सौंदर्य की दुनिया में नित नए प्रयोग होते रहते हैं। कई नए ट्रीटमेंट्स भी आते हैं। ऐसा ही एक ट्रीटमेंट है कार्बन लेजर पील ट्रीटमेंट। क्या है यह तकनीक, इसे कब कराएं और इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आज हम आपको यह बता रहे हैं। जो लोग सेहत और ...
सौंदर्य की दुनिया में नित नए प्रयोग होते रहते हैं। कई नए ट्रीटमेंट्स भी आते हैं। ऐसा ही एक ट्रीटमेंट है कार्बन लेजर पील ट्रीटमेंट। क्या है यह तकनीक, इसे कब कराएं और इसमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, आज हम आपको यह बता रहे हैं। जो लोग सेहत और सौंदर्य को लेकर जागरूक हैं। कई तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट्स के जरिये त्वचा को झुर्रियों और दाग-धब्बों से बचाए रखना भी संभव हो पा रहा है। हालांकि कई बार ये ट्रीटमेंट्स जेब पर भारी पड़ते हैं लेकिन युवा दिखने की चाहत लोगों को इस ओर आकर्षित करती है। इन दिनों कार्बन लेजर पील ट्रीटमेंट को टॉप ट्रेंड में रखा जा रहा है। एक्सपट्र्स का कहना है कि यह झुर्रियों को दूर रखता है। इस तकनीक को बॉलीवुड के साथ कई नामी हॉलीवुड अभिनेत्रियों ने भी अपनाया है।
कार्बन लेजर पील एक्सफॉलिएटिंग और टोनिंग की प्रक्रिया है। इसमें झुर्रियों, पिगमेंट, पोर्स और मुहांसों जैसी समस्या का निवारण किया जाता है। अल्ट्रा मॉडर्न एडवांस्ड कार्बन पील तकनीक सालों पुराने मुहांसों और पिगमेंटेशन की समस्या से निजात दिलाती है। इसमें त्वचा की कमियों को दूर करने के लिए फोकस्ड लाइट बीम्स का इस्तेमाल किया जाता है। ट्रीटमेंट के बाद स्किन रीजेनरेट होती है, जिससे दाग-धब्बे और पिगमेंटेशन की समस्या कम होती है। डर्मेटोलॉजिस्ट का कहना है कि यह ट्रीटमेंट स्किन टेक्सचर को एकसार करता है। यह दर्दरहित प्रक्रिया है, जिसमें कम समय लगता है। इससे एजिंग और स्किन डैमेज जैसी समस्या में कमी आती है। जिन लोगों को सन डैमेज, इन्फ्लेमेशन, हॉर्मोनल बदलावों और ड्रग रिएक्शन की वजह से ब्लैकहेड्स, इनलाज्र्ड पोर्स, डल और असमान स्किन टोन, कंजेस्टेड स्किन और पिगमेंटेशन की समस्या है, उन्हें इस तकनीक से फायदा मिल सकता है। यह ट्रीटमेंट शरीर के किसी भी हिस्से पर कराया जा सकता है, पीठ या चेस्ट पर भी इसे करवा सकते हैं।
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इसमें लिक्विड कार्बन की एक परत स्किन की ऊपरी लेयर पर चढ़ाई जाती है। इसे स्किन में एकसार करके टार्गेटेड एरिया पर लाइट बीम्स छोड़ी जाती हैं। कार्बन पार्टिकल्स लेजर बीम्स की रोशनी को सक्रियता से अवशोषित कर लेते हैं और वैक्यूम सक्शन से त्वचा की बाहरी सतह से क्षतिग्रस्त सेल्स बाहर निकल जाती हैं। एक्सपट्र्स का कहना है कि एक सिटिंग से भी इसका फायदा दिखने लगता है लेकिन पूरी तरह मुहांसों से मुक्ति पाने के लिए इसकी चार से छह सिटिंग लेनी पड़ती हैं। इन्हें तीन से चार हफ्ते के अंतराल पर लिया जाता है। डर्मेटोलॉजिस्ट का मानना है कि रिजल्ट को लंबे समय तक बरकरार रखने के लिए तीन महीने में एक बार यह ट्रीटमेंट लिया जा सकता है। प्रति सिटिंग लगभग पांच हजार तक खर्च आता है।
इस ट्रीटमेंट के बाद कुछ लोगों को त्वचा पर रैशेज, लालिमा, सूजन, एक्ने, त्वचा के रंग में बदलाव या किसी इन्फेक्शन का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए जानकारी और एक्सपर्ट से सलाह लेने के बाद ही यह ट्रीटमेंट लें।
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