HIV पॉजिटिव महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान बरतें ये 5 सावधानियां, कम हो जाएगा शिशु को रोग होने का खतरा

एचआईवी (HIV)पॉज़ीटिव महिलाओं से उनके बच्चों मे यह वायरस प्रेगनेंसी के दौरान कई कारणों से फैल सकता है। इसलिए महिला को इस समय अपने साथ-साथ बच्‍चे का विशेष अपना खास ख्याल रखना चाहिए।   

Written by: Sheetal Bisht Updated at: 2019-11-07 18:14

किसी भी एचआईवी से ग्रसित महिला को बहुत सी गतिविधियों को अपनाने की जरूरत होती है। खासतौर पर तब कि जब आप गर्भवती हैं। विज्ञान ने काफी हद तक प्रगति की है, जिसकी बदौलत एचआईवी पॉजिटिव महिला का भी मां बनना सम्भव हो पाया है। लेकिन एचआईवी पॉज़िटिव महिलाओं से उनके बच्चों मे यह वायरस प्रेगनेंसी के दौरान या ब्रेस्टफीडिंग या कुछ अप्‍य कारणों से भी फैल सकता है। इसलिए आइए जानते हैं, कैसे मां अपने नवजात को एचआईवी से सुरक्षित रख सकती है। 

कैसे करे बच्‍चे की सुरक्षा 

अगर महिला ने किसी भी प्रकार के प्रिवेंटिव ड्रग्स नहीं लिये गये हैं, तो बच्चे में एचआईवी होने की 20 से 45 प्रतिशत सम्भावना रहती है। एच आई से ग्रसित महिला के बच्चों में 7 में से 1 एचआई वी पॉज़िटिव पाये गये है।  लेकिन आधुनिक ड्रग्स एचआईवी की रोकथाम में बहुत प्रभावी है। इन दवाओं से पूरी चिकित्सा की जाती है और फार्मूला फीडिंग की सहायता ली जाती है, तो बच्चों में एचआईवी फैलने की 2 प्रतिशत से भी कम सम्भावना रहती है। संसाधनों के सीमित होने पर मां और बच्चे दोनों को ही एच आई वी का खतरा कम होता है । प्रेगनेंसी के दौरान एचआईवी पॉज़िटिव महिलाओं को कुछ सावधानियां बरतनी होती है। (IVF प्रेग्नेंसी क्यों हो जाती है कई बार फेल? जानें कारण और एक्सपर्ट की राय)

बच्‍चे को एचआईवी से बचाने की जरूरी सावधानियां 

प्रेगनेंसी को प्लान करें

वो महिला जिसे पता है कि वो या उसका पार्टनर एचआईवी पॉज़िटिव है, तो उसे प्रेगनेंट होने से पहले प्लान करना चाहिए।अगर उसने प्रेगनेंसी से पहले ही दवाएं लेनी शुरू कर दी हैं तो वो अपने बच्चे को एचआईवी से बचा सकती है। डाक्टर्स आपको सही दवाओं और स्थितियों को समझने की सलाह देंगे कि आपकी सेहत के लिए प्रेग्नेंट होने का यह ठीक समय है या नहीं।

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गर्भाधान में सुरक्षा

एक एचआईवी पॉज़िटिव महिला एक एचआई नेगेटिव पार्टनर से प्रेगनेंट हो सकती है। आर्टिफीशियल इन्सेमिनेशन से ऐसा भी हो सकता है कि उसके पार्टनर को कोई खतरा ना हो। यह आसान तकनीक पुरूषों को पूरी सुरक्षा देती है, लेकिन इससे बच्चों में एचआईवी का रिस्क कम नहीं होता। अगर पुरूष एचआईवी पॉज़िटिव है, तो ऐसे में बचाव का एक ही तरीका है स्पर्म वाशिंग। स्पर्म वाशिंग से महिला और बच्चे दोनों में ही एचआईवी का खतरा नहीं होता। लेकिन जब दोनों पार्टनर एचआईवी पॉज़िटिव होते हैं और अनप्रोटेक्टेड संबंधों से बच्चा चाहते हैं, तो उन्हें डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए कि वो अपने बच्चे को कैसे बचा सकते हैं। अगर आप एण्टीरेट्रोवायरल चिकित्सा ले रहे हैं, तो आपके पार्टनर को संबंध बनाने से होने वाले संक्रमण का खतरा नहीं रहता।

प्रेगनेंसी के दौरान एचआईवी ड्रग्स से जुड़े सुरक्षा के मुद्दे

प्रेगनेंट महिलाओं को प्रेग्‍नेंसी के दौरान दवाएं लेने की सलाह नहीं दी जाती है इसलिए यह थोड़ी अनोखी बात है कि उन्हें एण्टीरेट्रोवायरल ड्रग्स लेने की सलाह दी जाती है। लेकिन हज़ारों महिलाओं ने एण्टीरेट्रोवायरल ड्रग्स लिए हैं और स्वस्थ एचआईवी नेगेटिव बच्चे को जन्म दिया है।

डिलिवरी

जब मां एचआईवी पॉज़िटिव होती है, तो प्री लेबर सिज़ेरियन सेक्शन के द्वारा बच्चे को मां के खून और दूसरे द्रव के सीधे प्रभाव से बचाया जाता है। शोधों से ऐसा पता चला है कि बहुत सी एचआईवी पॉज़िटिव महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान ए आर वी काम्बिनेशन थेरेपी लेती हैं। इसलिए एचआईवी से बचने के लिए सिज़ेरियन ही एक समाधान नहीं है, जब तक कि महिला बीमार ना हो। क्योंकि सिज़ेरियन से महिला को भी कई प्रकार के रिस्क का सामना करना पड़ता है।

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ब्रेस्टफीडिंग

एच आई वी मां के दूध में भी पाया जाता है इसलिए अगर मां एच आई वी पॉज़िटिव है तो ऐसे में बच्चे को मां के दूध से एच आई वी से हो सकता है। एक्सपर्ट ऐसी सलाह देते हैं कि सेफ ब्रेस्ट मिल्क के विकल्प का इस्तेमाल करना चाहिए। ऐसा माना जा रहा है कि मिक्सड फीडिंग से बच्चे के पेट की लाइनिंग डैमेज हो सकती है और इससे बच्चा आसानी से मां के दूध से संक्रमित हो जायेगा।

इसके आलावा संतुलित भोजन करना भी ज़रूरी है इससे मां और बच्चे दोनों ही स्वस्थ रहेंगे। कुछ शोधों से ऐसा भी पता चलता है कि जब मां कुपोषित होती है, तो बच्चे में एचआईवी का खतरा और भी बढ़ जाता है। अच्छा होगा कि आप स्मोकिंग ना करें, अल्कोहल ना लें और प्रेग्नेंसी के दौरान असुरक्षित संबंध न बनाएं। शोधों से ऐसा भी पता चलता है कि ड्रग्स का इस्तेमाल, स्मोकिंग और असुरक्षित संबंधों से जैनाइटल आर्गन में होने वाले संक्रमण से यह बीमारी मां से बच्चे को हो सकती है। 

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