World Breastfeeding Week 2020: क्या ब्रेस्ट इंप्लांट कराने से ब्रेस्टफीडिंग में दिक्कत आती है? पढें फैक्ट्स

ब्रेस्ट इंप्लांट में डॉक्टर्स ब्रेस्ट के अंदर आर्टिफिशियल मटीरीअल की एक परत बनाते हैं। ये परत दो तरह के कैमिकल्स से बनती है। पहली सिलिकॉन और दूसरी सेल

Written by: Rashmi Upadhyay Updated at: 2020-07-29 17:36

ब्रेस्ट यानि कि स्तन महिलाओं के शरीर का एक मुख्य और संवेदनशील अंग है। यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर ब्रेस्ट का आकार सही हो तो महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं। हर महिला की ख्वाहिश होती है कि चेहरे की तरह ही उनके ब्रेस्ट भी जवां और खूबसूरत दिखें। लेकिन उम्र बढ़ने के साथ जिस तरह चेहरे, हाथ और शरीर के अन्य अंगों में झुर्रियां आती है, उसी तरह ब्रेस्ट में भी आती है। ब्रेस्ट की इसी झुर्रियों और ढीलेपन को झिपाने के लिए महिलाएं ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी का सहारा लेती हैं। यह एक ऐसी तकनीक होती है जिसके तहत ब्रेस्ट की शेप को सही करने के साथ ही साइज को भी बढ़ाया या कम किया जा सकता है। ब्रेस्ट इंप्लांट में डॉक्टर्स ब्रेस्ट के अंदर आर्टिफिशियल मटीरीअल की एक परत बनाते हैं। ये परत दो तरह के कैमिकल्स से बनती है। पहली सिलिकॉन और दूसरी सेलाइन होती है। अब सवाल यह है कि क्या ब्रेस्ट इंप्लांट कराने वाली महिलाओं को या उनके शिशुओं को ब्रेस्टफीडिंग से कोई दिक्कत हो सकती है? ब्रेस्टफीडिंग सप्ताह के मौके पर आज हम आपको बताएंगे कि ब्रेस्ट इंप्लांट सर्जरी, ब्रेस्टफीडिंग को किस तरह से प्रभावित करती है।

ब्रेस्ट इंप्लांट से ब्रेस्टफीडिंग को होने वाले नुकसान

  • ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निप्पल में सूजन आना एक सामान्य स्थिति है जो दूध नलिकाओं के अवरुद्ध होने के कारण होती है। इस स्थिति में महिलाओं को बुखार आना भी आम बात होती है। वैसे तो जो महिलाएं ब्रेस्ट इंप्लांट नहीं कराती हैं उनमें भी यह होना सामान्य बात है। लेकिन ब्रेस्ट इंप्लांट के बाद इसके होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। इस स्थिति निप्पल से दूध का प्रवाह रुकता है जिससे सीधे तौर पर शिशु की भूख प्रभावित होती है।
  • शिशु को स्तनपान कराने की स्थिति में यह जरूरी है कि निप्पल नाजुक और ढीले हो। जबकि ब्रेस्ट इंप्लांट की स्थिति में अक्सर निप्पल टाइट और कठोर हो जाते हैं। इससे दूध उत्पादन काफी प्रभावित होता है। यदि निपल्स बच्चे के चूसने के लिए संवेदनशील नहीं हैं, तो दूध नलिकाएं दूध का स्राव नहीं करती हैं। यह तब होता है जब इंप्लांट के दौरान एरिओलस (निप्पल के आसपास की जगह) की नसें क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।

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  • ब्रेस्ट इंप्लांट के दौरान डॉक्टर कई तरह के कैमिकल्स का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ये कैमिकल्स बच्चे तक नहीं पहुंचते हैं लेकिन यह पूरी तरह सच भी नहीं है। कुछ डॉक्टर्स का मानना है कि जब बच्चा निप्पल को चूसता है क तो कैमिकल्स के बहुत छोटे छोटे कण दूध के माध्यम से शिशु के पेट तक पहुंचते हैं जो उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं।
  • गर्भावस्था के दौरान और बाद में स्तनों में सूजन आना स्वाभाविक है। हालांकि, ब्रेस्ट इंप्लांट के बाद यह स्थिति और भी ज्यादा बढ़ जाती है। क्योंकि इससे स्तन के ऊतकों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है जिससे तंत्रिका के क्षति होने का खतरा रहता है।

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ब्रेस्ट इंप्लांट के अन्य नुकसान

  • ब्रेस्ट में इन्फेक्शन होना
  • निप्पल का कठोर और पीड़ादायक होना
  • एनिस्थीसिया से जुड़े जोखिम का खतरा
  • स्तनों में सूजन और दर्द
  • निप्पल का लाल और सुन्न होना
  • ब्रेस्ट के आसपास की जगह का कठोर होना
  • स्ट्रेस और थकान महसूस होना
  • याददाश्त का कमज़ोर होना
  • दो से तीन साल में डॉक्टर को दिखाना और जरूरत पड़ने पर अन्य सर्जरी कराना

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