मोबाइल पास रखकर सोने से नींद क्यों टूटती है?

By Aditya Bharat
19 Jun 2025, 18:30 IST

रात को सोते समय मोबाइल सिरहाने रखना आम है। लेकिन क्या यही आदत आपकी नींद को नुकसान पहुंचा रही है? आइए PubMed की रिपोर्ट से जानते हैं सच।

नींद आने में देरी होती है

मोबाइल की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी मेलाटोनिन हार्मोन को दबा देती है, जिससे नींद आने में देरी होती है।

नींद की मात्रा कम हो जाती है

रात में मोबाइल चलाने से नींद की कुल अवधि घट जाती है। कई शोधों में 20–30 मिनट तक की कमी पाई गई है।

नींद की गुणवत्ता पर असर

सोने से ठीक पहले मोबाइल देखने से दिमाग एक्टिव हो जाता है, जिससे नींद बार-बार टूट सकती है और गहरी नींद नहीं आती।

बहुत पास रखने से असर और बढ़ता है

अगर मोबाइल तकिए के पास रखा हो, तो इसका असर ज्यादा होता है। इसकी रोशनी और नोटिफिकेशन नींद में रुकावट ला सकती हैं।

नीली रोशनी बिगाड़ती है स्लीप साइकिल

फोन की रोशनी शरीर की बॉडी क्लॉक यानी सर्केडियन रिदम को गड़बड़ कर देती है, जिससे नींद और जागने का समय बिगड़ता है।

रेडिएशन का भी हल्का असर संभव

मोबाइल रेडिएशन से गंभीर खतरे के पुख्ता प्रमाण नहीं हैं, लेकिन कुछ लोगों को इससे बेचैनी और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

बचाव कैसे करें?

सोने से 30 मिनट पहले मोबाइल दूर रखें। “डू नॉट डिस्टर्ब” मोड ऑन करें और कोशिश करें कि मोबाइल कम से कम 1 मीटर दूर हो।

मोबाइल को थोड़ी दूरी पर रखना और रात में स्क्रीन टाइम कम करना आपकी नींद की क्वालिटी को बेहतर बना सकता है। अगर आपको फिर भी नींद से जुड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है तो डॉक्टर से सलाह लें। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com