हर महिला गर्भावस्था के दौरान फीटल किक्स का अनुभव करती है। इससे बच्चे की गतिविधियों के बारे में पता चलता है। ज्यादा जानिए इसके बारे में।
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई अनुभव होते हैं। ये अनुभव एक ओर जहां थोड़े परेशानी भरे होते हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ सुखद एहसास भी कराते हैं। इनमें से ही एक है फीटल किक।
फीटल किक्स के जरिए बच्चे की गतिविधियों को महसूस किया जा सकता है। हर महिला गर्भवास्था के तीसरी तिमाही के दौरान फीटल किक के अनुभव से जरूर गुजरती है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होने लगता है तो वह अपनी मौजूदगी का एहसास करता है।
आमतौर पर महिलाओं को गर्भावस्था के बीसवें हफ्ते तक फिटल किक्स का एहसास होने लगता है। धीरे-धीरे उन्हें अपने अंदर पल रहे बच्चे के सोने व जागने का पता भी चलने लगता है। कई महिलाओं मे देखा गया है की उन्हे पहले फिटल किक का एहसास करीब चौबीस हफ्ते बाद होता है। हालांकि इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। क्योंकि हर महिला के शरीर की बनावट अलग-अलग होती है और कई हद तक यह अमीनो फ्लूईड की मात्रा पर भी निर्भर करता है।
गर्भाशय में ज्याचदातर बच्चे तभी एक्टिव रहते हैं जब मां आराम कर रही होती है और जब मां उठी होती है तो वह आराम कर रहे होते हैं। अक्सर मां के खाना खाने के बाद बच्चे ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं क्योंकि खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है जिससे उन्हें ताकत मिलती है।
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