डेंगू मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है। जब ये मच्छर हमारे शरीर में काटते हैं तो शरीर में वायरस फैल जाता है। ये वायरस प्लेटलेट के निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
डेंगू एक जानलेवा बीमारी है जो एडीज मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। मनुष्य के शरीर में रक्त बहुत ही महत्वपूर्ण है। सामान्यतः स्वस्थ व्यक्ति में कम से कम 5-6 लीटर खून होता है। इस खून में तरल पदार्थ के अलावा कई तरह के पदार्थ भी शामिल होते हैं।
प्लेटलेट्स दरअसल रक्त का थक्का बनाने वाली कोशिकाएं या सेल्स हैं जो लगातार नष्ट होकर निर्मित होती रहती है। ये रक्त में बहुत ही छोटी छोटी कोशिकाएं होती हैं। ये कोशिकाएं रक्त में लगभग 1 लाख से 3 लाख तक पाई जाती हैं। इन प्लेटलेट्स का काम टूटी-फूटी रक्त वाहिकाओं को ठीक करना है। डेंगू बुखार से संक्रमित व्यक्ति की प्लेटलेट्स समय-समय पर जांचनी चाहिए। प्लेटलेट्स की जांच ब्ल्ड टेस्ट के माध्यम से की जाती है। आइए हम आपको बताते हैं कि डेंगू होने पर प्लेटलेट्स की संख्या क्यों घट जाती है।
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स कम होने से संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। दरअसल प्लेटलेट्स का काम ब्लड क्लॉटिंग है यानी बहते खून पर थक्का जमाना, जिससे ज्यादा खून न बहे। यानी ये शरीर से खून को बहने से रोकते हैं। अगर इनकी संख्या रक्त में 30 हजार से कम हो जाए, तो शरीर के अंदर ही खून बहने लगता है और शरीर में बहते-बहते यह खून नाक, कान, यूरीन और मल आदि से बाहर आने लगता है।
कई बार यह ब्लीडिंग शरीर के अंदरूनी हिस्सों में ही होने लगती है। कई बार आपके शरीर पर बैंगनी धब्बे पड़ जाते है लेकिन आपको इनके बारे में मालूम नहीं होता, ये निशान भी प्लेटलेट्स की कमी के कारण होते है। यह स्थिति कई बार जानलेवा भी हो सकती है। डेंगू बुखार में यदि प्लेटलेट्स के कम होने पर ब्लड प्लेटलेट्स न चढ़ाए जाए तो डेंगू संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
हालांकि प्लेटलेट्स कम होने का मतलब यह नही है कि आपको डेंगू हो गया है, अन्य कारणों से भी प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है।
डेंगू मच्छर के काटने से फैलने वाली बीमारी है। जब ये मच्छर हमारे शरीर में काटते हैं तो शरीर में वायरस फैल जाता है। ये वायरस प्लेटलेट के निर्माण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। सामान्यतया हमारे शरीर में एक बार प्लेटलेट का निर्माण होने के बाद 5-10 दिन तक रहता है, जब इनकी संख्या घटने लगती है तब शरीर आवश्यकता के हिसाब से इनका दोबारा निर्माण कर देता है। लेकिन डेंगू के वायरस प्लेटलेट निर्माण की क्षमता को कम कर देते हैं।
इसके अतिरिक्त डेंगू के दौरान यदि रक्त में मौजूद प्लेटलेट्स लगातार गिरने लगते हैं तो इसकी पूर्ति भी प्लेटलेट्स चढ़ाकर की जाती है। डेंगू बुखार बढ़ने पर प्लेटलेट्स तेजी से गिरते हैं। इस स्थिति में ब्लीडिंग शुरू हो जाती है और शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने शुरू हो जाते हैं। यदि रक्त में प्लेटलेट्स की मात्रा चालीस हजार से कम होती है तो मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ता है। ऐसी स्थिति में एक मरीज को कम से कम दो यूनिट प्लेटलेट्स की जरूरत होती है।
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