आर्टिफिशियल रंग खाने में मिलाने से क्या प्रॉब्लम्स हो सकती हैं?

By Lakshita Negi
17 Jun 2025, 18:00 IST

खाने को रंग बिरंगा और अट्रैक्टिव बनाने के लिए इसमें कलर्स का इस्तेमाल किया जाता है। भले ही ये खाना दिखने में अच्छा लगे, लेकिन इसमें मिले केमिकल्स से हेल्थ धीरे-धीरे खराब हो सकती है। आइए जानें इसके नुकसान।

एलर्जी की दिक्कत बढ़ सकती है

आर्टिफिशियल रंगों से शरीर में एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। खासकर बच्चों में स्किन पर रैशेज, आंखों में जलन और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है।

डाइजेशन पर असर

इन रंगों के कारण पेट में दिक्कत, खराब होना, गैस बनना और अपच जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। लंबे टाइम तक इसका सेवन करने से डाइजेशन में दिक्कत हो सकती है।

बच्चों में हाइपरएक्टिविटी

कुछ रिसर्च में पाया गया है कि रेड 40 और येलो 5 जैसे कलर्स से बच्चों में चिड़चिड़ापन और हाइपरएक्टिविटी बढ़ सकती है, इससे फोकस पावर कम होती है।

कैंसर का खतरा

कुछ आर्टिफिशियल कलर्स जैसे कि टारट्रेजिन और बैन किए गए रंगों को लंबे वक्त तक लेने से शरीर में कैंसर की दिक्कत बढ़ सकती है।

त्वचा की दिक्कत

केमिकल कलर्स से बने फूड्स को खाने से स्किन पर एक्ने, खुजली और एलर्जिक रिएक्शन हो सकता है। सेंसिटिव स्किन वाले लोगों को दिक्कत हो सकती है।

लिवर और किडनी पर दबाव

जब ये केमिकल्स शरीर में जाते हैं तो लिवर और किडनी को उसे छानने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उनके काम करने की पावर पर असर हो सकता है।

इम्युनिटी कमजोर

लगातार केमिकल रंगों से बने खाने का सेवन करने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है। इससे शरीर जल्दी बीमार होता है और रिकवरी स्लो हो जाती है।

बाजार में मिलने वाले पैक और कलरफुल चीजों को खाने से बचें और घर पर बना हेल्दी और शुद्ध खाना खाएं। स्वास्थ्य से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com