Pregnancy Tips:गर्भावस्था के दौरान महिला के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी हेाता है क्योंकि यह जच्चा-बच्चा दाेेनों के स्वास्थ्य से जुड़ा है।
संतुलित आहार का सेवन सबके लिए आवश्यक है खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह बेहद ही जरुरी है। क्योंकि गर्भवती होने के दौरान वो कुछ भी खाती है, वही उनके गर्भ में पल रहे बच्चे के भीतर भी जाता है। लेकिन क्या पीना चाहिए और किन चीजों से परहेज करना चाहिए, यह ज्यादातर गर्भवती महिलाओं के लिए हमेशा एक बड़ा सवाल होता है। इसके अलावा, पोषक तत्वों में से किसी की कमी से बच्चों में जन्म दोष हो सकता है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए हमने पोषक तत्वों की एक व्यापक सूची बनाई है जो गर्भवती महिला के लिए जरूरी हैं।
गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बच्चे को ऑक्सीजन देने में मदद करता है। आयरन के कुछ समृद्ध स्रोत हैं, रेड मीट, मटर, सूखे बीन्स, और आयरन-फोर्टिफाइड अनाज। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत सरकार ने अब कम से कम 100 दिनों के लिए गर्भावस्था की सेकंड हाफ में 100 आयरन के साथ 500 मिलीग्राम फोलिक एसिड का सेवन करने का सुझाव दिया है।
मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए कैल्शियम की आवश्यकता होती है। कैल्शियम के स्रोतों में पनीर, दही, दूध और सार्डिन (एक प्रकार की छोटी मछली) शामिल हैं। एक गर्भवती महिला को हर दिन लगभग 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम की आवश्यकता होती है। हर गर्भवती महिला द्वारा कैल्शियम सप्लीमेंट का सेवन अनिवार्य नहीं है, क्योंकि यह गर्भावस्था के दौरान मां के स्वास्थ्य की स्थिति पर निर्भर करता है।
विटामिन बी 6 शरीर में फैट, प्रोटीन, और कार्बोहाइड्रेट का उपयोग करने में शरीर की मदद करता है। विटामिन बी 6 पोर्क लिवर, केले और पोर्क में पाया जा सकता है। गर्भवती महिला को रोज लगभग 1.9 मिलीग्राम विटामिन बी 6 का सेवन करना चाहिए।
विटामिन डी कैल्शियम के लिए काफी मददगार होता है, क्योंकि यह कैल्शियम को शरीर में ठीक से अवशोषित करने में मदद करता है। साथ ही यह बच्चे की हड्डियों और दांतों को बनाने में भी मदद करता है। दूध, मछली और धूप में बैठकर विटामिन डी प्राप्त किया जा सकता है। एक गर्भवती महिला को हर दिन लगभग 0.015 मिलीग्राम विटामिन डी की आवश्यकता होती है।
यह विटामिन विकासशील भ्रूण के लिए प्रोटीन और रक्त के उत्पादन में आवश्यक होता है। फोलेट न्यूरल ट्यूब दोष (जन्म दोष का एक प्रकार) के जोखिम को कम करने में भी मदद करता है। फोलेट हरी पत्तेदार सब्जियों, संतरे का रस, फलियां (दाल, मटर, और बीन्स) और नट्स में पाया जा सकता है। एक गर्भवती महिला को गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों के दौरान हर दिन कम से कम 400 माइक्रोग्राम फोलेट का सेवन करना चाहिए ताकि न्यूरल ट्यूब कीड़ों का खतरा कम हो सके। हालांकि, एक गर्भवती महिला को हर दिन 600 माइक्रोग्राम लेना चाहिए।
आयोडीन भ्रूण के उत्पादन के साथ-साथ मातृ थायराइड हार्मोन के लिए एक जरूरी है, जो भ्रूण के ब्रेन और नर्वस सिस्टम के विकास को नियंत्रित करता है। एक गर्भवती महिला को हर दिन कम से कम 250 माइक्रोग्राम आयोडीन का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
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गर्भावस्था के दौरान विटामिन ए भ्रूण के विकास, स्वास्थ्य और उसकी इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए आवश्यक है। विटामिन ए मांस, बीन्स, गाजर, पोल्ट्री, पालक, केल, आदि में पाया जा सकता है।
भ्रूण के विकास और वृद्धि के लिए प्रोटीन आवश्यक हैं। प्रोटीन का मस्तिष्क और विकासशील बच्चे के ऊतकों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है। प्रोटीन स्तन और गर्भाशय के ऊतकों को बढ़ने में भी मदद करते हैं और शरीर में रक्त की आपूर्ति बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आमतौर पर यह सिफारिश की जाती है कि एक गर्भवती महिला को अपने पूर्व गर्भावस्था आहार की तुलना में हर दिन 60 - 100 ग्राम प्रोटीन या प्रति दिन लगभग 30 ग्राम अधिक प्रोटीन का सेवन करना चाहिए। प्रोटीन से भरपूर भोजन में मछली, मांस, पोल्ट्री, बीन्स, पनीर, टोफू, दूध, बीज और नट्स शामिल हैं।
वजन प्राप्त करना एक आवश्यक कारक है जो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए एक निर्धारित कारक के रूप में कार्य करता है। बॉडी इंडेक्स वाली गर्भवती महिला जो सामान्य सीमा के भीतर आती है, उसे हर दिन लगभग 300 कैलोरी खाने की आवश्यकता होती है। हालांकि, एक से अधिक बच्चे यानि गर्भ में जुड़वा बच्चे होने वर गर्भवती महिलाओं के लिए कैलोरी और पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, जुड़वां गर्भवती महिला को प्रतिदिन 600 अतिरिक्त कैलोरी का सेवन करना पड़ता है।
अगर कोई महिला कम वजन की है और उसका बीएमआई 18.5 से कम है तो उसे 13 से 18 किलोग्राम वजन बढ़ना चाहिए। एक महिला जिसका बीएमआई 18.5 से 24.9 के बीच है, उसे वजन 11 से 16 किलोग्राम के आसपास बढ़ाना चाहिए। 25 से 29.9 की बीएमआई वाली महिला को लगभग 7 से 11 किलोग्राम वजन बढ़ाना चाहिए। वहीं 30 या उससे अधिक बीएमआई वाली मोटापे से ग्रस्त महिला को लगभग 5 से 9 किलोग्राम वजन प्राप्त करना चाहिए।
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वजन बढ़ने का पैटर्न जुड़वां या उससे ज्यादा बच्चों की गर्भवती महिला के लिए अलग होता है। इस मामले में अगर किसी गर्भवती महिला का वजन सामान्य है और बीएमआई 18.5 से 24.9 के बीच है तो उसे लगभग 17 से 25 किलोग्राम वजन प्राप्त करना चाहिए। 25 से 29.9 की बीएमआई वजन वाली महिला को 14 से 23 किलोग्राम के बीच वजन बढ़ाना चाहिए। वहीं बीएमआई 30 या उससे अधिक की मोटापे से ग्रस्त महिला को 11 से 19 किलोग्राम वजन प्राप्त करना चाहिए। हालांकि, आपका डॉक्टर इस बात को सबसे अच्छे तरीके बता पाएगा कि आपकी गर्भावस्था कितनी बेहतर है और आपको कौन से पूरक आहार की आवश्यकता है, इसलिए इस संबंध में उनकी सलाह का पालन करना महत्वपूर्ण है। इन सभी बातोंके साथ-साथ अपने खानपान अपने बढ़ते वजन और पूरक आहार के बारे में डक्टर से भी सलाह लेना जरूरी है।
आहार एक विकासशील भ्रूण के स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, पोषक तत्वों में से किसी एक की कमी से बच्चों में जन्म दोष हो सकता है। ये जरूरी है कि मां को पौष्टिक भोजन खाना चाहिए और स्वस्थ जीवन शैली चुनें। जन्म दोषों के जोखिम को कम करने के लिए गर्भावस्था से पहले और बाद में जीवनशैली की कुछ आदतों का उल्लेख किया जाना चाहिए:
यह लेख डॉ. बिनीता प्रियबंदा, सीनियर कंसल्टेंट, मेडिकल टीम (डॉकप्राइम.कॉम) से बातचीत पर आधरित है।
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