बवासीर में रामबाण औषधि हैं हरसिंगार के बीज, जानें कैसे करें इस्तेमाल

Harsingar Seeds For Piles: बवासीर की समस्या में हरसिंगार के बीज का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है, जानें इस्तेमाल का तरीका।

Written by: Prins Bahadur Singh Updated at: 2023-03-30 20:45

Harsingar Seeds For Piles: खानपान में गड़बड़ी और खराब जीवनशैली के कारण पेट और पाचन से जुड़ी परेशानियां आम हैं। कब्ज और अपच की वजह से आपको बवासीर की समस्या भी हो सकती है। बवासीर दरअसल दो तरह की होती है, एक खूनी बवासीर और दूसरी बादी बवासीर। बवासीर के मुख्य कारण बहुत ज्यादा तला भुना भोजन, अन्हेल्दी फूड्स का सेवन, मसालेदार खाना और लाइफस्टाइल से जुड़ी गलत आदतें हैं। बवासीर से छुटकारा पाने के लिए इलाज के साथ-साथ डाइट और लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतों का ध्यान रखना चाहिए। बवासीर की समस्या में हरसिंगार का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे बवासीर में रामबाण औषधि माना जाता है। हरसिंगार में मौजूद गुण बवासीर को कम करने और दर्द से छुटाकारा दिलाने में बहुत फायदेमंद होते हैं। आइये इस लेख में विस्तार से जानते हैं बवासीर में हरसिंगार के फायदे।

बवासीर में हरसिंगार के फायदे-  Harsingar Seeds Benefits For Piles in Hindi

बवासीर की समस्या में हरसिंगार के बीजों का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है। इसका इस्तेमाल करने से आपको खूनी बवासीर में ब्लीडिंग कम करने और दर्द से छुटकारा पाने में फायदा मिलता है। हरसिंगार का औषधीय नाम निक्टेन्थिस आर्बर-ट्रिस्टिस है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियों, फूल और बीज का इस्तेमाल दवा या औषधि के रूप में किया जाता है। हरसिंगार में एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। बवासीर में दर्द को कम करने और ब्लीडिंग से छुटकारा पाने के लिए आप कई तरीके से हरसिंगार के बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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बवासीर में कैसे करें हरसिंगार के बीज का इस्तेमाल?- How To Use Harsingar Seeds In Piles in Hindi

बवासीर की समस्या में हरसिंगार के बीज का इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। सुबह के समय हरसिंगार के बीज का चूर्ण गर्म या गुनगुने पानी के साथ खाने से बवासीर कंट्रोल करने में फायदा मिलता है। इसके अलावा हरसिंगार के बीज का पेस्ट बनाकर इसे प्रभावित जगह पर लगाने से आपको कब्ज और ब्लीडिंग के साथ मलत्याग करने में सहायता मिलती है। बवासीर के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए भी इसका इस्तेमाल फायदेमंद होता है।

रुआती स्टेज में बवासीर को खानपान और जीवनशैली में बदलाव कर कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन गंभीर स्थिति में मरीज को इलाज और सर्जरी की जरूरत होती है। मरीज की जांच करने के लिए डॉक्टर एनोस्कोपी जांच कर सकते हैं। बवासीर की समस्या में आपको खानपान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आप इस बीमारी में तला-भुना या बहुत ज्यादा मसालेदार खाना खाते हैं, तो इससे आपकी परेशानी और बढ़ सकती है। बवासीर के लक्षण दिखने पर बिना देर किये डॉक्टर की सलाह और इलाज लेना चाहिए।

(Image Courtesy: Freepik.com)

 

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