गर्भ में पल रहे शिशु की हार्ट बीट पर होता है मां के तनाव या डिप्रेशन का असर, खतरनाक है प्रेगनेंसी में स्ट्रेस

हाल में हुए एक अध्‍ययन में पाया गया है कि जिन शिशुओं के मां उदास या चिंतित होती हैं, उनकी दिल की धड़कन अन्‍य के तुलना बढ़ जाती है। 

Written by: Sheetal Bisht Updated at: 2020-09-18 20:11

कहते हैं एक नवजात बच्‍चे और उसकी मां का स्‍वास्‍थ्‍य एक दूसरे से जुड़ा होता है। यह बिलकुल सही और सच बात है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि हाल में हुए एक नए अध्‍ययन में भी पाया गया है कि एक नवजात शिशु के दिल की धड़कन से उसकी मां में चिंता, तनाव या डिप्रेशन जैसे मूड डिसऑर्डर का पता चल सकता है। एक खुश और स्‍वस्‍थ शिशुओं में सामान्य दिल की धड़कन होती है, जबकि भावनात्मक रूप से चुनौती या तनावग्रस्त मां के शिशुओं के दिल की धड़कन दूसरों की तुलना में तेज होती है। ऐसा ज्यादातर चिंतित रहने वाली या तनावग्रस्‍त माओं से पैदा हुए बच्चों के साथ होता है। 

शुरुआती महीनों में, मां और बच्चे की बातचीत अधिक मजबूत होती है। बच्चा केवल अपनी मां को महसूस कर सकता है और उसके अनुसार गुण विकसित कर सकता है। एक स्वस्थ और खुश माँ से पैदा होने वाला बच्चा शारीरिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से अच्छा होता है। जबकि तनावग्रस्त माँ से होने वाले बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो कि बच्‍चे के मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। जिससे कि वह मजबूत शारीरिक लक्षणों का प्रदर्शन कर सकता है।

माँ और बच्चे के स्वास्थ्य के बीच संबंध

बच्चे भाषा नहीं समझ सकते हैं लेकिन वे व्यक्ति की भावनाओं को महसूस कर सकते हैं, विशेष रूप से अपनी माँ की भावनाओं को। एक माँ का स्वास्थ्य बच्चे की वृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में एक चिंतित, उदास, तनावग्रस्‍त और भावनात्मक रूप से परेशान मां एक बच्चे को मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर बना सकती है। इससे बच्चे का स्‍वास्‍थ्‍य कई तरीके से प्रभावित हो सकता है और यह उसके स्‍वास्‍थ्‍य में असुरक्षा का कारण बन सकता है। 

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रिसर्च 

हाल में हुए इस नए अध्‍ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि चिंता या तनाव महसूस करने वाली माओं के बच्चों के दिल की धड़कन काफी बढ़ जाती है, जब उनकी मां उनके आसपास नहीं होती हैं। बड़े होने के दौरान इन बच्चों में तेज-मिजाज, मनमौजी या मूड स्विंग्‍स जैसे मुद्दे होते हैं । यूनिवर्सिटी ऑफ हीडलबर्ग के एक शोधकर्ता फैबियो ब्लैंको-डोरमंड ने कहा: "हमारे ज्ञान के लिए, यह पहली बार है, जब 3 महीने के शिशुओं में इस शारीरिक प्रभाव को देखा गया है। यह अन्य शारीरिक तनाव प्रणालियों में प्रभाव डाल सकता है, जो अन्‍य मनोवैज्ञानिकों समस्‍याओं को पैदा कर सकता है।"

अध्‍ययन के परिणाम 

शोधकर्ताओं का कहना है, "हमने पाया है कि अगर एक माँ चिंतित या उदास होती है, तो उनके बच्चे को एक स्वस्थ मां शिशुओं की तुलना में परीक्षण के दौरान तनाव के लिए एक अधिक संवेदनशील शारीरिक प्रतिक्रिया थी।”

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नवजात पर प्रेगनेंसी स्‍ट्रेस का प्रभाव 

यह शोध स्पष्ट रूप से इस लिंक को स्थापित करता है कि प्रेगनेंसी के समय तनाव या मैटरनल स्ट्रेस शिशु के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, माताओं में डिप्रेशन, तनाव और अन्‍य मानसिक विकारों को संबोधित करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे बच्चों में भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक मुद्दों को रोका जा सकता है।

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