शरीर की हड्डी और पसलियों में दर्द होना कोई हैरानी की बात नहीं है। यह समस्या किसी भी व्यक्ति को होती है। जो लोग जॉब करते हैं और 8 से 9 घंटे एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं उन्हें अक्सर पसलियों में दर्द रहता है। कई बार हमें समझ ही नहीं आता कि हमार...
शरीर की हड्डी और पसलियों में दर्द होना कोई हैरानी की बात नहीं है। यह समस्या किसी भी व्यक्ति को होती है। जो लोग जॉब करते हैं और 8 से 9 घंटे एक ही पोजीशन में बैठे रहते हैं उन्हें अक्सर पसलियों में दर्द रहता है। कई बार हमें समझ ही नहीं आता कि हमारे शरीर में होने वाले दर्द का कारण क्या हैं और इसे वास्तव में किस नाम से पुरारते हैं। आपको बता दें कि हड्डियों के आसपास होने वाला दर्द मसक्यूलोस्केलेटल पेन का लक्षण है। आर्थराइटिस में दर्द ज्यादातर जोड़ों से शुरू होता है और आसपास के सॉफ्ट टिशूज तक जाता है। जबकि मसक्यूलोस्केलेटल पेन न सिर्फ जोड़ों में बल्कि हड्डियों और उसके आसपास के लिगामेंट्स, सॉफ्ट टिशूज में भी होता है। इस तरह का दर्द खिलाड़ियों को भी होता है, जब वे अपनी फिजिकल ट्रेनिंग कम कर देते हैं या एक्सरसाइज बिल्कुल बंद कर देते हैं।
मसक्यूलोस्केलेटल पेन के कारणों में मूवमेंट्स, फ्रैक्चर, स्प्रेन, डिस्लोकेशन, बहुत ज्यादा देर तक बैठे रहना, गिरना आदि शामिल है। इसके अलावा पॉश्चर में बदलाव या बॉडी के खराब मैकेनिज्म के कारण स्पाइनल अलाइनमेंट और मसल्स शॉर्टनिंग की समस्या होती है। इससे दूसरी मसल्स का इस्तेमाल होता है जिससे दर्द होने लगता है।
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कुछ लोग पूरे शरीर में दर्द की शिकायत करते हैं। उन्हें मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होता हैं। कभी-कभी, मांसपेशियों में ऐंठन या जलन भी महसूस होती है। इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग होते है, लेकिन आम लक्षणों में हैं:
दर्द आर्थराइटिस, इंफेक्शन, ज्वाइंट डिजनरेशन के कारण या बॉडी फैट या मसल्स के कारण होता है। पेन कहां और किस तरह का है इसके प्रकार के बारे में हम डॉक्टर से जानकारी ले सकते हैं। दर्द के सही प्रकार को जानने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट, यूरीन टेस्ट, जोड़ों के लिए फ्लूइड का टेस्ट, सीटी स्कैन, एमआरआई टेस्ट, एक्स-रे आदि करवाते हैं। फिर इसके अनुसार वह ट्रीटमेंट की सलाह देते हैं।
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यूं तो मसक्यलोस्केलेटल पेन का इलाज दवाएं, फिजिकल थैरेपी, लोकल इंजेक्शन, ज्वाइंट रिप्लेसमेंट, स्पाइन डीकम्प्रेशन, एक्यूपंक्चर, एक्यूप्रेशर से ठीक हो सकता है। लेकिन डाक्टर जिस तरह का दर्द होता है उसी के अनुसार इलाज की सलाह देते हैं। कई बार दर्द सिर्फ फिजिकल एक्सरसाइज या कम समय के लिए दवाएं लेकर भी ठीक हो सकता है। विशेष तौर पर इस दर्द के लिए अनुभवी फिजिशियन या आर्थराइटिस और दूसरी जोड़ों, हड्डियों और मसल्स की समस्या का इलाज करने वाले रूमेटोलोजिस्ट कहते हैं कि अगर यह दर्द ज्यादा सीरियस न हो तो इसे अपने आप ठीक होने का मौका देना चाहिए। लेकिन दर्द फिर भी बना रहे तो शुरुआती स्टेज पर ही डॉक्टर से इलाज लेना शुरू कर देना चाहिए। कुछ मसक्यूलोस्केलेटल डिस्ऑर्डर का निदान एक बार में नहीं हो पाता और समय के साथ इसके लक्षण भी बदलते रहते हैं। इस तरह की समस्या होने पर डॉक्टर इसके अनुसार इसका इलाज करते हैं।
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