World Sight Day 2019: नेत्र चिकित्सकों के मुताबिक जो लोग रोज 3 घंटे से ज्यादा समय तक रोज कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप या टीवी के सामने गुजारते हैं, उन्हें कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
World Sight Day 2019: कंप्यूटर विजन सिंड्रोम से सबसे ज्यादा युवा और बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। आंखों की इस बीमारी की सबसे बड़ा कारण मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप, टीवी आदि हैं। इन डिवाइसेज के ज्यादा इस्तेमाल की वजह से आजकल कम उम्र में ही बच्चों और युवाओं के आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है। स्क्रीन को लगातार घूरते रहने से आंखों की ये बीमारी हो जाती है। नेत्र चिकित्सकों के मुताबिक जो लोग रोज 3 घंटे से ज्यादा समय तक रोज कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप या टीवी के सामने गुजारते हैं, उन्हें कंप्यूटर विजन सिंड्रोम का खतरा सबसे ज्यादा होता है।
जब हम स्क्रीन को लगातार देखते हैं तो आंखों को झपकाना भूल जाते हैं। जिसके चलते आंखों में पानी आने लगता है, आंखों में जलन और आंखें लाल भी हो जाती है। साथ ही अगर लैपटॉप का इस्तेमाल करते समय हम सही पॉश्चर में नहीं बैठते हैं तो भी कमर और गर्दन में दर्द होने लगता है। और अगर आपको चश्मा पहनने की जरूरत हैं और आप इसे नहीं पहनते हैं तो भी आंखों पर असर पड़ता है। कंप्यूटर पर काम करते समय बीच में ब्रेक लेना बहु जरूरी है। इससे आंखों को आराम मिलता है। इसके अलावा कंप्यूटर स्क्रीन पर लगातार देखने की बजाय अपनी पलकों को झपकाते रहें।
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कंप्यूटर विजन सिंड्रोम के कई लक्षण हो सकते हैं। अगर आप कंप्यूटर या लैपटॉप पर ज्यादा देर तक काम करते हैं या आप जरूरत से ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं, तो इन लक्षणों के दिखने पर सावधान हो जाएं।
ड्राई आई का मतलब वैसी आंख से है, जिसमें आंसू ग्रंथियां पर्याप्त आंसू का निर्माण नहीं कर पातीं। यह समस्या सर्दी के मौसम में ज्यादा होती है। यह बीमारी कनेक्टिव टिशू के डिसऑर्डर होने से होती है। समस्या अधिक होने की स्थिति में आंख की सतह को नुकसान पहुंच सकता है और इसके परिणामस्वरूप अंधेपन की समस्या भी हो सकती है।
यह आर्टिकल मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज की डॉ. स्वर्णिमा अग्रहरि (MBBS, MS Ophthalmology) से बातचीत पर आधारित है।
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