आलस और सुस्ती एक आम समस्या है जिसका सामना लोग आमतौर पर हर दिन होने वाले तनाव के कारण करते हैं। योग आपके आलस को दूर करने में मदद कर सकता है।
जब आप आलस करते हैं, तो बिस्तर से उठना तक मुश्किल हो जाता है। तब योग का अभ्यास करना बहुत दूर की बात हो जाती है। आप बार - बार " योगासन से अपने वादे " को अगले हफ्ते के लिए टालते रहते हैं और यह सिलसिला अगले हफ्ते भी जारी रहता है। परिणामस्वरूप आप आत्म ग्लानि से भर जाते हैं। योग में और क्या मनमोहक बात हो सकती है, जो आपको योगासन पर ले आए, ताकि आप योग करें। क्या आलस्य करने वालों के लिए एक विशेष प्रकार के योग का निर्माण किया जा सकता है? इसका जवाब है, हां!
योग शरीर के सभी अंगों में समन्वय उत्पन्न करता है। यह शरीर,मन और आत्मा के स्तर पर भी समन्वय उत्पन्न करता है। तो, जब आपके शरीर के सभी अंग ठीक प्रकार से समन्वय में होते हैं, तो आपको पहले कोई कार्य करने में जितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती थी, अब उससे कम ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है। योग ऊर्जा का संरक्षण करने में आपकी मदद करता है।
यह एक मिथ है कि योग केवल कुछ आसन ही हैं। जबकि योग आपको शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है, जिससे आपके शरीर को आराम व ऊर्जा मिलती है। जब आप बहुत अच्छे से विश्राम करते हैं, तो आप बहुत ऊर्जावान रहते हैं। जब हमारे तंत्र में सही अनुपात में ऊर्जा रहती है, तब आप आवश्यक कार्यों में रुचि लेने लगते हैं।
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योग शरीर को तोड़ना मरोड़ना नहीं है, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है। इसमें एक व्यक्ति को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जाती है। यदि आपमें आलसी किस्म के हैं, तो आपको अपने भोजन पर ध्यान देना चाहिए। आयुर्वेद भी योग का एक मुख्य पहलू है। आयुर्वेद के बहुत आधारभूत नियम हैं। यदि कोई व्यक्ति इनका अनुसरण करे, तो उसे आलस्य से छुटकारा मिल सकता है। जैसे- यदि आप सही गुणवत्ता और पौष्टिक भोजन सही मात्रा में खा रहे हैं, तो इससे बहुत फर्क पड़ता है। भोजन तीन प्रकार का होता है - तामसिक (नकारात्मक), राजसिक (तटस्थ) और सात्विक (सकारात्मक)। जंक फूड व फास्ट फूड को तामसिक भोजन माना गया है। दूध और दूध के उत्पादों को राजसिक और फलों तथा ताज़ी सब्जियों से बने भोजन को सात्विक माना गया है।
आपके मन की स्थिति इस बात पर निर्भर करती है कि आप क्या खाते हैं। यदि आप सात्विक भोजन खाते हैं, तो आपका मन विश्राम में रहता है और साथ ही सतर्क भी रहता है। सामान्यतः विश्राम और सचेतन अवस्था एक दूसरे के विपरीत प्रतीत होती हैं। लेकिन योग वह है, जो आपको बिना किसी प्रयास के इस अवस्था का अनुभव करने में मदद करता है!
ध्यान आपके तन व मन दोनों को विश्राम देने के लिए सबसे अच्छा माध्यम है। आलस आपके शरीर और मन के विश्राम करने की मांग है। ध्यान से इस आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। यह ऐसा आसन है, जो आपको शारीरिक बेचैनी से छुटकारा दिलाने में मदद करता है और के आपके मन को शांत रहने में मदद करता है। ध्यान आपको मानसिक स्तर पर बेचैनी क्रोध से भी छुटकारा दिलाने में मदद करता है। आध्यात्मिक गुरु एवम् आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक, श्री श्री रविशंकर के अनुसार, "ध्यान कुछ भी ना करने की कला है इसमें आप कोई भी प्रयास नहीं करते हैं।"
प्राणायाम एक श्वसन अभ्यास है, जो हमारे शरीर में प्राण, एक सूक्ष्म जीवन ऊर्जा के बहाव को बढ़ा देता है। प्राणायाम हमारे शरीर को तुरंत ही ऊर्जा से भर देते हैं। इसे प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक के निर्देशन में सीखा जा सकता है।
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योग निद्रा एक बहुत सुंदर अभ्यास है, जिसे वे लोग भी कर सकते हैं, जिन्हें योग के बारे में कुछ भी नहीं पता है। योग निद्रा विश्राम करने की एक तकनीक है, जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों में ध्यान ले जाया जाता है। इससे शरीर की प्रत्येक कोशिका में से थकान निकल जाती है। यह बहुत गहरा विश्राम प्रदान करती है। योग निद्रा सारी थकान को मिटा देती है और केवल २० मिनट या इससे भी कम समय में आपके मन को ऊर्जावान बना देती है।
आप धीरे - धीरे योग के शारीरिक पहलू को समझ सकते हैं। जैसे ,जब कोई कार चलाना शुरू करता है, तो पहले कार धीमी गति से चलती है और फिर कार चालक एक्सेलेरेटर पर पैर रखता है, वैसे ही आप पहले थोड़े सरल आसन कीजिए और फिर धीरे - धीरे लगातार इनका अभ्यास करते रहने से आप इन्हें भलीभांति कर पाएंगे। एक व्यक्ति शरीर को घुमाने और हाथ पैरों को खींचने के साथ योग शुरू कर सकता है और फिर धीरे - धीरे आसनों को ठीक प्रकार से कर सकता है। इस प्रकार से करने से शरीर सरलता और तीव्रता से सामंजस्य स्थापित कर लेता है। आप जिस भी आसन का अभ्यास करते हैं, उसके साथ एक हो जाना महत्वपूर्ण है।
योग कोई शारीरिक परिश्रम नहीं है, जो हमें थका देता है और फिर हमें आलस्य की ओर ले जाता है। योग हमारी भावनाओं को हल्का और कोमल बनाने में मदद करता है। जिससे एक व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सकता है। जहां शरीर स्वस्थ रहता है, श्वास में कम्पन नहीं होता है और मन शांत व तनावमुक्त रहता है।
इनपुट्स- गौरव वर्मा (वरिष्ठ प्रशिक्षक, आर्ट ऑफ लिविंग)
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