महिलाओं में अक्सर होने वाले कमर दर्द की समस्या के पीछे ये 7 प्रमुख कारण हो सकते हैं, जानें इस समस्या से छुटकारा पाने के उपाय।
कमर दर्द (Back Pain) या पीठ दर्द की समस्या से अक्सर काफी लोग परेशान रहते हैं। यह समस्या लोगों में बहुत कॉमन है। कमर दर्द या पीठ दर्द की समस्या सबसे ज्यादा 40 साल की उम्र के बाद शुरू होती है। लेकिन एक शोध की मानें तो यह समस्या पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है और उनमें यह समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है। बदलती जीवनशैली और असंतुलित खानपान की वजह से कमर दर्द की समस्या में तमाम महिलाएं जूझ रही हैं। महिलाओं में यह समस्या पीरियड्स और प्रेगनेंसी के दौरान सबसे ज्यादा होती है। इसके अलावा महिलाओं में कमर दर्द की समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं। अधिकतर महिलाऐं कमर दर्द की समस्या से बचने के लिए तमाम प्रकार की दवाओं का सेवन करती हैं लेकिन इस समस्या से पूरी तरह आराम नहीं मिलता है। इस लेख में आइए जानते हैं महिलाओं में कमर दर्द की समस्या के कारण (Back Pain in Females Causes) और इससे बचने के तरीके के बारे में।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं को कमर दर्द की समस्या से ज्यादा जूझना पड़ता है। इसकी कई वजहें हो सकती हैं लेकिन महिलाओं में कमर दर्द की समस्या के लिए जिन प्रमुख स्थितियों को जिम्मेदार माना जाता है वह इस प्रकार से हैं।
प्रेगनेंसी में महिलाओं को अक्सर कमर दर्द की समस्या से जूझना पड़ता है। गर्भावस्था के दौरान कमर दर्द होने की समस्या के पीछे शरीर के गुरुत्वाकर्षण बल का केंद्र बदलने को जिम्मेदार माना जाता है। इसके अलावा शरीर का वजन बढ़ने से आपके हार्मोन्स लिगामेंट्स को डिलिवरी के लिए आराम देने लगते हैं। गर्भावस्था में कमर दर्द की समस्या में सबसे ज्यादा दर्द कमर के ठीक नीचे और आपकी टेलबोन के पास होता है। प्रेगनेंसी के 5वे महीने के बाद कमर में होने वाला दर्द बढ़ जाता है और इसकी वजह से महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है।
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महिलाओं में कमर दर्द होने की समस्या का सबसे प्रमुख कारण स्पाइनल ऑस्टियोआर्थराइटिस भी होता है। यह समस्या फेसेट जॉइंट (रीढ़ के जोड़ को जोड़ने वाला जॉइंट) में क्षति या घिस जाने की वजह से होने वाले आर्थराइटिस की वजह से होती है। बढ़ती उम्र और कई अन्य कारणों की वजह से महिलाओं में यह समस्या बेहद कॉमन होती है। इसकी वजह से कमर दर्द के अलावा जांघ और पीठ व नितंबों में भी दर्द होता है। यह समस्या किसी चोट, क्षति या दूसरे कई कारणों से होती है।
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प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम एक ऐसी समस्या हैं जों महिलाओं को हर महीने पीरियड्स शुरू होने से कुछ दिन पहले प्रभावित करती हैं। इसकी वजह से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक कमजोरी होने लगती है। इस समस्या की वजह से महिलाओं में सिरदर्द, पैरों में और कमर दर्द सबसे ज्यादा होता है। हर महिला में इसके लक्षण अलग-अलग होते हैं। प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम को महिलाओं में अक्सर होने वाले कमर दर्द का कारण माना जाता है।
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महिलाओं में लगातार होने वाले कमर दर्द की समस्या का एक प्रमुख कारण प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्मॉर्फिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) भी होता है। यह समस्या पीएमएस का गंभीर रूप मानी जाती है। पीएमडीडी के सभी लक्षण लगभग पीएमएस के लक्षणों के समान ही होते हैं। आमतौर पर यह समस्या पीरियड्स से एक सप्ताह पहले से शुरू होती है और पीरियड्स के बाद खत्म हो जाती है। ज्यादातर लोगों में इसका कारण स्ट्रेस या अन्य मानसिक स्थितियों के पारिवारिक इतिहास के कारण होती है।
एंडोमेट्रिओसिस की वजह से भी महिलाओं में कमर दर्द की समस्या अक्सर देखी जाती है। एंडोमेट्रिओसिस की समस्या में एंडोमेट्रियल ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है। एंडोमेट्रियोसिस के साथ, ऊतक अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब या आंतों पर पाया जा सकता है। इसकी वजह से महिलाओं को दर्द और पीरियड्स में अनियमितता होती है। एंडोमेट्रिओसिस की वजह से होने वाले कमर दर्द में भी महिलाओं काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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महिलाओं में पीरियड्स के दौरान होने वाले अत्यधिक दर्द की समस्या डिस्मेनोरिया कहते हैं। इस समस्या की वजह से भी महिलाओं को कमर दर्द का सामना करना पड़ता है। यह दर्द लगभग 3 से 4 दिनों तक रहता है जिसकी वजह से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
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पिरिफॉर्मिस सिंड्रोम महिलाओं में होने वाली एक ऐसी समस्या है जिसमें पिरिफोर्मिस मांसपेशियों में दर्द की वजह से कटिस्नायुशूल तंत्रिका में दिक्कतें होती हैं। यह समस्या ज्यादातर गर्भावस्था और हार्मोन में बदलाव की वजह से होती है। इस स्थिति में पैरों के नीचे दर्द, झुनझुनी जैसी स्थिति बन जाती है। इसके अलावा मांसपेशियों में लगातार ऐंठन होने की वजह से कमर में दर्द की समस्या भी होती है।
उपर बताये गए कारणों के अलावा कई अन्य वजहों से भी कमर दर्द की समस्या महिलाओं में हो सकती है। लगातार कमर दर्द होने की समस्या में महिलाओं को एक्सपर्ट डॉक्टर से सलाह लेकर इस समस्या का इलाज जरूर कराना चाहिए। इसके अलावा नियमित व्यायाम और पौष्टिक आहार का सेवन इन समस्याओं में फायदेमंद माना जाता है।
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