चिकनगुनिया से जुड़े 6 मिथक और उनकी सच्चाई, जिसे आपको जरूर जानना चाहिए

चिकनगुनिया में डेंगू और सामान्य बुखार जैसे लक्षण देखे जाते हैं जिसकी वजह से इनमें अंतर कर पाना मुश्किल होता है, जानें चिकनगुनिया से जुड़े मिथक। 

Written by: Prins Bahadur Singh Updated at: 2021-11-23 15:24

मौसम बदलने के साथ बुखार, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ते रहते हैं। चिकनगुनिया की बीमारी मच्छरों के काटने से लोगों में फैलती है और एक अनुमान के मुताबिक हर साल ये हजारों लोगों की जान ले लेती है। चिकनगुनिया एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में एनोफिलीज नाम के मच्छरों के काटने से फैलता है। कई बार लोग चिकनगुनिया के बुखार को सामान्य बुखार समझने की गलती कर देते हैं। ऐसा अक्सर चिकनगुनिया के बारे में जानकारी के अभाव में होता है। आमतौर पर चिकनगुनिया, डेंगू और सामान्य बुखार के बीच ज्यादा अंतर नहीं होता है। इस बुखार में दिखने वाले लक्षण सामान्य बुखार से थोड़ा गंभीर भले ही होते हैं लेकिन सामान्य रूप से डेंगू और बुखार की समस्या में एक जैसी ही लक्षण दिखते हैं। चिकनगुनिया का बुखार चिकनगुनिया वायरस के कारण होता है जिसके बारे में जानकारी की कमी की वजह से लोग अक्सर इसे सामान्य बुखार समझने की कोशिश करते हैं। चिकनगुनिया के बारे में इंटरनेट से लेकर लोगों के बीच में कई तरह की भ्रामक बातें (मिथक) मौजूद हैं जिसकी वजह से लोग इसके इलाज में भी लापरवाही बरतते हैं। आइये विस्तार से जानते हैं चिकनगुनिया से जुड़े कुछ मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।

चिकनगुनिया से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई (Myths And Facts About Chikungunya)

चिकनगुनिया और डेंगू बुखार के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं लेकिन डेंगू चिकनगुनिया की तुलना में ज्य़ादा खतरनाक होता है। चिकनगुनिया की वजह से होने वाला दर्द कुछ महीनों या वर्षों तक बना रह सकता है। चिकनगुनिया 1 से 12 दिन तक रहता है लेकिन इसके लक्षण कई दिनों तक शरीर में मौज़ूद रहते हैं। यह बीमारी एक संक्रामक बीमारी है जो एक खास तरह के मच्छरों के काटने से होती है। अक्सर जानकारी के अभाव में लोग इसके लक्षणों को सामान्य बुखार के लक्षण समझने की कोशिश करते हैं जिसे घातक माना जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं इस बीमारी से जुड़े मिथक और उनकी सच्चाई के बारे में।

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1. चिकनगुनिया के मच्छर गंदे पानी में पनपते हैं

लोगों के मन में चिकनगुनिया बुखार को लेकर सबसे बड़ा भ्रम ये है कि जिन मच्छरों के काटने से यह बीमारी फैलती है वे गंदे पानी में फैलते हैं। दरअसल एनोफिलीज मच्छर सिर्फ गंदे पानी में ही नहीं बल्कि साफ पानी में भी पनप सकते हैं। दरअसल बारिश के मौसम में जब जगह-जगह गंदा पानी जमा हो जाता है तो ये मच्छर उस जगह तेजी से फैलते हैं लेकिन इसके अलावा साफ जमा पानी में भी ये मच्छर पनप सकते हैं। यह कहा जाता है कि चिकनगुनिया के मच्छर बर्तनों, बेसिन और सिंक में जमा हुए पानी में भी पनप सकते हैं।

2. डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी एक ही है

चिकनगुनिया की बीमारी को लेकर लोगों में सबसे प्रमुख भ्रम यह है कि डेंगू और चिकनगुनिया की बीमारी एक ही है। जबकि असल में ऐसा बिलकुल भी नहीं है। डेंगू और चिकनगुनिया दोनों अलग-अलग बीमारी है। भले ही ये दोनों वेक्टर जनित रोग हैं और मच्छरों के काटने से फैलती है लेकिन इनके वायरस एक दूसरे से बिलकुल अलग हैं। डेंगू बुखार सामान्यतः फ्लेविरिडी फ्लेविवायरस से फैलता है और चिकनगुनिया टोगाविरिडे अल्फावायरस के कारण फैलता है। चिकनगुनिया की बीमारी में मरीज में इसके लक्षण अधिकतम 2 सप्ताह तक रहते हैं और वहीं अगर मरीज को डेंगू हैं तो उसे महीने भर भी इसके लक्षण दिखाई दे सकते हैं। दोनों समस्याओं में दिखने वाले लक्षण सामान्यतः एक जैसे ही होते हैं लेकिन इनकी जांच के बाद आप इनके अंतर के बारे में जान सकते हैं।

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3. धुआं और कीटनाशक स्प्रे से इसके मच्छरों से मिलता है छुटकारा

अक्सर लोग यह सोचते हैं कि चिकनगुनिया के मच्छरों से छुटकारा कीटनाशक स्प्रे करने और धुआं करने से मिल सकता है। असल में ऐसा बिलकुल भी नहीं है। दरअसल चिकनगुनिया के मच्छरों पर धुआं और स्प्रे का असर उतना नहीं होता है जितना अन्य तरह के मच्छरों पर होता है। धुआं करने या कीटनाशकों का स्प्रे करने से भले ही इन मच्छरों की संख्या थोड़ी कम हो जाती है लेकिन पूरी तरह से इनका सफाया स्प्रे या धुआं से नहीं हो सकता है। चिकनगुनिया के मच्छरों के अंडे और लार्वा पर धुआं और कीटनाशकों के स्प्रे का असर कुछ ज्यादा नहीं होता है।

4. चिकनगुनिया की बीमारी की वजह से जोड़ों की समस्याएं होती हैं

चिकनगुनिया की बीमारी में जोड़ों का दर्द एक लक्षण होता है और यह समस्या काफी गंभीर भी हो सकती है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसकी वजह से आपको जोड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है। आमतौर पर मरीजों को चिकनगुनिया में जोड़ों में दर्द की समस्या होती है लेकिन बुखार ठीक होने के बाद यह भी ठीक ही हो जाता है।

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5. सिर्फ एंटीबायोटिक दवाओं से ही होता है चिकनगुनिया का इलाज

दरअसल एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन की सलाह सभी डॉक्टर डेंगू और चिकनगुनिया के मरीजों को दे सकते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ इन्हीं दवाओं से ही इसका इलाज किया जाता है। डेंगू और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों का इलाज ओरल फ्लूड से भी हो सकता है। अब खबर यह भी है डेंगू के लिए जल्द ही टीका लगना शुरू हो सकता है।

6. चिकनगुनिया की समस्या में प्लेटलेट्स नहीं कम होते हैं

ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि चिकनगुनिया की समस्या में प्लेटलेट्स की संख्या कम नहीं होती है। जबकि सच्चाई यह है कि डेंगू के अलावा चिकनगुनिया की समस्या में भी प्लेटलेट्स की संख्या घट सकती है। चिकनगुनिया में धीरे-धीरे प्लेटलेट्स की संख्या घटती है और मरीजों में इसका असर धीरे-धीरे होता है।

चिकनगुनिया के लक्षण (Chikungunya Symptoms)

  • चिकनगुनिया की बीमारी में दिखने वाले लक्षण डेंगू के लगभग समान ही होते हैं।
  • आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण 2 सप्ताह तक बने रह सकते हैं।
  • चिकनगुनिया में बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द की समस्या होती है।
  • इस बुखार में आंखों में भी गंभीर दर्द होता है।
  • चिकनगुनिया की समस्या में स्किन पर रैशेज भी हो सकते हैं।
  • हाथ पैर और जोड़ों में गंभीर दर्द।
  • हाथ-पैर और जोड़ों में सूजन की समस्या
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चिकनगुनिया की समस्या में ऊपर बताये गए लक्षण आमतौर पर दिखते हैं। कुछ गंभीर मामलों में इसके अलावा दूसरे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं। चिकनगुनिया से बचाव के लिए आपको बरसात के मौसम में पूरी बांह के कपड़े पहनने चाहिए। इसके साथ मच्छरों से बचाव के क्रीम का इस्तेमाल भी अच्छा माना जाता है। इसके लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह के बाद जांच करानी चाहिए। 

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