शून्य मुद्रा एक योगिक हस्त मुद्रा है जिसमें बीच की उंगली को मोड़कर अंगूठे से दबाया जाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा संतुलित होती है और कई बीमारियों से राहत मिलती है।
एक्सपर्ट की राय
श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, योग विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर रमेश कुमार से जानें क्या है शून्य मुद्रा के फायदे और इसे करने का सही तरीका।
शून्य मुद्रा के फायदे
यह मुद्रा विशेष रूप से कानों, गले और हृदय से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी मानी जाती है और नियमित अभ्यास से सुनने की शक्ति बेहतर होती है।
मन शांत होता है
शून्य मुद्रा को करने से मन शांत होता है, एकाग्रता बढ़ती है और बच्चों या वयस्कों में चंचलता, गुस्सा या बेचैनी की स्थिति में सुधार होता है।
वात और पित्त दोष से राहत
इस मुद्रा का अभ्यास वात और पित्त दोष से संबंधित समस्याओं जैसे जोड़ दर्द, चर्म रोग और अस्थमा के इलाज में सहायक साबित होता है।
बेहतर ब्लड सर्कुलेशन
शून्य मुद्रा के अभ्यास से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और शरीर के अंगों में होने वाले सुन्नपन या झनझनाहट को दूर किया जा सकता है।
कब करें शून्य मुद्रा?
इस मुद्रा को खाली पेट और शांत जगह पर करना चाहिए, खासकर सुबह या शाम के समय जब वातावरण शांत और एकाग्रता संभव हो। इस मुद्रा को रोजाना 5 से 15 मिनट तक करना फायदेमंद होता है।
कैसे करें शून्य मुद्रा?
इसे करते समय सुखासन या पद्मासन में बैठें, पीठ सीधी रखें, आंखें बंद करें और सांसों पर ध्यान केंद्रित करें, जिससे मानसिक शांति मिले।
शून्य मुद्रा का लाभ तभी मिलता है जब इसे नियमित रूप से और बिना जोर डाले सावधानी से किया जाए। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com