Gestational Diabetes: IVF से प्रेग्नेंसी में 50% से ज्यादा महिलाएं हो जाती हैं जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार

Gestational Diabetes: आईवीएफ एक आसान फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है, जिसके द्वारा महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं। मगर रिसर्च बताती है कि आईवीएफ ट्रीटमेंट (IVF Treatment) द्वारा प्रेग्नेंसी के 50% से ज्यादा मामलों में महिलाएं जेस्टेशनल डायबिटीज का शिकार हो...

Written by: Anurag Anubhav Updated at: 2019-09-20 16:06

जो महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भवती नहीं हो सकती हैं, उनके लिए आईवीएफ (IVF Pregnancy) तकनीक से प्रेग्नेंसी बहुत आसान और मॉडर्न तरीका है। आईवीएफ तकनीक से फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Fertility Treatment) की शुरुआत 1978 में हुई थी, जिसके बाद से अब तक दुनियाभर में 80 लाख से ज्यादा बच्चे इस तकनीक से जन्म ले चुके हैं। अनुमान के मुताबिक आज आईवीएफ तकनीक से लगभग 5 लाख बच्चे हर साल पैदा हो रहे हैं। मगर हाल में हुई एक स्टडी बताती है कि आईवीएफ द्वारा गर्भवती (Pregnancy Through IVF) होने वाली आधी से ज्यादा महिलाएं, प्रेग्नेंसी के दौरान ही डायबिटीज (Gestational Diabetes) का शिकार हो जाती हैं।

आईवीएफ प्रेग्नेंसी और डायबिटीज (IVF Pregnancy and Diabetes)

नई रिसर्च के अनुसार आईवीएफ द्वारा फर्टिलिटी ट्रीटमेंट कराने वाली 50% से ज्यादा महिलाओं में जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा होता है। ये रिसर्च ग्रीस की एरिस्टोटल यूनिवर्सिटी द्वारा की गई है। इस रिसर्च में 63,760 महिलाओं को शामिल किया गया, जो आईवीएफ (IVF) या इंट्रासाइटोप्लाजमिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) तकनीक से प्रेग्नेंट हुई थीं। इस रिपोर्ट को डेली मेल में प्रकाशित किया गया है।

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क्या है आईवीएफ और डायबिटीज का संबंध

शोधकर्ताओं के अनुसार आईवीएफ से प्रेग्नेंसी के बाद डायबिटीज का खतरा क्यों बढ़ जाता है, ये अभी तक साफ नहीं हुआ है मगर शायद आईवीएफ ट्रीटमेंट के दौरान होने वाली मेडिकल स्थितियां ऐसी हों, जिनसे डायबिटीज बढ़ता हो। शोधकर्ताओं ने बताया कि ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि आईवीएफ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट दौरान अचानक से कई हार्मोन्स का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे कि महिला सफलतापूर्वक गर्भवती हो सके। इस स्टडी को जल्द ही यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज की सालाना मीटिंग में रखा जाएगा।

कितनी खतरनाक है जेस्टेशनल डायबिटीज (Risks of Gestational Diabetes or GDM)

जेस्टेशनल डायबिटीज एक ऐसी समस्या है, जिसमें महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान ही डायबिटीज का शिकार हो जाती हैं। आमतौर पर महिलाएं प्रेग्नेंसी के 5वें महीने में डायबिटीज का शिकार होती हैं। ज्यादातर महिलाओं में डिलीवरी के बाद डायबिटीज की समस्या खत्म हो जाती है और शरीर नॉर्मल काम करने लगता है। हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज (जेस्टेशनल डायबिटीज) कई बार खतरनाक हो सकता है क्योंकि इसके कारण महिला को गर्भपात हो सकता है, बच्चा कमजोर हो सकता है, बच्चा समय से पहले पैदा हो सकता है या गंभी स्थितियों में महिला की मौत हो सकती है।

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जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे को कैसे करें कम (Pregnancy GDM Treatment)

गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने पर आमतौर पर प्रेग्नेंसी पीरियड में और डिलीवरी के समय परेशानी हो सकती है। इससे बचने के लिए जरूरी है कि महिलाएं डॉक्टर द्वारा बताई दवाएं और इंसुलिन की डोज सही समय पर लेती रहें। इसके अलावा डाइट कंट्रोल करके भी जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरे को कम किया जा सकता है। इस दौरान शिशु पर डायबिटीज का असर न हो, इसकी निगरानी के लिए आपको कई बार अल्ट्रासाउंड टेस्ट कराने पड़ सकते हैं। ज्यादातर समय जेस्टेशनल डायबिटीज के बाद पैदा हुए बच्चों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है।

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