कम उम्र से ही इन स्वस्थ आदतों को अपनाकर हम अल्जाइमर रोग के जोखिम को कम कर सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है ये टिप्स।
अल्जाइमर रोग ( alzheimer disease) मस्तिष्क से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इसमें एक रोगी का मतिष्क और उनकी तंत्रिका तंत्र धीमे-धीमे कमजोर हो जाती है। उसके बाद मस्तिष्क की कोशिकाएं लगभग खत्म होने लगती हैं। अल्जाइमर रोग याददाश्त कमजोर होने कासबसे आम कारण है। इसकी वजह से सोच, व्यवहार और सामाजिक कौशल में निरंतर गिरावट आती है जो कि किसी व्यक्ति की स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करती है। यहां तक कि कुछ लोगों में अल्जाइमर के लक्षणों में आप ये भी पाएंगे कि वे तुरंत में हुई घटनाओं और बातचीत को भी भूल जाते हैं। हालांकि, दवाएं अस्थायी रूप से लक्षणों में सुधार करती है पर ऐसा कोई इलाज नहीं है जो अल्जाइमर रोग को ठीक करता हो या मस्तिष्क में रोग प्रक्रिया को बदल देता हो। ऐसी स्थिति सबसे जरूरी है अल्जाइमर रोग के बचाव (how to prevent alzeimer) जिसके बारे में हमें GOQii विशेषज्ञ कोच गीतिका पाटनी (Geetika Patni) ने बताया।
गीतिका पाटनी (Geetika Patni)अल्जाइमर रोग को लेकर कहती हैं कि अल्जाइमर को एक असहाय बीमारी माना जाता है और इसकी शुरुआत से ही इसके लक्षण बढ़ने लगते हैं। ऐसे में आप अपनी लाइफस्टाइल में कुछ जरूरी बदलाव कर इस बीमारी से बच सकते हैं। जैसे कि
अल्जाइमर ज्यादातर उन लोगों में तेजी से बढ़ता है जिनकी दैनिक गतिविधियां कम होने लगती हैं। इसके अलावा जो लोग 6 घंटे से ज्यादा समय तक बैठे रहते हैं या फिर जिनका ज्यादातर काम बैठने का है उनमें बढ़ती हुआ उम्र के साथ ये समस्या और बढ़ सकती है। लंबे समय तक बैठे रहने का असर शरीर के हर अंग पर होता है जैसे कि मेटाबोलिज्म, हड्डियों के स्वास्थ्य और दिमाग के न्यूरोलोजिकल फंक्शन पर। इसलिए कोशिश करें जितना हो सकते उतना एक्टिव लाइफस्टाइल फॉलो करें। इसके लिए जितना हो सके उतना अधिक चलें, घर के कामों में संलग्न हों, गार्डनिंग करें, सफाई करें या जब आप फोन पर बात कर रहे हों तो बस चलें। दिमाग को तेज रखने के लिए आप कुछ गेम्स भी खेल सकते हैं जो कि आपके दिमाग के काम को तेज करने के साथ उनके कॉग्निटिव फंक्शन (How to improve cognitive function) को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
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20 और 30 की उम्र से ही जो लोग शराब पीना और धूम्रपान करना शुरू कर देते हैं उन लोगों का मस्तिष्क धीमे-धीमे स्लो हो जाता है। दरअसल, जब कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, तो निकोटीन लगभग दस सेकंड के भीतर मस्तिष्क में पहुंच जाता है। सबसे पहले, निकोटीन मूड और एकाग्रता में सुधार करता है, क्रोध और तनाव को कम करता है, मांसपेशियों को आराम देता है और भूख को कम करता है। फिर निकोटीन की नियमित खुराक से मस्तिष्क में परिवर्तन होते हैं, जो निकोटीन की कमी होने पर कुछ हानिकारक लक्षण पैदा करते हैं। इस तरह ये चक्र न्यूरल फंक्शन को खत्म करने लगता है। वहीं बात शराब की करें तो, शराब दिमाग की कोशिकाएं को प्रभावित करता है। इसलिए जितना हो सके उतना शराब के सेवन को सीमित करें।
आपने मूड बूस्टर फूड्स के बारे में तो सुना ही होगा जो कि हमारा मूड स्विंग्स को कम करने और मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। इसलिए अल्जाइमर से पीड़ित हर व्यक्ति को अपनी डाइट में कुछ मूड बूस्टर फ्रूट्स को शामिल करना चाहिए। साथ ही आपको अपनी डाइट में कुछ ब्रेन बूस्टर फूड्स को भी शामिल करना चाहिए। जैसे कि साबुत अनाज खाद्य पदार्थ, फल, सब्जियां, अखरोट, जैतून का तेल और पनीर, चीनी और नमक जैसे कम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से भरपूर एक संतुलित खाने की प्लेट। ये सब मस्तिष्क को उम्र बढ़ने के नुकसानों से बचाती है और इसके विकास में मदद करती है।
विटामिन सी से भरपूर आहार आपकी उम्र के अनुसार सोच और याददाश्त पर सुरक्षात्मक प्रभाव डालता है। ये उम्र से संबंधित संज्ञानात्मक गिरावट को कम करता है। विटामिन सी के लिए अपने खाद्य पदार्थों पर नींबू छिड़कें और खट्टे फल और सब्जियों का सेवन करें। इसके अलावा विटामिन डी भी बेहद जरूरी है। ये मूड को बैलेंस करने में मदद करते हैं। इसके लिए सुबह की धूप में बैठें और विटामिन डी से भरपूर फूड्स जैसे मशरूम आदि का सेवन करें।
हर सप्ताह 30 मिनट तक 4-5 बार कार्डियो और स्ट्रेंथ वर्कआउट के संयोजन के साथ मस्तिष्क की कोशिकाओं को जवां रखने में मदद मिलती है। इससे एजिंग का असर कम होता है। साथ ही मस्तिष्क की कोशिकाओं पर प्लाक जमा नहीं होता है और ब्रेन पूरी तरह से स्वस्थ रहता है।
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7-8 घंटे की अच्छी नींद हार्मोनल सिस्टम, पाचन तंत्र को रीसेट करती है और तंत्रिका तंत्र पर गहरा प्रभाव डालती है। अपना रात का समय सोने को दें और टीवी और मोबाइल जैसेस्क्रीन समय कम करें और सोने ने से पहले टेंशन देने वाले विचारों से दूर रहें। इतना करना भी आपको अल्जाइमर से बचाव में मदद करता है
ब्रेन को अलर्ट करना बेहद जरूरी है। इससे कॉग्निटिव फंक्शन बेहतर होता है। इसके लिए पहेली, सुडोकू हल करना और दूसरे ब्रेन गेम्स जैसे खेल खेलें। वे आपको मानसिक रूप से तेज और चुस्त रखते हैं। इस तरह बढ़ती हुई उम्र के साथ अपने दिमाग को व्यस्त रखने से भी आप अल्जाइमर से बच सकते हैं।
अकेले होना कई बार अल्जाइमर के जोखिम को बढ़ा देता है। इसलिए बच्चों और दोस्तों, प्रियजनों की संगति में भी रहें। उनसे खूब बात करें। इससे आपका दिल खुश रहता है और दिमाग बेहतर ढ़ंग से काम कर पाता है।
इसके अलावा अपने हृदय स्वास्थ्य, अपने ब्लड प्रेशर, अपने ब्लड शुगर के स्तर को जानने के लिए हर साल हेल्थ चेकअप करवाएं। साथ ही इसके साथ अपने वजन को कम रखें, अवसाद और चिंता का इलाज करें। साथ ही अगर आपको आंख और कान से जुड़ी समस्याएं हो रही हैं तो इसका भी इलाज करवाएं। साथ ही सिर के किसी भी चोट से बचें। प्रत्येक दिन जीने का अपना उद्देश्य खोजें। प्रेरित और खुश रहने से मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अल्जाइमर का कोई प्रभावी इलाज या उपचार नहीं है, रोकथाम सबसे अच्छी रणनीति है। इसलिए अपने दिमाग को तेज रखने के लिए ऊपर दिए गए सुझावों का पालन करें और शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ रहें।
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Source: BrightFocus Foundation
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