कभी-कभी अचानक मन करता है कि रो लें, बिना किसी साफ वजह के। लेकिन हम उसे रोक देते हैं। क्या इसका असर दिमाग पर पड़ता है? आइए PubMed की एक स्टडी से समझते हैं।
क्या यह नॉर्मल है?
बिना कारण रोना असामान्य नहीं है। ये तनाव, थकान, हार्मोनल बदलाव या अंदर दबे हुए इमोशन्स का नतीजा हो सकता है। लेकिन बार-बार हो तो ध्यान देना जरूरी है।
रोने से दिमाग को क्या फायदा होता है?
रोने से कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) घटता है और एंडोर्फिन बढ़ते हैं, जिससे राहत मिलती है। यह दिमाग के लिए एक तरह की सफाई और तनाव-मुक्ति है।
जब रोना बिना कंट्रोल हो जाए
अगर बहुत कम ट्रिगर पर भी बार-बार रोना आता है, तो यह Pseudobulbar Affect (PBA) हो सकता है, यह दिमाग के भावनात्मक नियंत्रण तंत्र से जुड़ा होता है।
डिप्रेशन और रोने का रिश्ता
अचानक रोने की प्रवृत्ति डिप्रेशन या एंग्जायटी का संकेत हो सकती है। यह तब होता है जब भावनाएं अंदर बहुत ज्यादा दब चुकी होती हैं और बाहर आने का रास्ता ढूंढती हैं।
महिलाओं में क्यों ज्यादा होता है?
PMS, हार्मोनल फ्लक्चुएशन और प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं ज्यादा भावुक हो सकती हैं। इस समय रोने की इच्छा ज्यादा महसूस होती है। यह एक जैविक प्रक्रिया है।
क्या रोना वाकई हेल्दी है?
हां, वैज्ञानिक रूप से यह साबित हो चुका है कि रोना शरीर के लिए राहत देने वाला काम करता है। यह मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
इमोशन्स को रोकना क्यों गलत है?
अगर आप बार-बार रोने को रोकते हैं, तो अंदर की भावनाएं दबती जाती हैं। इससे स्ट्रेस, गुस्सा या डिप्रेशन और बढ़ सकता है। इमोशन्स को एक्सप्रेस करना जरूरी है।
अगर रोना बार-बार आता है, तो खुद से बात करें, जर्नल लिखें, मेडिटेशन करें या किसी थैरेपिस्ट से बात करें। रोना कमजोरी नहीं, मानसिक सफाई का हिस्सा है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com