आयुर्वेद को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां फैली हैं, एक्सपर्ट से जानिए इनकी सच्चाई के बारे में।
आयुर्वेद के बारे में यह माना जाता है कि यह चिकित्सा पद्धति हजारों सालों से उपयोग में ली जा रही है। भारत ही नहीं आज के दौर में दुनियाभर में आयुर्वेद ने अपना पांव पसार लिया है। आयुर्वेद मानव सभ्यता की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धति है और इस चिकित्सा पद्धति से जुड़े तमाम मिथ (Myth about Ayurveda) भी लोगों के दिमाग में होते हैं। आयुर्वेदिक दवाओं और इसके सेवन से लेकर आयुर्वेद के असर तक लोगों में तमाम भ्रांतियां घर कर गयीं हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आपसे कहें कि आयुर्वेदिक दवाओं का असर काफी दिनों बाद होता है तो आप इस बात से तुरंत सहमत हो जायेंगे लेकिन यह जरूरी नहीं है कि सभी आयुर्वेदिक दवाओं का असर काफी समय बाद ही होता हो। ऐसे ही तमाम बातें जो आयुर्वेद के बाते में अक्सर सुनने को मिल जाती हैं उनकी सच्चाई क्या है? इन बातों के बारे में आयुर्वेद के एक्सपर्ट की क्या राय है? आइये जानते हैं इस लेख में।
आयुर्वेद एक चिकित्सा पद्धति है जिसका उपयोग चिकित्सा के लिए तमाम तरीके से किया जाता है। एक आयुर्वेदिक दवा के सैकड़ों उपयोग होते हैं और इनका इस्तेमाल अलग-अलग समस्याओं में अलग तरीके से किया जाता है। आयुर्वेद में उपचार, रोकथाम और बचाव के लिए दवाएं और तरीके मौजूद होते हैं, आयुर्वेदिक चिकित्सा दुनियाभर में होने वाली सभी चिकित्सा पद्धतियों से अधिक सुरक्षित मानी जाती है। आयुर्वेद के बारे में प्रचलित कुछ कॉमन मिथ (भ्रांतियों) की सच्चाई को लेकर हमने बात की लखनऊ के प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य डॉ तुलसी शंकर शुक्ल से, आइये जानते हैं इन भ्रांतियों के बारे में उन्होने हमें क्या जानकारी दी।
आयुर्वेद प्राचीन काल से चली आ रही चिकित्सा पद्धति है, तमाम ऋषियों, मुनियाँ और तपस्वियों द्वारा दिए गए ज्ञान के आधार पर आयुर्वेदिक चिकित्सा की जाती है। आयुर्वेद में शाकाहार पर जोर दिया जाता है, तामसिक और राजसिक भोजन की जगह सात्त्विक भोजन को आयुर्वेद में अधिक मान्यता दी गयी है। लेकिन आयुर्वेद की दवाओं का सेवन करने या किसी भी प्रकार के आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के सेवन के समय मांसाहार के सेवन की मनाही नहीं होती है। तमाम आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में भी दूध और इससे जुड़े उत्पाद और मांस आदि का भी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि आयुर्वेदिक चिकित्सा करने वाले वैद्य या आयुर्वेदाचार्य हमेशा शाकाहारी बनने की शिक्षा देते हैं। आयुर्वेद के मुताबिक शाकाहार हमारे शरीर के लिए सर्वाधिक फायदेमंद होता है।
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आयुर्वेद के बारे में प्रचलित सबसे कॉमन मिथक यह है कि आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन का कोई नुकसान नहीं होता है। एक्सपर्ट के मुताबिक अन्य दवाओं की तुलना में आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन कम नुकसान पहुंचाता है लेकिन अधिक या असंतुलित मात्रा में किसी भी चीज का सेवन नुकसान जरूर पहुंचाता है। आयुर्वेदिक दवाओं का संतुलित और उचित मात्रा में सेवन हानिकारक नहीं हो सकता है। आयुर्वेद में दवाओं के सेवन को लेकर तमाम प्रकार के नियम भी होते हैं इन नियमों के हिसाब से दवाओं का सेवन नहीं करने पर नुकसान हो सकता है। आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक या वैद्य की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
यह सच है कि आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण में सबसे ज्यादा जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन यह कहना कि आयुर्वेद में सिर्फ जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है, बिल्कुल गलत होगा। आयुर्वेद में जड़ी बूटियों के अलावा दवाओं के निर्माण में कई अन्य चीजों का भी इस्तेमाल किया जाता है। आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में कई अन्य चीजें जैसे नमक, अल्कोहल, रॉक्स, जूस आदि का प्रयोग भी किया जाता है।
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आयुर्वेद के बारे में सबसे कॉमन मिथक यह है कि आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति को किसी भी प्रकार की मान्यता नहीं प्राप्त है। यह बात बिल्कुल गलत है कि आयुर्वेद कोई लीगल प्रैक्टिस नहीं है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली को भारत सरकार ने मान्यता दी हुई है, इसके तहत चिकित्सा करने के लिए वैध लाइसेंस की भी जरूरत होती है। आयुर्वेद से जुड़ी तमाम पढ़ाई देशभर में की जाती है। आयुर्वेद एक वैध चिकित्सा पद्धति है और सभी चिकित्सकों को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त संस्थानों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है और अभ्यास करने के लिए लाइसेंस भी दिया जाता है।
आयुर्वेद के बारे में यह कहा जाता है कि यह कोई विज्ञान नहीं है। दूसरे प्रकार की चिकित्सा पद्धति जैसे एलोपैथ को विज्ञान की मान्यता प्राप्त होती है। आयुर्वेद की प्रैक्टिस करने वाले एक्सपर्ट के मुताबिक आयुर्वेद को विज्ञान से बढ़कर माना जाना चाहिए। आयुर्वेद में कुछ रोग या स्थितियों की जानकारी इतने सटीक तरीके से होती है कि दूसरी चिकित्सा पद्धति में नही हो सकती। आर्युवेद में कठिन से कठिन बीमारियों का इलाज है और अगर इसे बढ़ावा दिया जाए तो इसमें बहुत कुछ संभावनाएं बाकी हैं। ऐसे में आर्युवेद को विज्ञान न मानना गलतफहमी हो सकती है।
आयुर्वेद के बारे में कहा जाता है कि आयुर्वेदिक दवाएं बहुत देर से असर करती हैं। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट और वैद्य यह मानते हैं कि आयुर्वेदिक दवाएं अपना असर समय पर ही करती हैं, बीमारी और स्थिति के अनुसार ही आयुर्वेदिक दवाओं का चयन किया जाता है। यह दवाएं शरीर के अंगों या उसको पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं छोड़ती है, एक्सपर्ट का मानना है कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली और उसके शरीर की स्थिति के हिसाब से ही दवाओं का चयन होता है और उसी के हिसाब से यह दवाएं अपना असर भी करती है। ऐसे में यह कहना की आयुर्वेदिक दवाएं देर से असर करती हैं बिल्कुल गलत होगा।
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हमें उम्मीद है आयुर्वेद को लेकर दी गयी ये जानकारी आपको पसंद आयी होगी। आयुर्वेद के बारे में कई और भ्रांतियां भी हैं लेकिन इन बारे में आयुर्वेदाचार्य की सलाह जरूर लेनी चाहिए। आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करने से पहले आप जरूर किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से संपर्क करें। आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन बिना योग्य आयुर्वेदाचार्य की अनुमति के नहीं करना चाहिए। शारीरिक स्थिति, बीमारी और अन्य परिस्थितियों के हिसाब से आयुर्वेदिक दवाओं के सेवन की अनुमति चिकित्सक देते हैं ऐसे में इनके सेवन से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।
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