World Thyroid Day 2020: विश्व थायरॉइड दिवस के मौके पर जानें कितने तरह के होते हैं थायरॉइड और इनके क्या हैं लक्षण।
थायरॉइड एक गंभीर रोग है, जिसे साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि इसके लक्षण बहुत सामान्य होते हैं और धीरे-धीरे नजर आते हैं। थायरॉइड के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए ही हर साल 25 मई को विश्व थायरॉइड दिवस यानी World Thyroid Day मनाया जाता है। पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को थायरॉइड का खतरा होता है। दरअसल थायरॉइड एक ग्रंथि है, जो गले में स्थित होती है। ये ग्रंथि शरीर के लिए कई जरूरी हार्मोन्स का निर्माण करती है और रसायनों को संतुलित करती है। आमतौर पर थायरॉइड रोग अनुवांशिक होता है मगर गलत खानपान और गलत जीवनशैली के कारण भी ये रोग आपको अपना शिकार बना सकता है।
थायरॉइड डिसऑर्डर 2 प्रकार के होते हैं- हाइपरथायरॉइडिज्म और हाइपोथायरॉइडिज्म। इन दोनों ही प्रकार के थायरॉइड के लक्षणों में कुछ अंतर होते हैं। आइए आपको बताते हैं क्या हैं ये अंतर।
हाइपरथायरॉइडिज्म के लक्षण
हाइपरथायरॉइडिज्म होने पर हो सकता है कि आपको इसके कोई लक्षण नहीं दिखाई दें या हो सकता है आपको यह सब लक्षण दिखाई दें।
- नर्वस, मूडी, कमजोर या थका हुआ महसूस करना।
- सांस लेने में समस्या, हृदय गति बढ़ना, हाथ कांपना।
- ज्यादा पसीना आना, गर्मी लगना।
- बाल झड़ने की समस्या होना।
- पर्याप्त भोजन लेने के बाद भी तेजी से वजन कम होना।
- अल्प माहवारी।
- त्वचा मे खुजली व लालिमा पैदा होना।
- नरम नाखून।
हाइपरथायरॉइडिज्म के लक्षण
- ग्रेव्स रोग हाइपरथाइराइडिज्म की बड़ी वजह है। इसमें थायरॉयड ग्रंथि से थायरॉयड हार्मोन का स्राव बहुत अधिक बढ़ जाता है।
- विनाइन (नॉनकैन्सरस) थाइराइड ट्यूमर, जो कि अनियंत्रित ढंग से थाइराइड हार्मोन की बढ़ी हुई मात्रा को निकालता है।
- विषाक्त मल्टीनोडूलर गण्डमाला (गोईटर), ऐसी अवस्था जिसके कारण थायरायड ग्रंथि, कई विनाइन (नॉनकैन्सरस) थायरायड ट्यूमर की वजह से बड़ी हो जाती है और थायरायड हार्मोन के स्राव की मात्रा को बढ़ा देती है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के लक्षण
- शुष्क त्वचा, भंगुर नाखून।
- वजन बढ़ना, थकान, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन।
- फूला हुआ चेहरा।
- ठंड असहिष्णुता।
- संयुक्त और मांसपेशियों में दर्द।
- कब्ज।
- भौंहों के बालों का झड़ना।
- पसीने की कमी।
- भारी या अनियमित माहवारी और बिगड़ा प्रजनन।
- हृदय गति कम होना।
हाइपरथायरॉइडिज्म के कारण
- दवाएं जैसे लिथियम कार्बोनेट।
- आनुवंशिक कारण।
- शरीर में आयोडीन का कम स्तर।
- पिट्यूटरी ग्रंथि और ह्य्पोथालमस में गड़बड़ी।
- वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण के कारण
क्या हैं दोनों में अंतर
- हाइपरथाइराइडिज्म में थायराइड हार्मोन के स्तर में वृद्धि होती है जबकि हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी होती है।
- हाइपरथाइराइडिज्म थाइरोटॉक्सिकॉसिस और ग्रेव्स रोग हो सकता है। जबकि हाइपोथायरायडिज्म इन बीमारियों का उत्पादन नहीं करता है।
- हाइपरथाइराइडिज्म में तेजी से चयापचय होता है, जबकि हाइपोथायरायडिज्म में चयापचय की गति धीमी हो जाती है।
- हाइपोथायरायडिज्म में थायराइड हार्मोन की खुराक द्वारा इलाज किया जाता है, जबकि हाइपरथाइराइडिज्म में विरोधी थायराइड दवाओं के द्वारा इलाज किया जाता है।
- हाइपोथायरायडिज्म का पता T3 और T4 के स्तर में कमी और TSH के स्तर में वृद्धि से चलता है, जबकि हाइपरथाइराइडिज्म का पता T3 और T4 के स्तर में वृद्धि और TSH के स्तर में कमी से चलता है।
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