पिगमेंटेशन आपकी खूबसूरती को खत्म करने वाला होता है। यह ऐसी समस्या है जो आपके चांद जैसे चेहरे की सुंदरता पर ग्रहण लगा सकती है। इसके कारणों के बारे में विस्तार से जानने के लिए इस लेख को पढ़ें।
दाग-धब्बे, असमान रंगत या फिर मलिनीकरण- आप चाहें इसे कुछ भी नाम दें, लेकिन कुल मिलाकर यह आपकी खूबसूरती को खत्म करने वाला होता है। पिगमेंटेशन ऐसी समस्या है जो आपके चांद जैसे चेहरे की सुंदरता पर ग्रहण लगा सकती है।
कई बार आपके चेहरे पर अनचाहे बाल उग आते हैं। हालांकि अक्सर ये बाल नजर नहीं आते। लेकिन, फिर भी आप इन्हें हटाने की कोशिश करती हैं इन बालों को हटाने के लिए आप कई बार क्रीम, चिमटी अथवा वैक्स का इस्तेमाल करती हैं। लेकिन, बालों को खींचना, तोड़ना अथवा किसी कैमिकल की मदद से उन्हें हटाना स्किन को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे हायपरपिगमेंटेशन के लिए जमीन तैयार हो सकती है। ऐसे में इस समस्या से बचने का सबसे आसान रास्ता तो यही है कि इन बालों को नजरअंदाज किया जाए। यू ब्यूटी वेबसाइट न्यूयॉर्क की डर्मोटॉलजिस्ट डॉक्टर कविता मरीवाला के हवाले से कहती है कि अगर आपको बालों को खींचने, तोड़ने अथवा किसी क्रीम की वजह से त्वचा संबंधी किसी परेशानी के लक्षण नजर आ रहे हैं तो आपको चाहिए कि आप उस पर हायड्रोकॉरटिसॉन क्रीम लगाएं। इसके साथ ही आप त्वचा पर हल्का क्लींजर भी लगा सकती हैं। लेकिन, आपको चाहिए टोनर का इस्तेमाल करने से बचें। इससे आपकी त्वचा को काफी नुकसान पहुंच सकता है।
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दिन में काफी वक्त आप लैपटॉप को अपनी गोद में रखकर काम करते हैं। लेकिन, डॉक्टर कविता की राय में यह तरीका बिलकुल सही नहीं है। डॉक्टर कविता चेताती हैं कि इससे आपको हायपरपिगमेंटेशन का एक प्रकार ' एरिथेमा एबिजन'' (erythema abigne) हो सकता है। जिससे जांघों पर जालनुमा निशान पड़ सकते हैं और शरीर के उस हिस्से की त्वचा का रंग भी असमान हो जाता है। इस तरह की समस्या तब हो सकती है जब आप नियमित तौर पर घंटों लैपटॉप को अपनी गोद में रखकर काम करते हैं। अगर आपको अपनी गोद में लैपटॉप रखकर काम करने की आदत है तो आपको चाहिए कि लैपटॉप कूलर अथवा एक ट्रे टेबल का इस्तेमाल करें।
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन में बदलाव होने के कारण भी ऐसी समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान अथवा गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन से शरीर में हॉर्मोन बदलाव होते हैं, जिसके कारण यह समस्या पैदा हो सकती है। इन हॉर्मोन के बढ़ने के कारण आपके शरीर में मेलानिन का स्तर बढ़ने लगता है। इसके कारण मेलेसमा के रूप में हायपरपिगमेंटेशन का प्रभाव नजर आने लगता है। इसमें नाक, गालों, जॉ-लाइन, माथे अथवा ठोढ़ी पर भूरे निशान नजर आने लगते हैं। इन निशानों को 'माक्स ऑफ प्रेग्नेंसी' भी कहा जाता है। बच्चे के जन्म के बाद आमतौर पर यह निशान गायब हो जाते हैं, लेकिन किसी वजह से अगर ये निशान न जाएं तो इन पर ब्लीचिंग क्रीम का उपयोग किया जा सकता है। अगर आपको गर्भनिरोधक गोलियों से निशान हो जाते हैं, तो आपको चाहिए कि आप गर्भनरोध के अन्य विकल्प चुनें।
सूर्य की रोशनी में अधिक वक्त बिताने से भी त्वचा की रंगत असमान हो जाती है। सूर्य की पराबैंगनी किरणों से त्वचा को काफी नुकसान पहुंचता है और आपको काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए जब भी आपको धूप में बाहर निकलना हो, तो अच्छी सनस्क्रीन क्रीम का इस्तेमाल जरूर करें।
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