जो पुरुष कम बोलते हैं या अपनी बातें खुलकर नहीं रखते, उनमें तनाव की मात्रा ज्यादा देखी जाती है। आइए PubMed की रिपोर्ट से जानते हैं इसकी वजह और इसके नुकसान।
कम बोलना और दबे हुए जज्बात
जो लोग अपनी बातें और भावनाएं दिल में दबाकर रखते हैं, वे अक्सर अंदर ही अंदर तनाव को महसूस करते रहते हैं। न बोलने से मन हल्का नहीं हो पाता।
तनाव से जुड़ा हार्मोन क्या करता है?
एक स्टडी के अनुसार, कम बोलने वाले या इंट्रोवर्ट पुरुषों में तनाव के समय कोर्टिसोल नामक हार्मोन ज्यादा निकलता है। यह शरीर को तनावग्रस्त बना देता है।
हर समय चुप रहना फायदेमंद नहीं
शांत रहना अच्छी आदत है, लेकिन हर समय खुद को दबाकर रखना मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
तनाव सहने की क्षमता पर असर
जो लोग बातों को मन में रखते हैं, उनकी तनाव झेलने की क्षमता कम हो जाती है। धीरे-धीरे मन भी थकने लगता है।
मौन से बढ़ सकती है बेचैनी
एक स्टडी में बताया गया है कि लगातार मौन रहने से बेचैनी, चिड़चिड़ापन और गहरी चिंता बढ़ सकती है, खासकर तब जब व्यक्ति भावनाओं को खुलकर नहीं जताता।
हर पुरुष ऐसा नहीं होता
यह जरूरी नहीं कि हर कम बोलने वाला पुरुष तनाव में हो। लेकिन अगर वह किसी से बात नहीं करता और खुद को बिल्कुल अलग रखता है, तो उसका तनाव बढ़ सकता है।
क्या करना चाहिए?
अगर आप भी ज्यादा चुप रहते हैं, तो मन की बात किसी भरोसेमंद से जरूर साझा करें। डायरी लिखें, वॉक करें या काउंसलर से बात करें।
कम बोलना बुरा नहीं, लेकिन अपनी भावनाओं को हमेशा अंदर रखना सेहत के लिए ठीक नहीं। बात करना मन को हल्का करता है और तनाव घटाता है। हत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com