हेल्दी प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए डॉ प्राची बेनारा से जानें प्रेगनेंसी के पहले मन में उठने वाले सभी जरूरी सवालों के जवाब।
मां बनने का सपना हर महिला जरूर देखती है। गर्भ में पल रहे बच्चे का पोषण करना और अंत में उसे जन्म देना अपने आप में बहुत बड़ा अनुभव है। औसतन 9 महीने गर्भ में बच्चे का पोषण और विकास होता है जिसके बाद आखिरी माह में गर्भवती महिला बच्चे को जन्म देती है। हर महिला का ये सपना होता है कि उसके आंगन में बच्चे की किलकारियां गूंजे। इसके लिए पहले से ही महिलाएं तमाम तैयारी शुरू कर देती हैं। अगर आप भी मां बनने की तैयारी कर रही हैं और जल्द ही प्रेग्नेंट होना चाहती हैं तो यह लेख आपके लिए है। अगर आप प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हैं तो सबसे पहला सवाल यह उठता है कि क्या आप इसके लिए शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार हैं? अगर आप प्रेग्नेंसी के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हैं तो इसका लाभ मिलता है। आप आप ही कर रही हैं मां बनने की प्लानिंग तो आइये डॉ प्राची बेनारा, गायनेकोलॉजिस्ट एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट से जानते हैं प्रेगनेंसी के पहले मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब।
डॉ प्राची के मुताबिक प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करने से पहले अधिकांश महिलाओं के मन में ये सवाल जरूर रहते हैं। डॉ प्राची ने बताया कि उनके अनुभव में ज्यादातर महिलाओं ने प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करने से पहले उनसे ये सवाल जरूर पूछे हैं।
1. अगर मैं प्रेग्नेंसी की प्लानिंग कर रही हूं तो मुझे क्या खाना चाहिए?
2. गर्भवती होने की कोशिश करते समय मुझे क्या नहीं करना चाहिए?
3. गर्भवती (प्रेग्नेंट) होने का सही समय कब है?
4. प्रेग्नेंट होने से पहले मुझे कौन से परीक्षण करने चाहिए?
5. मुझे कैसे पता चलेगा कि मैं गर्भवती (प्रेग्नेंट) हूं?
6. गर्भवती (प्रेग्नेंट) होने में दिक्कत होने पर डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करने से पहले आपको प्रेग्नेंसी के दौरान किन चीजों का सेवन करना चाहिए इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए। इस दौरान स्वस्थ और संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। आपको इस दौरान कैलोरी का एक बड़ा हिस्सा फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, फलियां, लीन प्रोटीन, डेयरी उत्पाद और साबुत अनाज से लेना चाहिए।
प्रेग्नेंसी प्लान करते समय आपको धूम्रपान और शराब आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था में धूम्रपान गर्भपात, बच्चे के विकास में दिक्कत और समय से पहले प्रसव का कारण हो सकता है। गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में शराब के सेवन से गर्भपात हो सकता है। इससे बच्चे में विकास में भी दिक्कत हो सकती है। मां द्वारा शराब के सेवन से भ्रूण अल्कोहल स्पेक्ट्रम बच्चे में सीखने और विकास संबंधी विकारों का कारण बन सकता है। इसके अलावा प्रेग्नेंसी की प्लानिंग से पहले यह जान लेना जरूरी है कि प्रेग्नेंट होने के बाद पालतू जानवरों के मल से दूर रहना चाहिए। इस दौरान पालतू जानवरों के कूड़े को साफ करने से खतरनाक बग, टोक्सोप्लाज्मा के संपर्क में आ सकती हैं जिसकी वजह से कई दिक्कतें हो सकती हैं। गर्भवती होने के बाद खुद से किसी भी प्रकार की दवा का सेवन करने से बचें, किसी भी दवा का सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर करें।
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गर्भवती होने की कोशिश करते समय आपको सबसे पहले अपने मासिक धर्म (पीरियड्स) के बारे में जानना चाहिए। अपने पीरियड्स के शुरू और खत्म होने के दिनों को रिकॉर्ड करना शुरू करें। एक माहवारी की शुरुआत और अगले महीने की शुरुआत के बीच के दिनों की संख्या ही आपका फर्टाइल पीरियड होता है। फर्टाइल पीरियड आम तौर पर आपके पीरियड्स के चक्र के 10 दिन से 18 तक होते हैं। याद रखें, इस दौरान पहला दिन आपके मासिक धर्म (पीरियड्स) का पहला दिन है। फर्टाइल पीरियड के दौरान गर्भ धारण करने की सबसे अधिक संभावना होती है, और आपको इन दिनों निश्चित रूप से प्रयास करना चाहिए। यदि आपके पीरियड्स अनियमित हैं तो आप पर यह नियम लागू नहीं होगा। ऐसी स्थिति में अपने फर्टाइल दिनों को समझने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।
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प्रेग्नेंट होने से पहले आपको अपने शरीर के स्वास्थ्य की सामान्य जांच जरूर करा लेनी चाहिए। इस जांच में ब्लड ग्रुप टेस्ट, थायरॉइड और शुगर लेवल आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा पेग्नेंसी प्लान करने से पहले रूबेला प्रतिरक्षा स्थिति और थैलेसीमिया जैसे रोगों की जांच भी करा]नी चाहिए। रूबेला एक वायरल संक्रमण है जो जन्म के बाद बच्चे में कई स्थितियां पैदा कर सकता है। इसलिए संक्रमण के प्रति अपनी प्रतिरक्षा का परीक्षण करना और रूबेला टीकाकरण जरूरी होता है। थैलेसीमिया एक ऐसी स्थिति है जहां शरीर में रक्त निर्माण में दिक्कतें आती है। इसलिए इन परीक्षणों के माध्यम से इस बात की जांच जरूर की जानी चाहिए कि क्या ये समस्याएं मां से बच्चे में जा सकती हैं।
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आमतौर पर, गर्भावस्था (प्रेग्नेंसी) का पहला संकेत पीरियड्स न आना होता है। इस दौरान अगर आपके पीरियड्स मिस हो जाते हैं, तो यूरिन प्रेग्नेंसी टेस्ट करें। इसके लिए आप बाजार से किट खरीद सकती हैं। डॉ प्राची के मुताबिक इस टेस्ट को करने के लिए सुबह के पहले यूरिन का इस्तेमाल करें। इस टेस्ट में दो गुलाबी रेखाएं आने का मतलब प्रेग्नेंसी का संकेत होना होता है। हालांकि, डॉक्टर गर्भावस्था हार्मोन (सीरम β एचसीजी) के स्तर की पुष्टि करने के लिए रक्त परीक्षण की सलाह देते हैं। पीरियड मिस होने के अलावा, गर्भावस्था के कुछ शुरुआती लक्षणों में शरीर के तापमान में वृद्धि, मतली, सुस्ती, सामान्य से अधिक पेशाब आदि शामिल हो सकते हैं। लेकिन रक्त परीक्षण हमेशा गर्भावस्था की पुष्टि करने का सही तरीका होता है।
अगर आपको प्रेग्नेंट होने में किसी भी प्रकार की कठिनाई आ रही तो स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क जरूर करना चाहिए। गर्भ धारण करने के लिए अनुकूल दवाओं के सेवन की सलाह भी दी जाती है। डॉ प्राची के मुताबिक डॉक्टर को दिखाने के 12 महीने के भीतर लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं जिन्हें गर्भवती होने में परेशानी हो रही थी उनकी समस्या दूर हो जाती है। प्रेग्नेंसी से जुड़ी किसी भी समस्या से स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूरी होती है।
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