2017 में विश्वभर में मलेरिया के 21.9 करोड़ मामले दर्ज किए गए, जिसमें से करीब 1 करोड़ मामले भारत में पाए गए। जिसके कारण इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत का स्थान चौथा रहा।
लांसेट जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में मच्छर जनित घातक बीमारी मलेरिया की सबसे ज्यादा चपेट में आने वाले देशों में भारत का चौथा स्थान रहा, वहीं विश्व भर के मामलों की तुलना में यहां मलेरिया के चार फीसदी मामले पाए गए। रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में विश्वभर में मलेरिया के 21.9 करोड़ मामले दर्ज किए गए, जिसमें से करीब 1 करोड़ मामले भारत में पाए गए। जिसके कारण इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत का स्थान चौथा रहा।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से पहले अफ्रीकी देश नाइजीरिया, डेमोक्रेटिक रिपल्बिक ऑफ कांगो और मोज़ाम्बिक जैसे देश क्रमश पहले, दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। इस रिपोर्ट को मलेरिया विशेषज्ञ, बायोमेडिकल वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और स्वास्थ्य नीति विशेषज्ञ सहित 40 से ज्यादा विशेषज्ञों ने मिलकर तैयार किया है, जिसमें उन्होंने नए महामारी विज्ञान और वित्तीय विश्लेषण के साथ पुख्ता सबूत पेश किए हैं।
लेखकों ने नई मॉडलिगं तकनीक और 2030 से लेकर 2050 तक मलेरिया कितनी तेजी से फैल सकता है इसका अनुमान लगाया है। उनका विश्लेषण इस बात का संकेत देता है कि सामाजिक आर्थिक और पर्यावरणीय रुझान, मौजूदा मलेरिया हस्तक्षेपों की बेहतर कवरेज साथ मिलकर 2050 में भूमध्यरेखीय अफ्रीका के लगभग दस देशों में मलेरिया के निम्न स्तर को जन्म देते हैं।
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हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, भारत, पूर्वी इंडोनेशिया और पपुआ न्यू गिनी वर्तमान तरीकों पर आधारित 2030 तक मलेरिया को हराने में संघर्ष करते दिखाई देंगे। अध्ययन में चिन्हित किया गया कि क्षेत्रीय समर्थन, जैसे कि सहकर्मी देशों की तकनीकी सहायता इन देशों को बढ़ानी चाहिए।
अध्ययन के लेखकों ने चिन्हित किया कि 2017 में भारत में मलेरिया के विचित्र मामले देखे गए, जिसमें से 71 फीसदी मामले तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में दर्ज किए। चेन्नई में करीब 70 लाख की आबादी रहती है, जहां इतनी संख्या में मामलों का सामने आना बेहद चौंकाने वाला है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इतने ज्यादा शहरी मामलों के सामने आने का कारण मुख्य मलेरिया वेक्टर एनोफफिलीज स्टेफनी है, जो विशेष रूप से भारतीय शहरी वातावरण के लिए अनुकूल पाई जाती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ये शहरी परिदृश्य जल भंडारण कंटेनरों, कुओं, गटर और निर्माण स्थलों के साथ आदर्श प्रजनन स्थल प्रदान करता है।
अध्ययन के लेखक शहरी इलाकों में मलेरिया संचरण को समाप्त करने के लिए आम तौर पर अच्छी रणनीतियों और हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर जोर देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, नगर निगम के पानी की आपूर्ति के बुनियादी ढांचे में सुधार, और छत पर पानी के भंडारण की आवश्यकता को कम करना भारत में आवश्यक हस्तक्षेप है।
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