ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों की कमजोरी से जुड़ी बीमारी है, जानें इस बीमारी से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें (मिथक) और उनकी सच्चाई।
ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों की कमजोरी से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जिसकी वजह से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। यह बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हर व्यक्ति की हड्डियों के टूटने का खतरा भी अधिक रहता है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा ज्यादा रहता है। अमेरिका जैसे विकसित देश में 8 मिलियन से अधिक महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या है। हड्डियों के घनत्व के कम ओने पर यह समस्या तमाम महिलाओं में देखी जाती है। इस बीमारी के बारे में उचित जानकारी रहने पर आप शुरुआत में ही इसके लक्षण को देखकर इसके बचाव से जुड़े उपाय शुरू कर सकते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई जानने से आप इस समस्या से बच सकते हैं। आइये जानते हैं ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से जुड़ी कुछ भ्रामक बातें (मिथक) और उनकी सच्चाई के बारे में।
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फोर्टिस अस्पताल के डॉयरेक्टर आर्थोपेडिक्स डॉ धनंजय गुप्ता के मुताबिक ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में हड्डियों की गुणवत्ता और उसके घनत्व पर असर होता है। इस समस्या के लक्षण सामान्यतः जल्दी नहीं दिखाई देते हैं। शरीर में कैल्शियम, फॉस्फोरस और प्रोटीन और कई अन्य मिनरल्स की कमी होने पर यह समस्या होती है। ज्यादातर लोगों में यह समस्या अनियमित जीवनशैली और खानपान के कारण होती है। अनियमित जीवनशैली और बढ़ती उम्र के साथ ये मिनरल नष्ट होने लगते हैं, जिस वजह से हड्डियों का घनत्व कम होने लगता है और वे कमजोर होने लगती हैं। कई बार तो हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि काई छोटी सी चोट भी फ्रैक्चर का कारण बन जाती है। गौरतलब है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक महिलाओं में हीप फ्रेक्चर (कुल्हे की हड्डी का टूट जाना) की आशंका, स्तन कैंसर, यूटेराइन कैंसर तथा ओवरियन कैंसर जितनी ही है।
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1. ऑस्टियोपोरोसिस केवल महिलाओं में होती है
पीरियड्स के बाद महिलाओं में होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका अधिक होती है। क्योंकि मासिक धर्म यानी पीरियड्स के बाद एस्ट्रोजन हॉर्मोन का उत्पादन इस स्थिति के लिए सबसे प्रमुख कारण माना जाता है। इसकी वजह से महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो सकती हैं। लेकिन सिर्फ ऐसा नहीं कि यह समस्या महिलाओं में ही होती है। पुरुषों में भी ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या हो सकती है। ऐसे कई मामले भी देखने को मिले हैं।
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2. ऑस्टियोपोरोसिस में केवल हड्डियां प्रभावित होती हैं
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या के बारे में ज्यादातर लोगों का मत यह है कि यह समस्या सिर्फ हड्डियों को प्रभावित करती है। लेकिन हड्डियों को कमजोर करने के अलावा इसकी वजह से कई अन्य समस्याएं भी हो सकती है। हड्डियों का स्वास्थ्य खराब होने के कारण मांसपेशियों में भी कई समस्याएं हो सकती हैं।
3. ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में दर्द नहीं होता है
बहुत से लोगों का यह मानना है कि ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में मरीज को दर्द नहीं होता है। दरअसल इस समस्या में दर्द तब तक ही नहीं होता है जब तक हड्डियां फ्रैक्चर नहीं होती हैं। इसके अलावा इस बीमारी के गंभीर होने पर आपको दर्द हो सकता है। खासकर ऐसी स्थिति में जब ऑस्टियोपोरोसिस की वजह से आपको कई बार फ्रैक्चर की समस्या हो चुकी हो।
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4. ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के कोई उपाय नहीं हैं
ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से जुड़ा एक मिथक यह भी है कि इस समस्या से बचाव के लिए कोई उपाय नहीं है। सच्चाई यह कि हड्डियों से जुड़ी इस बीमारी से बचाव के लिए आप कई महत्वपूर्ण कदम उठा सकते हैं। ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या से बचने के लिए आप खानपान और जीवनशैली से जुड़े ये बदलाव कर सकते हैं।
5. सभी महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस से बचाव के लिए विटामिन डी और कैल्शियम का सेवन करना चाहिए
ऐसा नहीं है, ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या में बचाव के लिए ऊपर बताई गयी बातों के अलावा डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही काम करना चाहिए।
ऑस्टियोपोरोसिस की जांच के लिए बीएमडी टेस्ट अर्थात बोन मिनरल डेंसिटी टेस्ट कराया जाता है। इस जांच के तहत कमर की हड्डी, कूल्हे, एड़ी, कलाई या हाथ की उंगलियों की विशेष एक्स-रे द्वारा जांच होती है। इस जांच में 2 एक्स-रे ट्यूब के बीच अंगों को रखकर इसकी जांच की जाती है इसलिए इसे Dual Xray Absorptiometry या DXA या डेक्सा स्कैन भी कहते हैं। इस जांच से प्राप्त परिणाम को टी स्कोर कहते हैं। अगर इस जांच में आपकी हड्डियों का टी-स्कोर 2.5 से ऊपर है, तो आप सुरक्षित हैं। इसके अलावा कैल्केनियल क्वांटिटेटिव अल्ट्रासाउंड के द्वारा भी ऑस्टियोपोरोसिस का पता लगाया जा सकता है। इस बीमारी के लक्षण दिखने पर आपको चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए।
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