आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अभी तक चिकनगुनिया का कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन आयुर्वेद के कई जानकार इस बीमारी की काट होने का दावा करते हैं। आइए जानें कैसे आप आयुर्वेद के जरिये इस बीमारी को दूर सकते हैं।
अपने गुणों के कारण आयुर्वेद को पांचवां वेद कहा जाता है। आयुर्वेद में ऐसे कई रोगों को इलाज मौजूद होने की बात कही जाती है, जिनके बारे में आधुनिक चिकित्सीय विज्ञान अभी तक मौन है। चिकनगुनिया भी उनमें से एक है। आयुर्वेदिक औषधियों के जरिये चिकनगुनिया का इलाज कैसे किया जा सकता है, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
आयुर्वेद एक परंपरागत भारतीय चिकित्सा पद्धति है। यह पद्धति अब न केवल भारत अपितु विश्व भर में अपनी साख बना चुकी है। सारी दुनिया में करोड़ों लोग आयुर्वेदिक चिकित्सीय पद्धति का फायदा उठाते हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा में मुख्यत: शाकाहारी औषधियां ही शामिल होती हैं, ऐसे में इन दवाओं का सेवन सामान्यत: सुरक्षित ही होता है।
आयुर्वेद में चिकनगुनिया को संधि-ज्वर कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है 'जोड़ों का बुखार।' संधि ज्वर और चिकनगुनिया के लक्षणों में काफी सामानता देखी जाती है। और इसलिए आयुर्वेदिक इलाज के जरिये इस बीमारी में राहत पायी जा सकती है। कुछ लोगों का मानना है कि चिकनगुनिया के इलाज में आयुर्वेदिक तरीके काफी कारगर होते हैं। हालांकि, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में अभी तक इस बीमारी का कोई ईलाज खोजने का दावा नहीं किया गया है, लेकिन फिर भी इस विश्वास के साथ कई लोग आयुर्वेदिक पद्धति के जरिये चिकनगुनिया का इलाज करवाते हैं।
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आयुर्वेद में रोग की मुख्य वजह मानी जाती हैं। वात, कफ और पित्त। अब अगर आयुर्वेदिक नजरिये से देखें, तो चिकनगुनिया को 'वात दोष' कहा जाता है। वात रोग होने के कारण रोगी को ऐसा भोजन अपनाने की सलाह दी जाती है, जो वात बढ़ने से रोके।
इसमें रोगी को अपने आहार में आवश्यक परिवर्तन करने की सलाह दी जाती है। रोगी को आहार में तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाने का परामर्श दिया जाता है। इसके साथ ही उसे कहा जाता है कि वह सब्जियों का सेवन भी अधिक करे। चिकनगुनिया के रोगी को चाहिए कि वह तैलीय भोजन, चाय व कॉफी का सेवन कम करे।
आयुर्वेदिक मसाज को चिकनगुनिया के कारण जोड़ों में होने वाले दर्द में मददगार समझा जाता है। आयुर्वेदिक मसाज में कई औषधियों के अर्क को तेल में मिलाकर उससे रोगी के शरीर की मसाज की जाती है। इससे रोगी को दर्द में तो राहत मिलती ही है साथ ही पहले से अधिक ऊर्जावान महसूस करने लगता है।
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इस बुखार से लड़ने के लिए आमतौर पर आयुर्वेद में विलवदी गुलिका, सुदर्शनम गुलिका और अमृतरिष्ठाव दिया जाता है। लेकिन, इन दवाओं को आजमाने से पहले किसी अनुभवी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श करना आवश्यक है। क्योंकि अनुभवी चिकित्सक ही आपको बता पाएगा कि आपको इन दवाओं का कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए। और साथ ही इन दवाओं के सेवन के साथ आपको किस प्रकार की अन्य सावधानियां बरतनी पड़ेंगी।
तुलसी, गाजर, अंगूर आदि को चिकनगुनिया और इससे होने वाले दर्द में काफी राहत पहुंचाने वाला माना जाता है। क्योंकि ये सब प्राकृतिक औषधियां हैं, इसलिए इन्हें आजमाने में कोई हानि नहीं है।
चिकनगुनिया के इलाज में आयुर्वेदिक चूर्ण इस्तेमाल करने की भी सलाह दी जाती है। योगीराज गुगुलू और सुदर्शन चूर्ण को इस बुखार में काफी उपयोगी माना जाता है। अर्जुन छाल भी इस वायरल काफी लाभदायक मानी जाती है। इसके साथ ही हल्दी, आंवला, लहसुन आदि के पाउडर भी इस रोग से उबरने में सहायता प्रदान करते हैं।
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