पीरियड्स के दौरान तमाम महिलाएं मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल सिर्फ इसलिए नहीं करती हैं क्योंकि इससे जुड़े कुछ मिथ लोगों के मन में हैं, जानें इनकी सच्चाई।
समय के साथ-साथ समाज में पीरियड्स यानि मासिक धर्म को लेकर जागरुकता बढ़ी है और इसे लेकर लोगों का नजरिया भी बदला है। महिलाओं में भी पीरियड्स के लेकर जागरूकता बढ़ने के बाद हाइजीन को लेकर विशेष ध्यान रखा जाने लगा है। पुराने जमाने में महिलाएं पीरियड्स के दौरान कपड़े आदि का इस्तेमाल करती थीं लेकिन जैसे-जैसे समय बदला पीरियड्स के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली चीजें भी बदली हैं। आज के दौर में पीरियड्स के दौरान होने वाले ब्लड फ्लो को मैनेज करने के लिए सैनिटरी पैड्स, टेम्पोन व मेंस्ट्रुअल कप जैसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करती हैं। बीते कुछ सालों से पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप (Menstrual Cup) के इस्तेमाल का चलन बढ़ा है। दरअसल मेंस्ट्रुअल कप मेडिकल-ग्रेड सिलिकॉन से बने बेल-शेप्ड कप होते हैं जो आराम से वजाइना में इन्सर्ट हो जाता है। मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल बढ़ने से इसके बारे में लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां (मिथक) भी हो गयी हैं। आइये जानते हैं मेंस्ट्रुअल कप से जुड़ी ऐसी ही कुछ भ्रांतियों और उनकी सच्चाई के बारे में।
आज भी सभी महिलाओं को मेंस्ट्रुअल कप जैसे प्रोडक्ट्स के इस्तेमाल से जुड़ी सटीक जानकारी नहीं है। जानकारी के अभाव में महिलाओं के मन में इससे जुड़े कुछ मिथ बैठ गए हैं। इन मिथक की सच्चाई से हर महिला को वाकिफ होना चाहिए।
मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल को लेकर लोगों में यह मिथ है कि वर्जिन यानि कुंवारी लड़कियों को इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हालांकि कुंवारी और वर्जिन शब्द को लेकर अलग-अलग लोगों की राय अलग है लेकिन लोगों में यह भ्रांति है की अगर वर्जिन लड़कियां इसका इस्तेमाल करेंगी तो इससे उनकी वर्जिनिटी पर असर हो सकता है।
सच्चाई
पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल और वर्जिनिटी में कोई संबंध नही है। यह सिर्फ लोगों की एक गलत धारणा है।
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मेंस्ट्रुअल कप की साइज के बारे में बहुत सी महिलाओं को जानकारी नहीं है। तमाम महिलाएं सोचती हैं कि मेंस्ट्रुअल कप की साइज हर किसी के लिए एक ही होती है। और साइज के बारे में गलत जानकारी की वजह से तमाम महिलाएं सिर्फ इसलिए ही इसका इस्तेमाल नहीं करती हैं कि साइज में छोटा या बड़ा होने पर कहीं यह उनकी वजाइना में फंस न जाये।
सच्चाई
सच्चाई यह है कि मेंस्ट्रुअल कप की साइज हर किसी के लिए अलग-अलग होती है। साइज के आधार पर ही इसका इस्तेमाल किया जाता है।
महिलाओं में मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल को लेकर यह मिथक फैल चुका है कि इसका इस्तेमाल एक बार लगाने पर 12 घंटे के लिए किया जा सकता है। तमाम महिलाएं ऐसा करती भी हैं लेकिन इसकी वजह से उन्हें दिक्कतें भी हो सकती हैं।
सच्चाई
मेंस्ट्रुअल कप को कभी भी लगातार 12 घंटे के लिए लगाकर नहीं रखना चाहिए। हर 4 से 8 घंटे के बाद इसे धोकर साफ करने के बाद फिर से लगाना चाहिए।
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महिलाओं में मेंस्ट्रुअल कप को लेकर यह धारणा है कि इसके इस्तेमाल के बाद पेशाब करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उन्हें लगता है कि मेंस्ट्रुअल कप की डिजाइन ही ऐसी होती है कि उसकी वजह से पेशाब करने में समस्या हो सकती है।
सच्चाई
इस बात की सच्चाई यह है कि मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने के बाद पेशाब करने में कोई दिक्कत नहीं होती है। इसकी डिजाइन ही ऐसी बनी होती है कि इसके इस्तेमाल के दौरान पेशाब में दिक्कत न हो।
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तमाम महिलाओं में यह धारणा बनी हुई है कि मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करने के बाद सोने में दिक्कत होती है। आप इसको पहनकर 6 से 8 घंटे की नींद नहीं ले सकती हैं।
सच्चाई
हालांकि यह भी एक भ्रांति है। मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल करके महिलाएं आराम से सो सकती हैं।
हैवी पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल को लेकर महिलाओं में यह धारणा है कि ऐसी स्थिति में इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। जिन महिलाओं को पीरियड्स के समय ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या होती है वो इसका इस्तेमाल नहीं कर सकती हैं।
सच्चाई
हैवी पीरियड्स के दौरान मेंस्ट्रुअल कप का इस्तेमाल बिलकुल सुरक्षित और उपयोगी होता है। टैम्पोन और पैड की तुलना में मेंस्ट्रुअल कप में ज्यादा ब्लीडिंग कवर की जा सकती है।
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हमें उम्मीद है कि मेंस्ट्रुअल कप के इस्तेमाल से जुड़े कुछ मिथ के बारे में दी गयी यह जानकारी आपको पसंद आयी होगी। यह जरूर है कि शुरुआत में मेंस्ट्रुअल कप का चयन और इसका इस्तेमाल करना महिलाओं के लिए थोड़ा कठिन हो सकता है लेकिन एक बार सीख जाने के बाद यह पीरियड्स में एक बेहतर विकल्प हो सकता है।
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