Prostatitis) का लक्षण हो सकता है। प्रोस्टेटाइटिस की शुरूआत में मरीजों को हल्के लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ती है, लक्षण भी गंभीर होने लगते हैं। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं प्रोस्टेटाइटिस क्या है और इस समस्या का इलाज और बचाव क्या है।
प्रोस्टेटाइटिस की समस्या प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाली सूजन है। इस समस्या में आपको पेशाब करने में दिक्कत समेत गंभीर दर्द का सामना करना पड़ता है। शुरूआत में इसके लक्षणों को समझकर इलाज लेने से आप गंभीर रूप से इस बीमारी का शिकार होने से बच सकते हैं। प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियां पुरुषों में कभी न कभी जरूर होती हैं। इस परेशानी से बचने के लिए हेल्दी डाइट और नियमित रूप से एक्सरसाइज आदि का अभ्यास करना चाहिए। प्रोस्टेटाइटिस की समस्या में सही समय पर इलाज न मिलना गंभीर हो सकता है और स्थिति मेडिकल एमरजेंसी में बदल सकती है।
इसे भी पढ़ें: पुरुषों में प्रोस्टेट बढ़ने पर किन चीजों से परहेज करना चाहिए? जानें डॉक्टर से
प्रोस्टेटाइटिस की समस्या में मरीजों के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। इस परेशानी में लक्षण मरीज की शारीरिक स्थिति और बीमारी के स्टेज के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। ज्यादातर लोगों में प्रोस्टेटाइटिस होने पर पेशाब करते समय दर्द और जलन के साथ पेट के निचले हिस्से में गंभीर दर्द की समस्या होती है। प्रोस्टेटाइटिस में दिखने वाले प्रमुख लक्षण इस तरह से हैं-
प्रोस्टेटाइटिस की समस्या आमतौर पर संक्रमण के कारण होती है। पेशाब के रास्ते में बैक्टीरियल संक्रमण के कारण इसका खतरा और बढ़ जाता है। प्रोस्टेटाइटिस के मुख्य कारण इस तरह से हैं-
प्रोस्टेट में सूजन और दर्द की समस्या आमतौर पर इन्फेक्शन के कारण होती है। डॉक्टर इस स्थिति का इलाज करने के लिए सबसे पहले संक्रमण को खत्म करने की दवाओं का सेवन करने की सलाह देते हैं। मरीज की जांच के बाद स्थिति के आधार पर इलाज के लिए अलग-अलग दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है। इस स्थिति की जांच के लिए डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन, ट्रांसरेक्टल अल्ट्रासाउंड जैसी जांच की जाती है। गंभीर मामलों में डॉक्टर जांच के लिए बायोप्सी का सहारा लेते हैं। इस गंभीर स्थिति से बचाव के लिए आपको खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा हेल्दी लाइफस्टाइल और स्मोकिंग व शराब का सेवन कम करने से इसका खतरा कम होता है।
(Image Courtesy: Freepik.com)
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।