क्या ब्रेस्टफीड (स्तनपान) कराने से बिगड़ जाता है ब्रेस्ट का शेप? जानें महिलाओं के निजी अनुभव और एक्सपर्ट राय

क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने से ब्रेस्ट साइज पर किसी तरह का असर पड़ता है? चलिए जानते हैं महिलाओं के निजी अनुभव और एक्सपर्ट की राय-

Written by: Kishori Mishra Updated at: 2021-08-06 23:09

शिशुओं के स्वास्थ्य के लिए ब्रेस्ट फीडिंग कराना बहुत ही जरूरी होता है। लेकिन कुछ महिलाएं फिगर खराब होने के डर से अपने शिशु को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करवाती हैं। उन्हें लगता है कि अगर वे शिशु को ब्रेस्ट फीड करवाती हैं, तो इससे उनका ब्रेस्ट का साइज खराब हो सकता है। कुछ को लगता है कि ब्रेस्ट फीडिंग से स्तन ढीला हो जाता है। ब्रेस्ट फीडिंग करवाने से स्तन लटक जाता है?  क्या आप भी इस तरह के डर के कारण अपने शिशु को स्तनपान नहीं करवा रही हैं?  अगर हां या फिर इन सब बातों को लेकर कंफ्यूज हैं, तो परेशान न हों। आज हम आपके साथ ऐसी 4 महिलाओं का अनुभव शेयर करने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने शिशुओं को ब्रेस्ट फीड करवाया है। साथ ही मदरहुड हॉस्पिटिल की गायनाकोलॉजिस्ट डॉक्टर मनीषा रंजन से जानते हैं इसकी सच्चाई? 

मीनू यादव

मीनू यादव 7 वर्षीय बेटे की मां हैं। उन्होंने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि प्रेग्नेंसी के दौरान उनके ब्रेस्ट साइज पर थोड़ा इफेक्ट पड़ा था, जो ब्रेस्ट फीडिंग करवाने के दौरान सही हो गया था। हालांकि, ब्रेस्ट फीडिंग करवाने के बाद उन्हें लगता है कि उनके ब्रेस्ट की स्किन थोड़ी लूज (नीचे की ओर) हो गई है। लेकिन मीनू इसका जिम्मेवार खुद को मानती हैं। उनका कहना है कि मेरे आसपास कई ऐसी महिलाएं हैं, जो अपने शिशुओं को ब्रेस्ट फीड करवाती हैं लेकिन उनके ब्रेस्ट में किसी तरह का कोई फर्क नहीं नजर आया। मेरे ब्रेस्ट की स्किन लूज होने का कारण कहीं न कहीं मेरे ब्रेस्ट फीड करवाने का गलत पॉजीशन है।

मीनू का कहना है कि मेरे आसपास की अधिकतर महिलाएं शिशुओं को गोद में बैठाकर दूध पिलाती हैं। लेकिन उन्होंने अपने ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान अपने शिशु को अपनी सुविधा के लिए लिटाकर दूध पिलाया। वे अधिकतर समय अपने शिशु को इसी पॉजीशन में  दूध पिलाती थीं। शायद इस वजह से उनके ब्रेस्ट की स्किन लूज (नीचे की ओर) हुई। 

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रेखा यादव

रेखा यादव 2.8 वर्षीय बेटे की मां है। उन्होंने अपना अनुभव शेयर करते हुए बताया कि उन्होंने अपने बच्चे को पूरे 6 महीने तक ब्रेस्टफीडिंग कराया है। उनका बेबी प्रीमैच्योर हुआ था, जिसके बाद उन्हें काफी परेशानियां झेलनी पड़ी थीं। बच्चा शारीरिक रूप से कमजोर था, इसलिए उसके लिए ब्रेस्ट फीडिंग काफी जरूरी था। उन्होंने कहा कि बच्चे को ब्रेस्ट फीड कराना बहुत ही जरूरी है। जब वे किसी कारणवश: अपने बच्चे को फीड नहीं करा पाती थीं, तो उसे तुरंत सर्दी-जुकाम की परेशानी होने लगती थी। इससे जाहिर होता है कि ब्रेस्ट फीड शिशु के लिए कितना जरूरी है। ब्रेस्ट साइज के बारे में रेखा बताती हैं कि ब्रेस्टफीडिंग कराने से उनके ब्रेस्ट साइज में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया। हालांकि, ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान उनकी ब्रेस्ट थोड़ी सी सैगिंग हो गई थी, लेकिन जब बच्चा दूध छोड़ता है, तो उसके कुछ दिनों बाद यह समस्या धीरे-धीरे ठीक हो जाती है। इसके अलावा कुछ एक्सरसाइज करके आप आपने सैगिंग ब्रेस्ट को ठीक कर सकते हैँ। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग कराने से आपके फिगर पर किसी तरह का कोई बदलाव नहीं होता है। 

स्पर्धा मन

स्पर्धा मन 7 वर्षीय बेटे की मां है। उन्होंने अपने बेटे को करीब 2 साल तक ब्रेस्ट फीड कराया है। स्पर्धा का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग कराना हर मां के लिए जरूरी होता है। ताकि उनका बच्चा स्वस्थ रह सके। ब्रेस्ट साइज और शेप की बात की जाए, तो स्पर्धा का इस बारे में कहना है कि ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान उनका ब्रेस्ट स्किन लूज हो गया था, लेकिन जब बच्चा दूध छोड़ देता है तो इसके कुछ दिनों बाद धीरे-धीरे ब्रेस्ट साइज ठीक हो जाती है।

हालांकि, स्पर्धा का कहना है कि प्रेग्नेंसी के बाद से उनके ब्रेस्ट साइज में थोड़ा फर्क दिखा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा सभी महिलाओं के साथ हो। हर महिलाओं की शारीरिक और मानसिक स्थिति अलग-अलग होती है। इसलिए फीडिंग कराने के बाद ब्रेस्ट शेप में बदलाव होंगे या नहीं यह उनकी स्थिति पर डिपेंड करता है। इसके अलावा स्पर्धा मन का कहना है कि अगर आप अपने ब्रेस्ट शेप को सही रखना चाहते हैं, तो सही साइज का ब्रा पहनें। हम में से कई लोग ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान ब्रा पहनना छोड़ देते हैं, जिसका असर ब्रेस्ट पर पड़ता है। इसलिए अगर आप ब्रेस्ट फीड करा रहे हैं, तो ब्रा पहनना न भूलें। ब्रेस्ट साइज में किसी तरह के बदलाव नजर आएं, तो एक्सरसाइज करें। साथ ही इस दौरान खानपान का भी विशेष ध्यान रखें।  

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मीनू झा

मीनू झा दो बेटियों की मां है। ये बताती हैं कि इन्होंने अपनी दोनों बेटियों को ब्रेस्ट फीडिंग कराई है। ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान उनके ब्रेस्ट की साइज और स्किन में हल्के फुल्के बदलाव आए थे। लेकिन बाद में धीरे-धीरे ये बदलाव ठीक हो गए। इनका कहना है कि ब्रेस्ट फीडिंग बंद करने के कुछ दिनों बाद ब्रेस्ट के साइज और सैगिंग ब्रेस्ट से छुटकारा मिल जाता है। इसके लिए आपको कुछ स्पेशल ट्रिक्स फॉलो नहीं करने पड़ते है। नॉर्मिल रुटीन फॉलो करने से भी धीरे-धीरे ब्रेस्ट में आए हल्के-फुल्के बदलाव कम हो जाते हैं।  

क्या है डॉक्टर की राय?

डॉक्टर मनीषा रंजन का कहना है कि ब्रेस्ट फीड कराने से स्तन के आकार या फिर टिश्यूज में किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ता है। यह सिर्फ एक मिथ है कि ब्रेस्ट फीड कराने से ब्रेस्ट साइज खराब हो जाएगा या ब्रेस्ट लूज हो जाएगा। बल्कि ब्रेस्ट फीड कराने से शिशुओं के स्वास्थ्य के साथ-साथ महिलाओं का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। डॉक्टर मनीषा का कहना है कि मां का दूध शिशुओं को संपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करता है, जो शिशुओं को कई बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ता है। इससे उनकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इसलिए करीब 6 माह तक अपने शिशु को सिर्फ मां का दूध दें। मां का दूध देने से शिशु को फायदा होगा, साथ ही आपके शरीर को भी इससे कई फायदे हो सकते हैं। 

डॉक्टर मनीषा रंजन का कहना है कि ब्रेस्टफीडिंग कराने से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। साथ ही इससे महिलाओं के यूट्रस के साइज को कम करने में मददगार होता है। डॉक्टर का कहना है कि ब्रेस्ट फीड कराने से मदर और बेबी की बॉन्डिंग अच्छी होती है। उनके बीच का रिश्ता गहरा होता है। ब्रेस्ट फीड कराना हर मां के लिए जरूरी है। इससे किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा मनीषा रंजन बताती हैं कि अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं, तो नियमित रूप से कुछ एक्सरसाइज को फॉलो करें। साथ ही अपने डाइट पर ध्यान दें। इससे ब्रेस्टसाइज पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ेगा।

महिलाओं और डॉक्टर द्वारा बताई गई बातों से साफ जाहिर होता है कि ब्रेस्ट फीडिंग कराने से ब्रेस्ट के शेप पर किसी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, कुछ महिलाओं के लाइफस्टाइल और हार्मोंस की वजह से ब्रेस्ट साइज में थोड़े बहुत बदलाव आ सकते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि यह समस्या ब्रेस्ट फीड से हुई है। शरीर में हार्मोंनल बदलाव की वजह से भी ब्रेस्ट साइज प्रभावित हो सकता है। इसलिए जब आपके शिशु को ब्रेस्ट फीड की जरूरत हो, तो उन्हें ब्रेस्टफीडिंग कराते वक्त संकोच न करें। इससे आपके शिशु के साथ-साथ आपको भी फायदा होगा।

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