Fish Allergy: मछली खाने से एलर्जी (फिश एलर्जी) की समस्या क्यों होती है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज

मछली या अन्य सी-फूड खाने से अगर आपको किसी तरह की समस्या होने लगती है, तो संभव है कि आप फिश एलर्जी का शिकार हों। जानें इसके बारे में।

Written by: Prins Bahadur Singh Updated at: 2021-03-08 10:00

मछली का सेवन सेहत के लिए बेहद लाभदायक माना जाता है लेकिन कुछ लोगों की सेहत के लिए इसका सेवन नुकसानदायक हो सकता है। तमाम लोगों में मछली के सेवन से एलर्जी की समस्या देखने को मिलती है। हालांकि यह समस्या सभी मछलियों के सेवन से नहीं होती है, शेलफिश जैसे झींगा, केंकड़ा, टूना फिश या सैल्मन के सेवन से कुछ समस्याएं लोगों में देखी गयी है। एक्सपर्ट्स का यह मानना है कि ऐसे लोग जिनको इन मछलियों के सेवन से दिक्कत है उन्हें किसी भी प्रकार की मछली का सेवन करने से बचना चाहिए। इसके सेवन से होने वाली एलर्जी की समस्या ज्यादातर समझ में नही आती लेकिन यह आगे चलकर खतरनाक हो सकती है। मछली या शेलफिश खाने से होने वाली दिक्कतों में एलर्जी के हलके लक्षण जैसे स्किन पर हल्के दाने या चक्कते हो सकते हैं इसके अलावा कुछ लोगों में मछली के सेवन से सांस लेने की समस्या, पेट में दर्द या ऐंठन, दस्त, मतली या उल्टी हो सकती है। फ़ूड एलर्जी की तरह ही फिश एलर्जी को भी नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है, आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ बातें।

फिश एलर्जी के लक्षण (Fish Allergy Symptoms)

हर व्यक्ति का इम्यून सिस्टम अलग-अलग तरीके से काम करता है। कुछ लोगों को खाने से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं लेकिन मजबूत और स्वस्थ इम्यून सिस्टम और पाचन तंत्र वाले लोगों को हर किस्म का भोजन आसानी से पच जाता है। यही स्थिति फिश एलर्जी क मामले में भी होती है। कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में फिश एलर्जी मामले ज्यादा देखे जाते हैं हालांकि किसी को भी फिश एलर्जी से जुड़ी समस्या हो सकती है लेकिन ऐसे लोग जिनका इम्यून तंत्र मजबूत होता है उनमें इसके लक्षण हल्के होते हैं। ज्यादातर लोग जो फिश एलर्जी के शिकार होते हैं उन्हें मछली या सीफ़ूड को पकाने में निकालने वाले धुंए से भी दिक्कत हो सकती है।

मछली के सेवन से होने वाली एलर्जी को नजरंदाज करना भारी पड़ सकता है, ऐसे लोग जिन्हें ये समस्या होती है उनको एनाफिलेक्सिस का भी ख़तरा होता है। ऐसी स्थिति में लोगों में स्किन पर  चकत्ते, चेहरे की सूजन, सांस लेने में दिक्कत, घबराहट, पेट में दर्द, दस्त और उल्टी जैसी समस्या देखने को मिलती है। कभी-कभी स्थिति के हावी हो जाने पर एनाफिलेक्सिस के कारण सदमा, या सांस लेने की गंभीर समस्या होने पर जान गंवाने की नौबात भी आ सकती है। फिश एलर्जी के प्रमुख लक्षण इस प्रकार से हैं।

  • सिर दर्द
  • साँस लेने में कठिनाई (अस्थमा)
  • स्किन पर लाल रंग के धब्बे या चकत्ते
  • चेहरे और होठों की सूजन
  • खुजली
  • ऐंठन, पेट दर्द, मतली या उल्टी
  • अपच और पेट फूलना
  • दस्त
  • बोलने में परेशानी
  • गले में सूजन
  • छोटे बच्चों की त्वचा का पीला होना
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फिश एलर्जी के कारण (What Causes Fish Allergy)

ज्यादातर लोगों को शरीर के इम्यून सिस्टम से जुड़ी दिक्कतों की वजह से फिश या सीफ़ूड एलर्जी होती है। फिश एलर्जी के मामले में हमारे शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र और पाचन तंत्र इसमें पाए जाने वाले प्रोटीन को पचाने में असमर्थ होता है। सीफ़ूड और फिश में पाया जाने वाला प्रोटीन शरीर में एंटीबाडी के उत्पादन में समस्या करता है। ऐसे में जब आप इन मछलियों का सेवन करते हैं तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हिस्टामाइन के जरिए खतरनाक केमिकल का निर्माण करती है जिसकी वजह से एलर्जी जैसी समस्या पैदा होती है। हिस्टामाइन की वजह से ही पित्ती, बुखार और अन्य एलर्जी से जुड़ी समस्याएं शुरू होने लगती हैं।

कुछ लोगों को सिर्फ किसी खास प्रकार की मछलियों से ही एलर्जी की समस्या होती है लेकिन तमाम लोगों को सभी मछलियों के सेवन से यह समस्या शुरू हो जाती है। जिन लोगों को सिर्फ कुछ खास मछलियों से एलर्जी होती है उन्हें झींका, केंकड़ा जैसे शेलफिश का सेवन नही करना चाहिए। इनमें क्रस्टेशियंस की वजह से ऐसी समस्या होती है, इसे क्रॉस-रिएक्टिविटी के नाम से भी जाना जाता है। किसी भी प्रकार की एलर्जी होने पर एक्सपर्ट्स शेलफिश के सेवन से दूरी रखने की सलाह देते हैं। वैसे तो फ़ूड एलर्जी की तरह लोगों में किसी भी मछली के सेवन से एलर्जी हो सकती है लेकिन, 2000 से अधिक मछलियों की प्रजाति में कुछ खास मछलियां जिनकी वजह से ज्यादातर एलर्जी की समस्या देखने को मिलती है वे इस प्रकार से हैं।

  • क्रस्टेशियंस - केकड़े, झींगा मछली, क्रेफ़िशऔर झींगा
  • मोलस्क - स्क्विड, घोंघे, क्लैम, सीप और स्कैलप्प्स
  • सैल्मन, स्नैपर, ट्राउट, टूना

फिश एलर्जी से बचाव और उपचार (Fish Allergy Prevention and Treatment)

मछली के सेवन से जुड़ी समस्याओं का लक्षणों के माध्यम से इलाज किया जाता है। चिकित्सक दो तरह से परीक्षण कर फिश एलर्जी के बारे में अध्ययन करते हैं। फिश एलर्जी होने पर स्किन के नीचे पाए जाने वाले एलर्जीन का टेस्ट होता है और खून में पाए जाने वाले एंटीबाडी टेस्ट से भी इसका पता लगाया जाता है। आमतौर पर, कुछ लोगों में सीफ़ूड और मछली के प्रति क्रॉस-रिएक्टिविटी होती है जिसकी वजह से एलर्जी की समस्या उत्पन्न होती है। अगर फिश एलर्जी के हल्के लक्षण होते हैं तो डॉक्टर कुछ सामान्य एलर्जी की दवा के सहारे इलाज करते हैं लेकिन इसके लक्षण गंभीर होने पर आपको सख्त इलाज की जरूरत होती है। फिश एलर्जी से पीड़ित लोगों को कुछ बातें हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए।

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  • बाहर भोजन करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि जिस जगह या होटल आदि में आप भोजन कर रहे हैं वहां सीफ़ूड या एलर्जी होने वाली मछलियों से जुड़े भोजन नही बनते हैं।
  • दुकानों, मॉल आदि में खरीददारी करते समय डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों को खरीदने से पहले उनके लेबल को ध्यान से पढ़ें। आगर इन उत्पादों के निर्माण में फिश या शेलफिश आयल का प्रयोग हुआ है तो इनके सेवन से बचे।
  • उन जगहों से दूरी बनाए रखें जहाँ पर ऐसी मछलियों की बिक्री आदि होती है।
  • सीफ़ूड से एलर्जी होने पर ऐसे जगहों पर भोजन करने से बचें जहां इनका इस्तेमाल होता है।
  • मछली की खरीदारीसे बचें।
  • फिश से जुड़े खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनी या रेस्टोरेंट में जाने से बचें।
  • एशियाई रेस्टोरेंट जहां मांस और समुद्री भोजन बनते हैं वहां पर भोजन करने से बचें।

हमें उम्मीद है कि मछलियों के सेवन से जुड़ी एलर्जी पर जानकारी देने वाला यह लेख आपको पसंद आया होगा। उपर बताई गयी बातों को ध्यान में रखकर आप फिश या सीफ़ूड एलर्जी की समस्या से बच सकते हैं। किसी भी तरह की समस्या होने पर अपने चिकित्सक से जरूर संपर्क करें।

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