Candida Auris Fungal Infections: इस फंगल इंफेक्शन के कारण अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है।
Candida Auris Fungal Infections Symptoms in Hindi: दुनियाभर में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच एक घातक फंगल इंफेक्शन ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है। इस फंगल इंफेक्शन का नाम कैंडिडा ऑरिस बताया जा रहा है। इस घातक फंगल इंफेक्शन के मामले अमेरिका में बढ़ रहे हैं। फंगल पर नजर रखने वाले यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने कैंडिडा ऑरिस की जानकारी दी है। इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कैंडिडा ऑरिस फंगल इंफेक्शन से अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है। यह फंगल इंफेक्शन उन लोगों को जल्दी चपेट में लेता है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कैंडिडा फंगल के कारण 2020 में 756 लोग संक्रमित हुए थे, लेकिन 2021 में इस फंगल से 1471 लोग संक्रमित हुए। वहीं, 2023 में इस फंगल इंफेक्शन से संक्रमित मरीजों की संख्या कहीज्यादा होने की आशंका जताई जा रही है। सीडीसी के मुताबिक, कैंडिडा ऑरिस फंगल इंफेक्शन का पहला मामला 2009 में जापान में सामने आया था। इसके बाद 2013 में इस इंफेक्शन के मामले अमेरिका में सामने आए और 2021 तक इसने पूरे दुनिया को ही अपनी चपेट में ले लिया। अमेरिका में बढ़ते इस फंगल इंफेक्शन के मामलों के बीच आशंका जताई जा रही है कि ये दुनियाभर में फैल सकता है।
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येल स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रमण रोकथाम के एसोसिएट मेडिकल डायरेक्टर डॉ. स्कॉट रॉबर्ट्स ने एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि कैंडिडा ऑरिस फंगल किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने और दूषित सतह, वस्तु व अन्य सामान को छूने से फैलता है।
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सीडीसी के मुताबिक, कैंडिडा ऑरिस से संक्रमित होने वाले व्यक्ति को बुखार के साथ कंपकपी होती है। साथ ही, यह फंगल घाव और कान के संक्रमण का भी कारण बन सकता है। सीडीसी ने कैंडिडा ऑरिस फंगल इंफेक्शन से 30 से 60 फीसदी मरीजों की मौत की आशंका जताई है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है यह फंगल इंफेक्शन कई अन्य इंफेक्शन और बीमारियों का कारण बन सकता है।
सीडीसी और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कैंडिडा ऑरिस फंगल इन्फेक्शन का इलाज सिर्फ एंटीबायोटिक के जरिए ही किया जा रहा है। कुछ मामलों में एंटीबायोटिक खाने से भी मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता है, ऐसे में खून और मल की जांच की जाती है। कैंडिडा ऑरिस फंगल इंफेक्शन यूरिन और श्वास के नमूनों में भी ये पाया गया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह ब्लैडर को संक्रमित कर सकता है या नहीं।
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