गर्भावस्‍था में असहनीय खुजली और बेचैनी हो सकती है कोलेस्टेसिस का संकेत, जानें खतरे और बचाव के तरीके

यदि गर्भवती महिलाओं को बहुत तेजी खुजली होती है, जो दर्द और परेशानी का कारण बन रही है, तो उन्हें गर्भावस्था में इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस हो सकता है। 

Written by: Sheetal Bisht Updated at: 2020-01-29 12:36

गर्भावस्था एक महिला के जीवन की काफी महत्‍वपूर्ण और कठिन जर्नी होती है। ऐसे में उसके शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक कल्याण के संदर्भ में बहुत सारे उतार-चढ़ाव आते हैं। गर्भावस्था के दौरान उल्टी, मितली, एसिडिटी होना आम है, जो असामान्य है, वह है खुजली। प्रेग्‍नेंसी के दौरान बेचैनी पैदा करने वाली खुजली कोलेस्टेसिस का संकेत हो सकती है। यह समस्या गर्भावस्था के दौरान होती है, जो कि हिलाओं को गंभीर खुजली और परेशानी पैदा करती है। जबकि यह एक बाहरी स्थिति है, यह गर्भ में बच्चे को नुकसान भी पहुंचा सकती है।

खुजली एक आम त्वचा समस्या है, जो अधिकतर ड्राईनेस के कारण हो सकती है। लेकिन गर्भवती महिलाओं को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि यह मामूली खुजली बड़े कोलेस्टेसिस में बदल सकती है। इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस प्रेग्‍नेंसी या आईसीपी एक ऐसी स्थिति है, जो लिवर की खराबी के कारण होती है। इस मामले में, गर्भावस्था के हार्मोन में वृद्धि के कारण महिला के शरीर में पित्त प्रवाह बाधित होता है। यह न केवल गंभीर खुजली का कारण बनता है, बल्कि पित्त एसिड का स्तर बढ़ जाने से भ्रूण को समय से पहले प्रसव या फिर स्टिल बर्थ भी हो सकता है।

कोलेस्टेसिस के लक्षण

कोलेस्टेसिस के कुछ सामान्य लक्षण हैं:

  • हथेलियाँ और पैरों में खुजली। 
  • पेट के आसपास गंभीर खुजली, जो खून बहने का कारण हो सकती है। 
  • खुजली की वजह से नींद न आना
  • बेचैनी
  • पीलिया
  • ऊपरी पेट में दर्द

हालांकि कुछ मलहम और दवा खुजली में राहत दे सकती है, लेकिन यह स्थायी रूप से स्थिति को ठीक नहीं करेगा। खुजली हमेशा आपके लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। आमतौर पर, महिलाओं को दूसरी या तीसरी तिमाही के अंत में कोलेस्टेसिस का खरता होता है।

कोले‍स्‍टेसिस के जोखिम कारक 

गर्भावस्था के दौरान आईसीपी या इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस की संभावना उन महिलाओं में अधिक होती है जो:

  • जुड़वां या कई शिशुओं के साथ गर्भवती हैं। 
  • लिवर की बीमारी से ग्रस्‍त हैं। 
  • पिछली गर्भावस्था का एक कोलेस्टेसिस इतिहास रहा हो। 
  • इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस का पारिवारिक इतिहास है। 

जटिलताएं 

इस स्थिति से गर्भवती महिला के साथ-साथ अजन्मे बच्चे में भी कई गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं हो सकती हैं। यहां माँ द्वारा सामना की जाने वाली जटिलताएँ हैं:

  • वसा का खराब अवशोषण। 
  • विटामिन K का स्तर कम होने से खून के थक्के जम सकते हैं। 

नवजात शिशुओं के लिए गंभीर जटिलताओं:

  • समय से पहले जन्म। 
  • फेफड़े का खराब होना। 
  • सांस लेने की समस्या। 
  • प्रसव या जन्‍म से पहले भ्रूण की मौत। 

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इसमें मां और बच्चे दोनों के साथ खतरनाक जोखिम होते हैं। आईसीपी के अधिकांश मामलों में, डॉक्टर शिशु को किसी भी तरह के नुकसान से बचाने के लिए जल्दी प्रसव की सलाह देते हैं। एक गर्भवती महिला को ऐसे मामलों में डॉक्टर से परामर्श की सख्‍त आवश्यकता होती है।

उपचार का विकल्प

केवल एक डॉक्टर ही एक महिला की स्थिति के अनुसार सबसे अच्छा उपचार बता सकते हैं, क्योंकि हर गर्भावस्था अलग होती है और इसलिए उनका उपचार भी अलग होता है। प्राथमिक उपचार खुजली को कम करने के लिए दिया जाता है और फिर आगे दवा निर्धारित की जाती है।

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हालांकि यहाँ कुछ संभावित उपचार विकल्प दिए गए हैं: 

  • कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स के साथ एंटी-ईचिंग दवाएं। 
  • बिले एसिड के स्तर को कम करने के लिए दवाएं। 
  • इंट्राक्रानियल हैमरेज प्रिवेंशन की दवाएं। 
  • विटामिन के सप्लीमेंट, प्री और पोस्ट-डिलीवरी दोनों में खून के थक्के को रोकने के लिए। 
  • लिवर कार्यों और पित्त एसिड स्तरों पर एक टैब रखने के लिए नियमित खून की जांच। 
  • भ्रूण के दिल की निगरानी और संकुचन रिकॉर्डिंग टेस्‍ट। 
  • कुछ डॉक्टर डेक्सामेथासोन की सलाह देते हैं, जो बच्चे के फेफड़ों के कार्यों में सुधार करने के लिए एक स्टेरॉयड है। 
  • शरीर में खून के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बर्फ या ठंडे पानी स्नान। 
  • डंडेलिओन रूट की खुराक लेना। 

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