स्वाइन फ्लू को जड़ से काटती है ग्वारपाठा औषधी, इम्यूनिटी भी होती है इससे मजबूत

स्वाइन फ्लू इस मौसम में फैल रही बड़ी बीमारियों में से एक है। इस बीमारी की चपेट में किसी भी उम्र का व्यक्ति आ सकता है। हालांकि जो लोग अधिक लापरवाही रखते हैं उन्हें ऐसा वायरस जल्दी अपनी चपेट में लेता है। इसलिए जरूरी है कि आप खुद को हेल्दी रखें और...

Written by: Rashmi Upadhyay Updated at: 2019-03-12 17:26

स्वाइन फ्लू इस मौसम में फैल रही बड़ी बीमारियों में से एक है। इस बीमारी की चपेट में किसी भी उम्र का व्यक्ति आ सकता है। हालांकि जो लोग अधिक लापरवाही रखते हैं उन्हें ऐसा वायरस जल्दी अपनी चपेट में लेता है। इसलिए जरूरी है कि आप खुद को हेल्दी रखें और अपना लाइफस्टाइल भी व्यवस्थित रखें। इसके अलावा हमारे पास कुछ ऐसे कारगार घरेलू नुस्खे हैं जिनकी मदद से हम खुद को स्वाइन फ्लू की चपेट से बचा सकते हैं। वैसे तो स्वाइन फ्लू से सावधान रहकर और बचाव के तरीकों को अपनाकर बचा जा सकता है। दवाईयों से बेहतर इलाज स्वाइन फ्लू का घरेलू नुस्खों में ही छिपा है। आइए स्वाइन फ्लू से ऐसे करें बचाव।

ग्वारपाठा है अचूक औषधी

ग्वारपाठा एक ऐसी औषधी है जो स्वाई फ्लू का इलाज करने में सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी मानी जानी है। इसे अंग्रेजी में ऐलो वेरा कहते हैं। लोगों का ऐसा मानना है ग्वारपाठा के प्रयोग से स्वाइन फ्लू को जल्दी मात दी जा सकती है। अगर आपको पता नहीं है तो बता दें कि यह एक पौधा है। इसका रूप और आकार कैक्टस जैसा होता है। ग्वारपाठा की पतली और लंबी पत्तियों में सुगंध रहित जैल होता है। इस जैल को एक टी स्पून में पानी के साथ लेने से त्वचा के लिए बहुत अच्छा रहेगा, जोड़ों का दर्द दूर होगा और साथ ही इम्यूनिटी बढ़ेगी। हालांकि इस उपाय को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।

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स्वाइन फ्लू के लिए घरेलू नुस्खे

  • स्वाइन फ्लू से घरेलू बचाव में थायमॉल, मेंथॉल और कपूर को बराबर मात्रा में मिला कर तैयार 'यू वायरल' के घोल की बूंदों को रुमाल या टिश्यू पेपर पर डालकर सूंधने से स्वाइन फ्लू होने का खतरा नहीं रहेगा साथ ही इसके बाद मास्‍क की जरूरत भी नहीं पड़ती।
  • तुलसी में मौजूद एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरस दोनों प्रकार के तत्वों के कारण यह सबसे लाभकारी जड़ी-बूटी मानी जाती है। यह किसी की भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकती है। इसलिए ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि यह स्वाइन फ्लू को बिल्कुल ठीक कर देगी, लेकिन ‘एच1एन1’ वायरस से लड़ने में निश्चित रूप से सहायक हो सकती है। 
  • स्‍वाइन फ्लू से बचाव के लिए कपूर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। वयस्क चाहें तो कपूर की गोली को पानी के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं, वहीं बच्चों को इसका पाउडर आलू अथवा केले के साथ मिलाकर देना चाहिए। ले‍किन कपूर के सेवन के बारे में इस बात का ध्‍यान रखें कि कपूर का रोज नहीं लेना चाहिए। महीने में एक या दो बार ही इसका इस्‍तेमाल पर्याप्त है।
  • 100 मि.ली. पानी में तीन ग्राम नीम, गिलोय, चिरैता के साथ आधा ग्राम काली मिर्च और एक ग्राम सोंठ का काढ़ा बना कर पीना लाभदायक होता है। इसी मिश्रण का काढ़ा बनाकर एक सप्ताह तक खाली पेट पीने से स्वाइन फ्लू से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है यानी व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता अधिक हो जाती है।
  • गिलोय देश भर में बहुतायत में मिलने वाली एक दिव्‍य औषधि है। इसका काढ़ा बनाने के लिए इसकी एक फुट लंबी शाखा को लेकर तुलसी की पांच छह पत्तियों के साथ 10 से 15 मिनट तक उबालना चाहिए। ठंडा होने पर इसमें थोड़ी काली मिर्च, मिश्री, सेंधा नमक अथवा काला नमक मिलाएं। यह औषधि आपकी रोग प्रतिरोधक शक्ति को चमत्कारिक ढंग से बढ़ा देती है। साथ ही गिलोय हर तरह के बुखार में कारगर होता है। यदि यह पौधा आपको अपने आसपास नहीं मिलता है तो किसी आयुर्वेद की दुकान से भी आप इसे ले सकते हैं। 
  • स्‍वाइन फ्लू से लड़ने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गिलोय की एक फुट लंबी डाल का हिस्सा, तुलसी की पांच-छः पत्तियों के साथ कुछ देर तक उबालें। उसमें सेंधा नमक या मिश्री भी मिला सकते हैं। काढ़ा बनने पर इसे निवाय करके पी लें।

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