हाथ-पैरों में सूजन, उल्‍टी और ज्‍यादा ठंड लगना हैंं किडनी फेल्‍योर का इशारा, जानें इसके 8 शुरूआती संकेत

Kidney Failure Signs: अक्‍सर देखा जाता है कि किडनी संबंधी रोगों का देर में पता चल पाता है। ऐसे में यह समस्‍या धीरे-धीरे बढ़कर किडनी फेल्‍योर का कारण भी बन जाती है। इसलिए ...

Written by: Anurag Anubhav Updated at: 2020-01-21 10:44

आधुनिक जीवनशैली के बीच किडनी की समस्‍या लोगों में तेजी से बढ़ रही है। मानव शरीर में दो किडनी होती हैं, इनके सही तरीके से काम न करने पर जीने की संभावना बहुत कम रह जाती है। किडनी, रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन के आकार के दो अंग होते हैं, जिन्‍हें किडनी कहते हैं। शरीर के खून का बड़ा हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों यानि कि किडनी में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्‍त को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्‍त के अशुद्ध भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं। 

किडनी रोगों का अधिकतर शुरुआती समय में पता नहीं चल पाता और यह इतना खतरनाक होता है कि बढ़कर किडनी फेल्‍योर का रूप ले लेता है। आइए हम आपको बताते हैं किडनी समस्‍या के लिए जिम्‍मेदार कारण और किडनी फेल्‍योर के शुरूआती लक्षण क्‍या हैं। 

किडनी रोग के कारण

गुर्दों की समस्‍या के लिए खासतौपर पर दूषित खानपान और वातावरण जिम्‍मेदार माना जाता है। कई बार गुर्दों में परेशानी का कारण एंटीबायोटिक दवाओं का ज्‍यादा सेवन भी होता है। मधुमेह रोगियों को किडनी की शिकायत आम लोगों की तुलना में ज्‍यादा होती है। बढ़ता औद्योगीकरण और शहरीकरण भी किडनी रोग का कारण बन रहा है।

किडनी रोग के लक्षण

शरीर के अंगों पर सूजन

किडनी शरीर से तमाम अशुद्ध अवशेषों को बाहर निकालने का काम करती है। जब गुर्दे सही ढंग से काम नहीं कर पाते, तो शरीर में बचे ये अवशेष सूजन का कारण बन जाते हैं। ऐसे में हाथ, पैर, टखनों और चेहरे पर सूजन आ जाती है।

मूत्र कम या ज्‍यादा आना

मूत्र कम आना या ज्‍यादा आना किडनी रोग का पहला लक्षण है। गुर्दे की समस्‍या से ग्रस्‍त व्‍यक्ति को सामान्‍य की तुलना में कम या ज्‍यादा मूत्र आता है। ऐसे व्‍यक्ति को अक्‍सर रात में ज्‍यादा पेशाब आता है और रोगी के पेशाब का रंग गहरा होता है। कई बार रोगी को पेशाब का अहसास होता है, लेकिन टॉयलेट में जाने पर वह पेशाब नहीं कर पाता।

पेशाब में खून आना

पेशाब में खून आना भी किडनी रोग का लक्षण होता है। यह समस्‍या अन्‍य कारणों से भी हो सकती है, लेकिन इसका पहला कारण किडनी रोग ही माना जाता है। इस तरह की परेशानी होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

थकान और कमजोरी

गुर्दे शरीर में एथ्रोपोटीन हार्मोन का उत्‍पादन करते हैं। जिससे लाल रक्‍त कणिकाओं के निर्माण में सहायक होता है, ये ऑक्‍सीजन को खींचने में सहायक होती हैं। किडनी के सही ढंग से काम न करने पर व्‍यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। शरीर में रक्‍त की कम मात्रा होने पर व्‍यक्ति को थकान और कमजोरी महसूस होती है।

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ठंड ज्‍यादा लगना

यदि आपके गुर्दे सही तरीके से काम नहीं करते, तो आपको ठंड का अहसास ज्‍यादा होता है। चारों तरफ गर्म वातावरण होने पर भी रोगी को ठंड लगती है। किडनी इन्‍फेक्‍शन बुखार का कारण भी बन सकता है।

चकत्ते ओर खुजली

किडनी के सही से काम न करने पर आपके शरीर में गंदा खून मौजूद रहता है। जिससे रोगी के शरीर पर चकत्ते और खुजली की समस्‍या भी हो सकती है।

मितली और उल्‍टी आना

रक्‍त में अशुद्ध अवशेष रहने और इसके साफ न होने से रोगी का मितली और उल्‍टी आने की भी समस्‍या होती है। ऐसे में व्‍यक्ति का कुछ खाने का मन भी नहीं करता। आमतौर पर लोग मितली और उल्‍टी आने को सामान्‍य समस्‍या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं।

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छोटी सांस आना

किडनी की समस्‍या से ग्रस्‍त व्‍यक्ति एनीमिया का शिकार हो जाता है। ऐसे व्‍यक्ति को थकान होने के साथ ही छोटी और रूक-रूक कर सांस आती हैं। किडनी रोग को समय से पहचानना बहुत जरूरी है, रोग को पहचानने में देरी होने पर यह किडनी फेल्‍योर का कारण भी बन सकता है। इसलिए यदि आपको कोई भी ऐसा संकेत दिखे, तो इसके लिए डॉक्‍टर से परामर्श लें।

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