आज की व्यस्त और असंतुलित जीवनशैली के कारण ब्लड प्रेशर की समस्या तेजी से बढ़ रही है। इसी के चलते कुछ लोगों का ब्लड प्ररेशर घट जाता है तो कुछ का बढ़ जाता है। आइए सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ के के कपूर से जानें हाई बीपी और लो बीपी में क्या फर्क है?
हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है?
हाई ब्लड प्रेशर में दिल को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और रक्त धमनियों में तेज गति से प्रवाहित होता है। यह स्थिति शरीर में धीरे-धीरे खतरनाक बीमारियों को जन्म देती है।
लो ब्लड प्रेशर का मतलब
लो ब्लड प्रेशर वह स्थिति है जब शरीर के अंगों तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुंचता। इससे थकावट, कमजोरी और चक्कर जैसे लक्षण महसूस होते हैं जो सामान्य दिनचर्या को प्रभावित कर सकते हैं।
ब्लड प्रेशर की सामान्य रेंज
सामान्य ब्लड प्रेशर 120/80 mm Hg होता है। अगर यह इससे अधिक या कम हो, तो हाइपरटेंशन या हाइपोटेंशन की स्थिति बन सकती है जो शरीर के लिए नुकसानदेह होती है।
हाई ब्लड प्रेशर के कारण
जीवनशैली से जुड़ी आदतें जैसे ज्यादा नमक, स्मोकिंग, अल्कोहल और तनाव हाई बीपी को जन्म देती हैं। इसके अलावा उम्र, मोटापा और थायराइड जैसी बीमारियां भी इसका कारण बनती हैं।
लो ब्लड प्रेशर के पीछे कारण
डिहाइड्रेशन, पोषण की कमी, खून की कमी, प्रेगनेंसी और हार्मोनल असंतुलन लो बीपी को जन्म दे सकते हैं। लंबे समय तक बनी यह स्थिति जानलेवा भी हो सकती है।
हाई और लो बीपी के लक्षण
हाई बीपी में अक्सर सिरदर्द, घबराहट और सीने में दबाव महसूस होता है। जबकि लो बीपी में चक्कर आना, कमजोरी, मतली और नजर धुंधली होना आम लक्षण होते हैं।
बीपी को नियंत्रित रखने के उपाय
स्वस्थ खानपान, नियमित व्यायाम, वजन पर नियंत्रण और तनाव से दूर रहना ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में मदद करता है। दवाओं का सेवन भी डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।
ब्लड प्रेशर की समस्या से बचने के लिए नियमित जांच बेहद जरूरी है। हाई और लो ब्लड प्रेशर दोनों ही खामोशी से शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं, इसलिए सतर्क रहना आवश्यक है। सेहत से जुड़ी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें onlymyhealth.com