ब्रेस्ट इंप्लांट में डॉक्टर्स ब्रेस्ट के अंदर आर्टिफिशियल मटीरीअल की एक परत बनाते हैं। ये परत दो तरह के कैमिकल्स से बनती है। पहली सिलिकॉन और दूसरी सेल
ब्रेस्ट यानि कि स्तन महिलाओं के शरीर का एक मुख्य और संवेदनशील अंग है। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर ब्रेस्ट का आकार सही हो तो महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। हर महिला की ख्वाहिश होती है कि चेहरे की तरह ही उनके ब्रेस्ट भी जवां और खूबसूरत दिखें। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ जिस तरह चेहरे, हाथ और शरीर के अन्य अंगों में झुर्रियां आती है, उसी तरह ब्रेस्ट में भी आती है। ब्रेस्ट की इसी झुर्रियों और ढीलेपन को झिपाने के लिए महिलाएं ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी का सहारा लेती हैं। यह एक ऐसी तकनीक होती है जिसके तहत ब्रेस्ट की शेप को सही करने के साथ ही साइज को भी बढ़ाया या कम किया जा सकता है। ब्रेस्ट इंप्लांट में डॉक्टर्स ब्रेस्ट के अंदर आर्टिफिशियल मटीरीअल की एक परत बनाते हैं। ये परत दो तरह के कैमिकल्स से बनती है। पहली सिलिकॉन और दूसरी सेलाइन होती है। अब सवाल यह है कि क्या ब्रेस्ट इंप्लांट कराने वाली महिलाओं को या उनके शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग से कोई दिक्कत हो सकती है? ब्रेस्टफीडिंग सप्ताह के मौके पर आज हम आपको बताएंगे कि ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी, ब्रेस्टफीडिंग को किस तरह से प्रभावित करती है।
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